नयी दिल्ली : विपक्ष उसके शासित राज्यों में अस्थिरता की कथित कोशिशों और कश्मीर में अशांति को लेकर संसद के मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने का प्रयास करेगा लेकिन जीएसटी विधेयक जैसे कदमों पर उसका समर्थन भी करेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी को आज राष्ट्रीय महत्व का बताया.
कल से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले आज सर्वदलीय बैठक में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के घटनाक्रम पर अपनी राय रखी और सरकार को निशाने पर लेने का संकेत दिया. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यों को केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर अब भरोसा नहीं रह गया है.
सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में बाद में पहुंचने वाले प्रधानमंत्री ने कश्मीर के घटनाक्रम पर एक सुर में बोलने को लेकर सभी दलों को धन्यवाद दिया. उन्होंने यह कहते हुए जीएसटी विधेयक को पारित कराने में उनसे समर्थन मांगा कि यह राष्ट्रीय महत्व का है. मोदी ने उनसे राष्ट्रहित को सभी चीजों से उपर रखने की अपील की. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दो घंटे की इस बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि संसद एक महापंचायत है जहां सभी मुद्दे उठाये जा सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी समेत हमारा विधायी कामकाज प्राथमिकता है. हम यह देखना चाहते हैं कि हम सर्वसम्मति से जीएसटी पारित कर पाएं. हम हर दल को साथ लाने जा रहे हैं.” कुमार ने अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे को लेकर सरकार पर कांग्रेस, वामदलों और कुछ अन्य दलों के हमलों को यह कहते हुए तवज्जो नहीं दी कि विभिन्न मुद्दों पर बहस की जा सकती है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने सभी दलों को आश्वासन दिया है कि खुले दिमाग से बात होगी और हम सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. ” उधर, आजाद ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सरकार पर विपक्ष शासित सरकारों को अस्थिर करने के लिए सभी तरकीब अपनाने का आरोप लगाया और मोदी पर केंद्र एवं राज्यों के बीच सहयोग की उनकी बात को लेकर निशाना बनाया तथा कहा कि यहां तक कि अकाली दल जैसे भाजपा के सहयोगी ने भी राज्यों को कमजोर करने को लेकर केंद्र पर हमला किया है.
वैसे उन्होंने जीएसटी का सीधा उल्लेख नहीं किया लेकिन कहा कि कांग्रेस गुण-दोष के आधार पर विधेयकों का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोई फैसला नहीं किया है कि हमें विधेयक को रोकना है. हम गुण-दोष के आधार पर समर्थन करेंगे. हम उस किसी भी विधेयक का समर्थन करेंगे जो लोगों, प्रगति और विकास के पक्ष में है. ”
अधिकारियों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जीएसटी समेत महत्वपूर्ण विधेयकों पर संसद सत्र में विचार किया जाना है और उन्होंने उम्मीद जतायी कि सार्थक चर्चा एवं नतीजे सामने आएंगे. उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी लाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्दा यह नहीं है कि किस सरकार को इसका श्रेय मिलेगा बल्कि महत्वपूर्ण बात उसका पारित होना है. ” अनंत कुमार ने बताया कि सरकार ने इस सत्र में पारित कराने के लिए 16 विधेयक तैयार कर रखे हैं.
संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी हमलों की बढ़ती घटनाएं और देश पर उसके प्रभाव, विदेश नीति, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बाढ़ की स्थिति उन मुद्दों में शामिल हैं जिन पर संसद में चर्चा होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘(आज की सर्वदलीय) बैठक बहुत सार्थक रही. सभी दलों ने संसद के सुचारु रुप से चलने की इच्छा प्रकट की और सहयोग का आश्वासन दिया. कांग्रेस ने भी गुण-दोष के आधार पर विधायी प्रस्तावों का समर्थन करने का आश्वासन दिया. ” जब उनसे नीतीश कुमार जैसे कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा कल की अंतर-राज्यीय परिषद की बैठक में राज्यपालों की भूमिका के मुद्दों को उठाये जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन विषयों पर चर्चा नहीं हुई.
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लंबे समय से लंबित जीएसटी पर गतिरोध को दूर करने के लिए उनकी पार्टी और सरकार के बीच बातचीत को कोई खास महत्व नहीं दिया और कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि सरकार उसके द्वारा रखी गयी मांगों को लेकर उससे लिखित मसविदा साझा करे. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से लिखित मसविदा मिलने के बाद ही हम जवाब देंगे. ” उन्होंने यह दलील खारिज कर दी कि कांग्रेस जीएसटी के रास्ते में रोडा अटका रही है एवं कहा कि यह विधेयक तो कांग्रेस की ही देन है.
सिंधिया ने कैराना मुद्दे का भी जिक्र किया और कहा कि इसका लक्ष्य सांप्रदायिक तनाव फैलाना था एवं उनकी पार्टी सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाएगी. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस जीएसटी मुद्दे पर मैच फिक्सिंग कर रह है और उन्होंने सरकार से संसदीय भावना का पालन करने को कहा जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार करती थी एवं सभी दलों से परामर्श किया करती थी.
उन्होंन तथा सपा नेता नरेश अग्रवाल ने जीएसटी पर सर्वदलीय बैठक की मांग की. अग्रवाल ने कहा कि यदि सपा से बातचीत नहीं की गयी तो वह उसका विरोध कर सकती है. कुमार के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली समेत 30 दलों के 45 नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.
कल अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग के मोदी के आह्वान पर उन पर कटाक्ष करते हुए गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर दो राज्यों में कांग्रेस सरकारों को गिराने के लिए दलबदल कराने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि कैसे उच्चतम न्यायालय के आदेश ने उसे विफल कर दिया.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘सारी तरकीबें अपनायी गयीं.” उन्होंने मोदी के इस बयान के कि राजनीति को आतंकवाद से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, के बारे में बात की और कहा कि दोनों को अक्सर जोड़ दिया जाता है एवं राजनीति अक्सर आतंकवाद की जड़ है. राज्यपाल के पद के दुरुपयोग के बारे में बात करते हुए उन्होंने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के हथियार प्रशिक्षण को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा कथित रुप सही ठहराये जाने का जिक्र किया.
आजाद ने कहा, ‘‘यदि सरकार ऐसे संगठनों को प्रशिक्षण देना शुरू करती है तो आप समझ सकते हैं…..आतंकवाद कहां से शुरू होता है. ” आजाद और येचुरी समेत कई विपक्षी नेताओं ने कश्मीर की स्थिति को जोरशोर से उठाया और कहा कि कैसे वहां संचार बंद कर दिया गया एवं पुलिस कार्रवाई में कई लोगों की जान गयी. महंगाई, कृषि संकट, देश के कई हिस्सों में बाढ़ के मुद्दे उठाने के साथ सरकार की विदेश नीति को घेरा जाएगा और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में उसकी विफल कोशिश भी संसद में एक मुद्दा बन सकती है.