मद्य निषेध कानून लागू होने के बाद वैकल्पिक नशीले पदार्थों का बढ़ा सेवन
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नशे में दिखते हैं बच्चे और जवान
मद्य निषेध कानून लागू होने के बाद वैकल्पिक नशीले पदार्थों का बढ़ा सेवन सीवान : नन्ही उम्र. अपना कोई ठौर-ठिकाना नहीं. प्लेटफाॅर्म पर ही इनकी सुबह व रात होती है. कबाड़ बेच कर आनेवाले चंद रुपये से ये अपना पेट बुझा कर कल की चिंता छोड़ सीवान प्लेटफार्म पर फिर सो जाते हैं. इसके साथ […]
सीवान : नन्ही उम्र. अपना कोई ठौर-ठिकाना नहीं. प्लेटफाॅर्म पर ही इनकी सुबह व रात होती है. कबाड़ बेच कर आनेवाले चंद रुपये से ये अपना पेट बुझा कर कल की चिंता छोड़ सीवान प्लेटफार्म पर फिर सो जाते हैं. इसके साथ ही उनकी नशे की एक लत जिंदगी को बरबाद कर रही है. ट्यूब समेत चमड़े को चिपकाने में प्रयोग होनेवाले सुलेशन को ये नशे में प्रयोग करते हैं. इससे सूंघ कर होनेवाले नशे की आदत का असर इस कदर है कि ये अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इसी में गंवा देते हैं.
बिहार में पूर्ण मद्य निषेध लागू होने के बाद से नशे से छुटकारे के लिए सभी जिला मुख्यालयों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है. यहां उपचार के बाद नशे से बहुतेरों को अब तक मुक्ति मिल चुकी है. इस सरकारी पहल के विपरीत नशे की लत पूरी करने के लिए काफी संख्या में लोग अन्य तरीकों को भी अपना रहे हैं
इनमें से अधिकांश इसके दुष्परिणाम से अपरिचित हैं. नशे के माध्यम से इनके शरीर में मीठा जहर के रूप में प्रवेश कर रहा केमिकल इन्हें असमय मौत के मुंह में धकेल रहा है. इसी क्रम में सुलेशन का बढ़ता प्रयोग नशे के अन्य परंपरागत तरीकों को पीछे छोड़ रहा है.
कपड़े में रख सूंघते नजर आते हैं नशेड़ी : सुलेशन में स्पिरिट के अलावा नशीले पदार्थ के रूप में एक और केमिकल रहता है, जिसे नशे के रूप में सेवन करनेवाले लोग कपड़े में सुलेशन को रख कर सूंघते हैं. इससे उन्हें नशा होता है. नशे की लत इस कदर रहती है कि ये हर पल कपड़े में रख सूंघते नजर आ जाते हैं. ऐसे नशेड़ियों की संख्या रेलवे स्टेशन व अन्य सार्वजनिक स्थान व फुटपाथ पर नजर आती है, जो किसी तरह दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं.
इससे सांस की परेशानी के साथ ही लीवर पर पड़नेवाले असर का परिणाम जानलेवा होता है. हर दिन सार्वजनिक स्थानों पर नशेड़ियों की मौजूदगी के बावजूद कोई निरोधात्मक उपाय उत्पाद विभाग या अन्य सरकारी मशीनरी द्वारा नहीं किया जाता है. इससे ऐसे आदतन नशेड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है.
इस तरह नशे में बरबाद हो रही युवा पीढ़ी
खांसी का सिरप व नींद की गोलियों की बढ़ी खपत
नशे के रूप में खांसी में प्रयोग होनेवाले सिरप का भी लोग प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं. हालांकि सरकार ने इसकी बिक्री के लिए चिकित्सकीय प्रेसक्रिप्शन दुकानदारों के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसमें पाया जानेवाला अल्कोहल नशे का काम करता है. इसके अलावा नींद की गोलियों का भी नशे में प्रयोग होने से अचानक खपत बढ़ी है.
इसकी भी बिक्री के लिए जारी गाइड लाइन के मुताबिक बिना चिकित्सक की परची के दवा नहीं बेचने का आदेश है. इसका अधिकांश दवा विक्रेता अनुपालन नहीं करते हैं. इसके अतिरिक्त व्हाइटनर, दर्द निवारक मलहम तथा अन्य सामग्रियों का भी नशे में प्रयोग होने से मार्केट में खपत बढ़ी है.
रेलवे स्टेशन कैंपस में ऐसे नशेड़ियों के अवैध रूप से रहने पर समय-समय पर अभियान चला कर कार्रवाई की जाती है. किशोर व युवा वर्ग के ऐसे नशेड़ियों को कई बार नशा छोड़ने के लिए जागरूक करने का भी प्रयास किया गया. इसका असर दिख रहा है. ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है.
सिंहेश सिंह
थानाध्यक्ष, जीआरपी सीवान
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