पटना : सरकारी अस्पतालों में नियुक्त किये गये आयुर्वेद के डाॅक्टरों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इमरजेंसी की ड्यूटी करायी रही है. जिला के सिविल सर्जन या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी द्वारा मौखिक रूप से आयुर्वेद के डाॅक्टरों से एलोपैथ की दवाएं लिखवाते हैं और साथ ही इमरजेंसी की ड्यूटी लेते हैं.
आयुष मंत्रालय ने जिलों को देसी चिकित्सकों से एलोपैथ की दवाएं नहीं लिखने व इमरजेंसी ड्यूटी नहीं लेने को लेकर पत्र भी लिखा है. आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ मधुरेंदु पांडेय ने बताया कि सरकार की जानकारी में यह खेल चल रहा है. शाम में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अक्सर आयुष डाॅक्टर इमरजेंसी ड्यूटी करते मिल जायेंगे. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में यह बात सारे अधिकारियों की जानकारी में है, इसके बावजूद कोई पहल नहीं हो रही है.
राज्य में आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए 2010 में 1384 चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी थी. फिर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी शुरू किया गया. उस समय निर्णय किया गया था कि आयुष डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने में सहयोग लिया जायेगा. उस वक्त ओपीडी सेवा शुरू करने के लिए 50-50 हजार की दवाएं खरीद कर भेजी गयी थी.
आयुष दवाओं के लिए 5.87 करोड़ का बजट
वर्ष 2014-15 से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राज्य में आयुष दवाओं के लिए पांच करोड़ 87 लाख के बजट का प्रावधान किया गया. विगत दो वर्षों से एक भी आयुष की दवाएं नहीं खरीदी गयीं. इधर दवाओं के अभाव में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुष चिकित्सक एलोपैथ की दवा लिखते हैं. बिना किसी लिखित आदेश के उनसे इमरजेंसी ड्यूटी ली जाती है. आश्चर्य तो यह है कि सभी जिलों में देसी चिकित्सा पदाधिकारियों की नियुक्ति की गयी है, पर ये सभी निष्क्रिय पड़े हुए हैं.
अवैध काम खुद करा रही है सरकार
यह अवैध काम सरकार खुद करा रही है. एक तरफ सरकार कहती है कि आयुष चिकित्सकों को अपनी विधा छोड़ दूसरी विधा में काम नहीं करना है. एसोसिएशन को ऐसी शिकायतें हर माह मिलती हैं. प्रभारी व सिविल सर्जन दबाव डाल कर आयुष चिकित्सकों से इमरजेंसी ड्यूटी और एलोपैथ दवा लिखाने का काम कर रहे हैं. इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए.
– डाॅ मधुरेंदु पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष