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सड़कों पर निकलने से लगता है डर

बेबसी. बांका जिले में लाइलाज बन चुकी है महाजाम की समस्या बांका : बांका सहित जिले भर में जाम एक खतरनाक और लाइलाज मर्ज बनता जा रहा है. स्थिति यह है कि जिले में इन दिनों सड़कों के आधे हिस्से का ही उपयोग हो पा रहा है. वह भी पूरी जोखिम के साथ. इन्हीं स्थितियों […]

बेबसी. बांका जिले में लाइलाज बन चुकी है महाजाम की समस्या

बांका : बांका सहित जिले भर में जाम एक खतरनाक और लाइलाज मर्ज बनता जा रहा है. स्थिति यह है कि जिले में इन दिनों सड़कों के आधे हिस्से का ही उपयोग हो पा रहा है. वह भी पूरी जोखिम के साथ. इन्हीं स्थितियों की वजह से जिले में सड़क दुर्घटनाओं की रफ्तार बढ़ी है. रोज इस जिले की विभिन्न सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं. इन दुर्घटनाओं में यहां लोगों की जानें जा रही हैं. वही बहुतेरे लोग अपनी हड्डी तोड़वा कर अपंग हो रहे हैं.
जिले की शायद ही कोई ऐसी प्रमुख सड़क हो जो इन दिनों जाम की समस्या से नहीं जूझ रही. लोग त्राहिमाम कर रहे हैं और सड़कों पर निकलने से घबराते हैं. गांव की सड़क ही अब इस जिले में लोगों के लिए मुफीद और सुरक्षित रह गयी है. राजमार्ग पर लोग वाहन लेकर तो निकलना नहीं चाहते, पैदल चलने से भी कतराते हैं. यह समस्या जिले की किसी एक सड़क की नहीं, तमाम बड़ी सड़कों की है.
भागलपुर दुमका रोड, बांका देवघर रोड, बांका अमरपुर भागलपुर रोड ऐसी सड़कें हैं जो इस जिले में सर्वाधिक व्यस्त हैं. इन सड़कों का इस्तेमाल लोग पूरी तरह नहीं कर पा रहे. इस जिले में सड़कों के आधे हिस्से में दिनभर ट्रकों की लंबी कतार लगी रहती है. अमरपुर कजरेली मार्ग पर तो लगभग रोज महा जाम की स्थिति रहती है. यही स्थिति बल्कि इससे भी ज्यादा बदतर स्थिति भागलपुर दुमका रोड में है. महाराणा बांध से लेकर जगदीशपुर तक पिछले एक सप्ताह से ट्रकों की लंबी कतार लगी है जिससे महा जाम की समस्या उत्पन्न हो गई है.
बांका शहर भी इन दिनों जाम की समस्या की चपेट में आ चुका है. रात 9 बजने के बाद पूरे शहर की सभी सड़कें जाम हो जाती हैं. ट्रकों की लंबी कतारें इन सड़कों पर लग जाती हैं. इससे पहले दिनभर बांका से पहले कटोरिया रोड में कटेली मोड़ से ही जाम की स्थिति रहती है. उधर अमरपुर में भी बाजार का प्रमुख मार्ग जाम की चपेट में है.
जाम से निबटने का प्लान नहीं
भागलपुर या पटना जाना हो तो उन्हें जाम की वजह से 5 से 6 घंटे तक की देरी हो सकती है. और संभव है कि मरीज इलाज के बिना….. यानी कुछ भी हो सकता है. बांका शहर में जाम से निबटने के लिए पुलिस या प्रशासन के पास कोई प्लान नहीं है. ले देकर गांधी चौक या शिवाजी चौक पर 1-2 संतरी हाथ में डंडा लिए खड़े रहते हैं जो रात में 9 बजते ही वापिस हो जाते हैं. इसके बाद ही शुरु होता है शहर में जाम का सिलसिला जो देर रात तक बना रहता है. जाम में खड़ी ट्रकों के स्टार्ट होने की स्थिति में उनसे निकलने वाले धुएं और धूल से शहरवासी बीमार हो रहे हैं लेकिन इसकी फिक्र किसे है?

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