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दिल्ली से रेस्क्यू कर रांची लायी गयीं पांच लड़कियां

रांची : ट्रैफिकिंग की शिकार पांच नाबालिग लड़कियों को दिल्ली से रेस्क्यू कर गुरुवार को रांची लाया गया है. इनमें खूंटी की एक, साहेबगंज की दो, पश्चिमी सिंहभूम की एक अौर गुमला की एक लड़की शामिल है. इन्हें छुड़ाने में बाल श्रमिक आयोग, भारतीय किसान संघ अौर एटसेक का योगदान रहा. इन लड़कियों को बहला-फुसला […]

रांची : ट्रैफिकिंग की शिकार पांच नाबालिग लड़कियों को दिल्ली से रेस्क्यू कर गुरुवार को रांची लाया गया है. इनमें खूंटी की एक, साहेबगंज की दो, पश्चिमी सिंहभूम की एक अौर गुमला की एक लड़की शामिल है.
इन्हें छुड़ाने में बाल श्रमिक आयोग, भारतीय किसान संघ अौर एटसेक का योगदान रहा. इन लड़कियों को बहला-फुसला कर दिल्ली ले जाया गया था, जहां इन्हें कई तरह की यातनाअों से गुजरना पड़ा. बाल श्रमिक आयोग की अध्यक्ष शांति किंडो, सदस्य संजय मिश्रा अौर महादेव हांसदा ने गुरुवार को आयोग कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इन लड़कियों की काउंसलिंग की गयी है. इनके पुनर्वास अौर शिक्षा की भी व्यवस्था की जा रही है. इन लड़कियों की शिक्षा के लिए संबंधित जिलों में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में एडमिशन के लिए निर्देश दिया गया है. इसके अलावा सभी लड़कियों को तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जायेगा. इसके लिए प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जायेगी.
कोयंबटूर से लाये गये 12 बच्चे : बाल श्रमिक आयोग के सदस्य संजय मिश्रा ने कहा कि कोयंबटूर से हाल ही में 12 बच्चों को रेस्कयू किया गया था. इन बच्चों को वापस उनके परिजनों के पास भेजा गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ एवं एटसेक के द्वारा पिछले पांच वर्षों में 785 बच्चों को वापस लाकर पुनवार्सित किया गया है.
गुस्से में दलाल के साथ दिल्ली चली गयी थी
रेस्क्यू की गयी लड़कियों में एक मोनिका सोरेन (बदलाहुआ नाम) ने कहा कि गांव में उसके परिजनों ने उसकी मरजी के खिलाफ शादी कर दी. जब उसने ऐतराज जताया, तो उसके सगे भाई ने कपड़े उतार कर उसकी पिटाई की. इससे खपा होकर वह एक दलाल के साथ दिल्ली चली गयी. दिल्ली में एक कोठी में उसे काम पर लगा दिया गया. वहां उसके साथ मारपीट की जाती थी. कोठी में रहनेवाले एक व्यक्ति ने उसके साथ गलत काम करने का प्रयास किया.
इन घटनाअों से टूट चुकी मोनिका अब न तो अपने घर वापस लौटना चाहती है अौर न ही दिल्ली. वह कहती है स्कूल में एडमिशन हो जाये, तो हम पढ़ाई करना चाहते हैं. उसका सपना नर्स बनने का है. ऐसी ही कहानी अन्य लड़कियों की भी है. गुमला की एक लड़की का एडमिशन कस्तूरबा गांधी स्कूल में नहीं हुआ, तो वह दलाल के चंगुल में फंस कर दिल्ली चली गयी. जहां वह घरेलू कामगार के रूप में काम कर रही थी.

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