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भाजपा की चुटकी: शीला की जगह राहुल गांधी सीएम चेहरा होते तो मजा आता

लखनऊ : शीला दीक्षित को यूपी में मुख्‍यमंत्री करा चेहरा बनाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने राहुल गांधी को प्रोजेक्ट किया होता तो शायद लड़ाई में मजा आता. पत्रकारों से बातचीत में मौर्या ने कहा कि शीला के सीएम कैंडिडेट बनाए जाने पर भाजपा […]

लखनऊ : शीला दीक्षित को यूपी में मुख्‍यमंत्री करा चेहरा बनाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या ने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने राहुल गांधी को प्रोजेक्ट किया होता तो शायद लड़ाई में मजा आता. पत्रकारों से बातचीत में मौर्या ने कहा कि शीला के सीएम कैंडिडेट बनाए जाने पर भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. हां अगर कांग्रेस ने राहुल गांधी को सीएम उम्मीदवार बनाया होता तो प्रदेश में लड़ाई रोचक होती.

वहीं, करीब ढाई साल के अंतराल के बाद सक्रिय राजनीति में वापसी करने वाली शीला दीक्षित ने गुरूवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस के चेहरे के तौर पर वह चुनावों में ‘‘पूरी दृढता और आत्मविश्वास’ के साथ उतरेंगी. ‘‘बडी जिम्मेदारी’ देने के लिए कांग्रेस नेतृत्व का शुक्रिया अदा करते हुए 78 साल की शीला ने कहा कि प्रियंका गांधी पार्टी के लिए एक ‘‘बहुत अहम’ हैं और पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि वह विधानसभा चुनाव के दौरान पूरे राज्य में सघन चुनाव प्रचार करें.

साल 2013 में करारी हार से पहले 1998, 2003 और 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार कांग्रेस को जीत दिला चुकीं शीला ने कहा कि वह राजनीतिक तौर पर अहम उत्तर प्रदेश में ‘‘बडी लडाई’ के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्ता में कांग्रेस की वापसी की ‘‘मांग बढ रही है.’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी निष्ठा से जिम्मेदारी निभाने और प्रदर्शन में सुधार के लिए कांग्रेस की मदद करने को तैयार हूं. हम साथ मिलकर चुनाव लडेंगे. राज्य की सत्ता में कांग्रेस की वापसी की मांग बढ रही है.’ तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला को राष्ट्रीय राजधानी में मध्य वर्ग बहुत पसंद करता था.

शीला ने कहा कि प्रियंका और राहुल गांधी उत्तर प्रदेश चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन इस बाबत आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान को ही करना है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह एक बडी चुनौती है और मैं इसके लिए तैयार हूं. हम पूरी दृढता और आत्मविश्वास के साथ मतदाताओं के पास जाएंगे.’ दिसंबर 2013 में दिल्ली में मिली करारी हार के बाद शीला सक्रिय राजनीति से लगभग दूर ही थीं. संप्रग सरकार ने मार्च 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया था. अगस्त 2014 में उन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था.

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