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आगे बढ़ते हुए आप विनम्र बने रहें
अपने लिए अर्जित समृद्धि के आधार पर खुद को सफल न समझें रतन टाटा जब आप इस दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपसे मेरी यह उम्मीद होगी कि आप नैतिक बने रहने पर गौर करें और उन मूल्यों को अपनाएं, जिन्हें आप इस देश द्वारा अपनाया जाता देखना चाहते हैं. यदि आप यह […]
अपने लिए अर्जित समृद्धि के आधार पर
खुद को सफल न समझें
रतन टाटा
जब आप इस दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपसे मेरी यह उम्मीद होगी कि आप नैतिक बने रहने पर गौर करें और उन मूल्यों को अपनाएं, जिन्हें आप इस देश द्वारा अपनाया जाता देखना चाहते हैं. यदि आप यह समझते हैं कि आप कोई बदलाव नहीं ला सकते, तो मैं यह कहना चाहूंगा कि अगरआप चाह लें, तो बहुत बदलाव ला सकते हैं. पढ़िए प्रेरक भाषण की आखिरी कड़ी.
मंच पर आसीन गणमान्य जन, माननीय अतिथिगण एवं छात्रों,आज आपके बीच यहां मौजूद होना अत्यंत सौभाग्य की बात है. यह मेरे लिए भी बड़े हैरत का मौका है, क्योंकि इस तरह के किसी संस्थान में ऐसा स्तर देखने की उम्मीद नहीं की जाती है; क्योंकि आपका यह संस्थान इस जिले के जितना ही विकसित और उच्चस्तरीय है तथा इन सबसे बढ़ कर, मुझे कुछ सर्वोत्तम प्रतिभाशाली युवाओं को संबोधित करने का अवसर मिला है, जो आगे न केवल अपने, बल्कि इस देश के भविष्य का नेतृत्व करेंगे. आज की इस सुबह आप काफी देर से बैठे हैं. इसलिए मेरी कोशिश होगी कि मैं अपनी बात थोड़े में कह सकूं.
किसी संस्थान से ग्रेजुएशन कर निकलते होनहार छात्रों, जो अब अपने कॉलेज के सुरक्षित परिवेश से बाहर दुनिया की हलचल में अपने रास्ते की तलाश करेंगे, को संबोधित करते वक्त क्या कहा जाये, यह किसी के लिए भी चिंतन का विषय होता है.
जैसा मैं समझता हूं, यहां से जाते हुए आप यह न सोचें कि आप एक ऐसी डिग्री के साथ जा रहे हैं, जो आपको विशिष्ट बनाती है. इस पल को आप इस तरह देखें कि आप एक सुरक्षित माहौल से निकल कर ऐसे माहौल में जा रहे हैं, जहां आपको सीखना तथा सुनना है, क्योंकि सीखना तथा सुनना ही आपकी पूरी दुनिया होने जा रही है. ऐसे में, आपकी सफलता आपकी विनम्रता में तब्दील हो जानी चाहिए.
अपने कितनी ही बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि यह अथवा वह ‘नहीं किया जा सकता.’ अब यह आपका दायित्व होने जा रहा है कि आप इस झूठे यकीन से बाहर निकल चीजों को कर दिखाएं. कई ऐसी चीजें जो इस देश में हुई हैं अथवा नहीं हुई हैं, हम उनसे रंज और दुखी रहते हैं. उन चीजों के लिए ‘हम नहीं कर सकते’ अथवा ‘इसे नहीं किया जा सकता,’ या यही बात कहने का सबसे बेहतर तरीका कि ‘इसे नहीं किया जाना चाहिए’ जैसी मानसिकता ही काफी हद तक जिम्मेवार रही है.आज नैतिक आचरणों को ताक पर रखते हुए मत-मतांतरों को उजागर किया जा रहा है.
आगे आनेवाले वक्त में आप इस देश के नेतृत्वकर्ता तथा इसके भविष्य-निर्माता होने जा रहे हैं.आप किसी ऐसे यकीन के साथ आगे न बढ़ें कि कोई चीज नहीं की जा सकती है और इसलिए वह नहीं की जानी चाहिए. कुछ पल रुक कर आप इस विश्व की महान कामयाबियों पर नजर डालें, उन महान कंपनियों अथवा व्यक्तियों को देखें, जिन्होंने जोखिम उठायीं, जिन्होंने गेराजों से शुरुआत करते हुए अपने विचारों पर काम आरंभ किया. माइक्रोसॉफ्ट का जन्म कहां हुआ, एप्पल का जन्म कहां हुआ, अमेजन, गूगल, फेसबुक कहां पैदा हुए? इनकी पैदाइश कुछ लोगों की ऐसे आइडिया से हुई कि कुछ किया जा सकता है और यह कि वे कोई बदलाव ला सकते हैं.
इसलिए जब आप इस दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं, तो आपसे मेरी यह उम्मीद होगी कि आप नैतिक बने रहने पर गौर करें तथा उन मूल्यों को अपनाएं, जिन्हें आप इस देश द्वारा अपनाया जाता देखना चाहते हैं. यदि आप यह समझते हैं कि आप कोई बदलाव नहीं ला सकते, तो मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर आप चाह लें, तो बहुत खूब बदलाव ला सकते हैं.
मैं यह भी चाहूंगा कि आगे बढ़ते हुए आप विनम्र बनें रहें. यदि आप एक नोबेल पुरस्कार विजेता से बातें करें अथवा उनकी बगल में बैठें, तो वे कभी आपको यह महसूस नहीं कराएंयेंगे कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार जीत रखा है; आपको उनके विषय में यह जानकारी तो दूसरे लोग देंगे. इसलिए विनम्रता को अपनी सबसे अच्छी सुरक्षा बनाएं.
आप हमेशा यह सोचते रहें कि आपको अच्छी शिक्षा का अवसर मिला, इसलिए आपको भी चाहिए कि आपने जो सीखा है, उससे समाज को कुछ वापस दें, अपने देश तथा समाज के लिए कुछ करें.
आप अपने लिए अर्जित समृद्धि के आधार पर खुद को सफल न समझें, बल्कि तब समझें जब आप रातों को घर लौटते वक्त यह संतुष्टि महसूस करें कि आप कोई बदलाव ला सके हैं. बदलाव एक ऐसी चीज है, जिसे हममें से प्रत्येक व्यक्ति ला सकता है. हमें विफलता मिलेगी, हमें निराशा हाथ लगेगी, मगर अपनी चहुंओर की दुनिया, स्वयं और भारत की जनता के प्रति हमारी यही प्रतिबद्धता होनी चाहिए.
इसके साथ ही मैं अपना संबोधन यह कहते हुए समाप्त करना चाहूंगा कि आपके संस्थान ने जो कुछ किया है, उसके चंद नमूने देख कर मुझे बहुत खुशी हुई है. मैं आपके जीवन के इस अहम मोड़ पर आपके तथा आपके पीछे लगे लोगों और छात्रों सबकी महानतम कामयाबी की कामना करता हूं. मेरी शुभेच्छा है कि आप अपने कार्यों से इस देश को गौरवान्वित करें. भविष्य आपके हाथों में है.
आपको बहुत धन्यवाद.
(यह भाषण 10 नवंबर, 2013 को राजारामबापू इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सांगली, महाराष्ट्र में प्रथम दीक्षांत समारोह के अवसर पर दिया गया था.)
अनुवाद : विजय नंदन
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