देवघर:देवघर वन प्रमंडल की डीएफओ ममता प्रियदर्शी पर सीएफ जेपीएन सिन्हा द्वारा विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा पर कई सवाल उठने लगे हैं. लोगों की माने तो अधिकारियों को हतोत्साहित करने का ब्लेमगेम यहां काफी पुराना है. आखिर पालोजोरी के जिस मेसर्स एसपी सॉ आरा मिल व बांधडीह गांव से गायब लकड़ी के मामले में डीएफओ पर सीएफ ने कार्रवाई की अनुशंसा की है, दरअसल उक्त आरा मिल पर फिलहाल ताला लटका हुआ है.
यही नहीं, बांधडीह गांव में डीएफओ द्वारा जब्ती की कार्रवाई के बाद जिम्मानामा दिये गये गोल लकड़ी व जलावन लकड़ी भी गांव में पड़ा हुआ है. डीएफओ ने अपने आरोप-पत्र में यह भी उल्लेख किया कि एसीएफ द्वारा मेसर्स एसपी सॉ आरा मिल में पंजी समेत अन्य अभिलेख की करायी गयी जांच स्टॉक से .164 घन मीटर लकड़ी अधिक पाये जाने पर आरा मिल को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही कोई लाइसेंस भी आरा मिल को रेन्युअल नहीं किया गया है. बावजूद इसके डीएफओ पर प्रपत्र क जैसी विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा करना सवालों के घेरे में बताया जा रहा है. यह कार्रवाई रहस्य बना हुआ है. हालांकि डीएफओ ने भी मीडिया को दिये गये पक्ष में कार्रवाई को लेकर सवाल उठाया था कि उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है . इसमें नियमों की कहां अवहेलना हुई यह तो जांच का विषय है पर आनन-फानन में कार्रवाई की प्रक्रिया अभी तक पहेली बना हुआ है .
पीसीसीएफ तक पहुंचा मामला : सूत्रों के अनुसार पालोजाेरी के आरा मिल का यह प्रकरण अब वन विभाग के राज्य स्तर के उच्च पदाधिकारी पीसीसीएफ तक पहुंच चुका है. इस मामले में पीसीसीएफ ने भी पूरी जानकारी अपने स्तर से प्राप्त की है. जल्द ही पीसीसीएफ भी देवघर पहुंचकर पूरे मामले से अवगत हो सकते हैं.
मेसर्स एसपी सॉ आरा मिल के निलंबित होने की कोई लिखित सूचना मेरे कार्यालय तक नहीं पहुंची है. आरसीसीएफ ने निरीक्षण में आरा मिल के खिलाफ जो गड़बड़ियां पायी है, उस अनुसार आरा मिल को पूरी तरह उखाड़ देना था. चूंकि जब्त लकड़ी भी आरा मिल का ही है.
– जेपीएन सिन्हा, सीएफ, देवघर