लखनऊ : उत्तर प्रदेश के 26 साल के वनवास को समाप्त करने के लिए कांग्रेस ने चुनावी जादूगर प्रशांत किशोर को कमान सौंपी है जिसका असर धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है. कांग्रेस ने अब प्रदेश में ‘पीके’ फॉर्मूले पर चलते हुए ब्राह्मण कार्ड खेला है. खबर है कि शीला दीक्षित को सूबे का ‘सीएम कैंडिडेट’ कांग्रेस बनायेगी जिसका एलान आज शाम कर दिया जाएगा. दिल्ली में मुख्यमंत्री के तौर पर 15 साल बिताने वाली शीला दीक्षित अपने काम के लिए पहचानी जातीं हैं और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में उनपर भरोसा दिखाया है. इससे साफ है कि युवाओं की जगह पार्टी ने अनुभवियों पर भरोसा जताया है.
आइए जानते हैं शीला दीक्षित से जुड़ी खास बातें, आखिर क्यों कांग्रेस के भरोसे पर खरा उतरी हैं दिल्ली की पूर्व सीएम…
1. शीला दीक्षित का जन्म कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ और इन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की.
2. दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री लेने के बाद शीला ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि ग्रहण की.
3. शीला दीक्षित के पति विनोद दीक्षित आईएएस थे. उनका एक बेटा संदीप दीक्षित और एक बेटी लतिका सईद है. संदीप दीक्षित राजनीति में सक्रिय हैं.
4. 1984 से 1989 तक शीला दीक्षित ने सांसद के रूप में उत्तर प्रदेश के कन्नौज संसदीय क्षेत्र के लोगों कर सेवा की. वह देश की पहली ऐसी महिला हैं, जो लगातार तीन बार मुख्यमंत्री के रुप में चुनीं गईं.
5. शीला दीक्षित की पहचान दिल्ली की पहली महिला सीएम के रुप में भी है.
6. 1990 में शीला ने अपने 82 साथियों के साथ महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था जिसके बाद उन्हें उनके 82 साथियों के साथ 1990 में 23 दिन जेल में बिताना पड़ा था.
7. यूपी के प्रमुख कांग्रेसी नेता स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के परिवार से शीला दीक्षित का संबंध है. उमाशंकर दीक्षित केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ राज्यपाल भी रहे थे.
8. शीला दीक्षित का संबंध ब्राह्मण समुदाय से है यही कारण है कि ब्राह्मण वोट बैंक पर सेंध लगाने के इरादे से कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा है. प्रदेश में इस समय 10 से 12 फीसदी ब्राह्मण वोट है. ब्राह्मण कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं और ऐसा माना जाता है कि जिन्होंने अब भाजपा और बसपा का रुख कर लिया है.