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2165 हाइस्कूलों में से मात्र 800 में काम लायक लैब

अनदेखी. मैट्रिक व इंटर में नहीं होती प्रायोगिक कक्षाएं राज्य के हाइस्कूलों की प्रयोगशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है. 2165 हाइस्कूलों में से सिर्फ आठ सौ हाइस्कूलों की प्रयोगशालाएं ही काम लायक हैं. बावजूद इसके प्रयोगिक परीक्षा में विद्यार्थियों को अच्छे अंक मिलते हैं. रांची : राज्य में कुल 2165 हाइस्कूल में से मात्र 800 […]

अनदेखी. मैट्रिक व इंटर में नहीं होती प्रायोगिक कक्षाएं
राज्य के हाइस्कूलों की प्रयोगशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है. 2165 हाइस्कूलों में से सिर्फ आठ सौ हाइस्कूलों की प्रयोगशालाएं ही काम लायक हैं. बावजूद इसके प्रयोगिक परीक्षा में विद्यार्थियों को अच्छे अंक मिलते हैं.
रांची : राज्य में कुल 2165 हाइस्कूल में से मात्र 800 हाइस्कूल में प्रयोगशाला काम के लायक हैं. शेष स्कूलों में या तो प्रयोगशाला नहीं है, या फिर काम के लायक नहीं है. इसके अलावा 230 प्लस-टू उच्च विद्यालय में भी प्रयोगशाला की स्थिति ठीक नहीं है. मैट्रिक व इंटर में प्रायोगिक कक्षा के नाम पर खानापूर्ति होती है.
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इस वर्ष के अंत तक सभी हाइस्कूल व प्लस-टू उच्च विद्यालय में प्रयोगशाला को क्रियाशील करने का निर्णय लिया है. इसके लिए सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है. विभाग के निर्देश के बाद जिलों में प्रयोगशाला को ठीक करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. विभागीय निर्देश के बाद लगभग 500 स्कूलों में प्रयोगशाला को क्रियाशील किया गया है. इससे पूर्व मात्र 300 स्कूल में ही प्रयोगशाला काम लायक थी. मैट्रिक में भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान मिला कर 20 अंक की प्रायोगिक परीक्षा होती है. इसके अलावा गणित व सामाजिक विज्ञान के लिए 20-20 अंक की प्रायोगिक परीक्षा होती है. गणित व सामाजिक विज्ञान विषय के लिए प्रयोगशाला है ही नहीं, जबकि विज्ञान के लिए जो प्रयोगशाला है, उसकी स्थिति ठीक नहीं है.
बिना पढ़ाई मिलते हैं अंक
स्कूलों में भले ही प्रयोगशाला नहीं है. प्रायोगिक कक्षा नहीं होती है, फिर भी परीक्षार्थियों को प्रायोगिक परीक्षा में खूब अंक मिलते हैं. प्रायोगिक परीक्षा में 20 में से 15 अंक मिलना सामान्य बात है. इंटर में भौतिकी व रसायन में फेल करनेवाले कई विद्यार्थियों को लिखित परीक्षा से अधिक अंक प्रायोगिक परीक्षा में मिलते हैं. उल्लेखनीय है कि मैट्रिक व इंटर की प्रायोगिक परीक्षा परीक्षार्थी अपने स्कूल-कॉलेज में ही देते है. उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन भी अपने स्कूल-कॉलेज के ही शिक्षक करते हैं.
पानी व बिजली की सुविधा नहीं
जिन स्कूल-कॉलेजों में प्रयोगशाला है, वहां भी प्रयोगशाला में पानी व बिजली की सुविधा नहीं है. उपकरण होने के बाद भी विद्यार्थी प्रयोगशाला का उपायोग नहीं कर पाते हैं. राज्य में मात्र 913 हाइस्कूल में बिजली है. शिक्षा विभाग ने स्कूलों में विद्युतीकरण कार्य शुरू किया है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने वैसे विद्यालय जहां प्रयोगशाला नहीं है, उन स्कूलों के बच्चों को निकट के वैसे स्कूलों से टैग करने का निर्देश दिया है, जहां प्रयोगशाला है.
साइंस किट के लिए स्कूलों को मिली है राशि
हाइस्कूलों को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत प्रयोगशाला सुदृढ़ीकरण व साइंस किट के लिए राशि दी गयी है. इसके तहत स्कूलों में 25-25 हजार रुपये दिये गये हैं. कुछ स्कूलों को साइंस किट के लिए भी अलग से पैसे दिये गये हैं. प्रयोगशाला की व्यवस्था नहीं होने के कारण विद्यार्थी इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं.

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