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बिन पढ़ाई परीक्षा की तैयारी

सुस्ती. पांच माह बाद भी स्कूलों में नहीं आयी किताब, सितंबर में होगी परीक्षा 3,59111 जिले में कक्षा एक से आठ तक पढ़नेवाले छात्रों की है संख्या 1,78889 बच्चों को ही मिल पायी है पुस्तक एक तरफ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सूबे की सरकार हर तरह के संसाधनों को उपलब्ध कराने का दावा कर रही […]

सुस्ती. पांच माह बाद भी स्कूलों में नहीं आयी किताब, सितंबर में होगी परीक्षा

3,59111
जिले में कक्षा एक से आठ तक पढ़नेवाले छात्रों की है संख्या
1,78889
बच्चों को ही मिल पायी है पुस्तक
एक तरफ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सूबे की सरकार हर तरह के संसाधनों को उपलब्ध कराने का दावा कर रही है. लेकिन, हकीकत इससे काफी अलग है. पांच माह बीत जाने के बाद भी स्कूलों में किताबें तक नहीं आयीं हैं और परीक्षा विभाग सितंबर में होनेवाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारियों में जुट गया है. बिना किताब के कैसे छात्र परीक्षा की तैयारी करेंगे यह प्रश्न है.
बक्सर : जिले में कक्षा एक से लेकर आठ तक के बच्चों की पढ़ाई शुरू हुए पांच महीने बीत गये हैं,
पर अब तक स्कूलों में किताब नहीं पहुंची है. वहीं, राज्य सरकार के निर्देश पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत पढ़नेवाले बच्चों की सितंबर माह में अर्ध वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा भी ली जायेगी. लेकिन, जिले में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में अब तक कई किताबें नहीं आयी हैं. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावा को राज्य सरकार कैसे पूरा करेगी. पिछले पांच महिनों से बिना किताबों के पढ़ रहे बच्चे आखिर कैसे अर्द्ध वार्षिक परीक्षा की तैयारी करेंगे यह प्रश्न है.
जिले में कुल एक हजार 176 स्कूल हैं : विभागीय आंकड़ों के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुल एक हजार 176 स्कूल संचालित हैं. इन स्कूलों में पढ़नेवालों बच्चों की संख्या तीन लाख 59 हजार 111 हैं, लेकिन अब तक मात्र एक लाख 78 हजार 889 बच्चों को ही पुस्तकें मिल सकी हैं. सूत्रों के अनुसार कक्षा एक, दो और आठ तक की कक्षाओं में एक भी बच्चे को पुस्तक नहीं मिल सकी है.
दो माह बाद होगी अर्ध वार्षिक परीक्षा : राज्य सरकार के निर्देश पर सितंबर माह में अर्ध वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा ली जायेगी. इसके लिए जिले से उत्तर पुस्तिका की प्रखंडवार अधियाचना विभाग को सौंपी जा चुकी है. अधियाचना में जिले के सभी प्रखंडों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की सूची, मूल्यांकन के लिए आवश्यक विषयों के प्रश्न-पत्र एवं उत्तर पुस्तिका की मांग का प्रतिवेदन तैयार कर विभाग को भेज दिया गया है.
बिना किताबों के ही पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे : सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान की किताबें नहीं आयीं हैं. ऐसे में छात्र बिना किताबों के ही पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षक बच्चों को कुछ सामान्य ज्ञान और बेसिक विषयों की जानकारी दे रहे हैं. सरकार के नये प्रावधान के तहत छात्रों का छमाही परीक्षा लिये जाने की तैयारी की जा रही है. बच्चों ने बताया कि वह पिछले पांच माह से बिना किताब के पढ़ने को विवश हैं. स्कूल नहीं आने पर शिक्षक दबाव बनाते हैं. यदि किताबें ही नहीं मिलेंगी, तो स्कूल आने का क्या मतलब है.
शिक्षकों ने कहा बिना किताब के कैसे पढ़ाएं : मामले की पड़ताल के लिए जब प्रभात खबर की टीम स्थानीय रामरेखा घाट स्थित कस्तूरबा मध्य विद्यालय पहुंची, तो एक और मामला सामने आया. नाम नहीं बताने की शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि जिन कक्षाओं में किताबें मिली भी उनमें से 25 प्रतिशत किताबें उपलब्ध नहीं करायी गयीं. अर्थात मांग की अपेक्षा 75 प्रतिशत बच्चों के लिए ही किताबें विभाग द्वारा भेजी गयीं हैं. ऐसे में बच्चों को बेहतर शिक्षा कैसे प्रदान कर सकते हैं.
शिक्षा मंत्री ने बच्चों के साथ बिताया था आधा घंटा : सोमवार को जिले में शिक्षा व्यवस्था की जांच करने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी चौसा प्रखंड के डेहरी गांव स्थित उच्च विद्यालय में गये. करीब आधा घंटा तक उन्होंने बच्चों के साथ कक्षाओं में बैठ कर शिक्षकों की पढ़ाने के तौर-तरिकों का जायजा लिया. लेकिन, उन्होंने विभाग की उदासीनता को लेकर बिना किताब के पढ़ने को विवश बच्चों से आगामी अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा की तैयारी के बारे में नहीं पूछा.
क्या कहते हैं अधिकारी :
हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है. हमें जो निर्देश मिलता है, बस उसी का पालन करना है. फिलवक्त वर्तमान स्थिति के बारे में विभाग के पास प्रतिवेदन भेजा गया है. किताबों की मांग व उनकी उपलब्धता से भी अवगत करा दिया गया है.
मो सईद अंसारी, डीपीओ, सर्व शिक्षा अभियान, बक्सर

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