टॉपर घोटाला . मूल्यांकन में शामिल जिले के दर्जनों शिक्षकों पर गाज गिरना तय
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सुपौल में रखी गयी थी घोटाले की नींव
टॉपर घोटाला . मूल्यांकन में शामिल जिले के दर्जनों शिक्षकों पर गाज गिरना तय सूबे में हुए टॉपर घोटाला में शामिल बिहार बोर्ड के कई पूर्व व वर्तमान अधिकारी सहित शिक्षा माफिया जेल की सलाखों में बंद हैं. वहीं इस घोटाले को लेकर जिले के दर्जनों शिक्षकों के विरुद्ध भी कार्रवाई तय मानी जा रही […]
सूबे में हुए टॉपर घोटाला में शामिल बिहार बोर्ड के कई पूर्व व वर्तमान अधिकारी सहित शिक्षा माफिया जेल की सलाखों में बंद हैं. वहीं इस घोटाले को लेकर जिले के दर्जनों शिक्षकों के विरुद्ध भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. क्याेंकि वैशाली जिले के मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन सुपौल में किया गया था.
सुपौल : टॉपर घोटाले की बुनियाद सुपौल में काॅपी के मूल्यांकन के दौरान रखी गयी थी. इस बात का खुलासा बिहार बोर्ड के आदेश पर किये गये पुनरीक्षण (स्क्रूटनी) के बाद हुआ है. ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि यहां वैशाली जिले के मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन किया गया था. मूल्यांकन के दौरान सदर एसडीओ ने परीक्षकों द्वारा की जा रही गड़बड़ी पकड़ी गयी थी. जिसके बाद बवाल हुआ और अंतत: एसडीओ के मूल्यांकन केंद्र के भीतर प्रवेश पर रोक लगा दी गयी थी.
जानकारी के अनुसार मूल्यांकन के दौरान परीक्षक द्वारा दिये गये अंक और पुनरीक्षण के बाद प्राप्त अंक में काफी अंतर सामने आ रहा है. वहीं प्रत्येक काॅपी में अंदर के अंक और कुल प्राप्तांक में भी भिन्नता है. इतना ही नहीं पुनरीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आ रही है कि परीक्षकों ने छात्रों द्वारा लिखे गये गलत उत्तर में भी अंक दिया. मालूम हो कि सुपौल जिले के दो हजार मैट्रिक परीक्षार्थियों ने बिहार बोर्ड को स्क्रूटनी के लिए अपना आवेदन समर्पित किया है.
वहीं दूसरी ओर सुपौल जिले में जिन छात्रों के काॅपी की जांच की गयी है. वहां के सात हजार परीक्षार्थियों ने स्क्रूटनी के लिए अपना दावा पेश किया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के विशेष दूत द्वारा बुधवार को जिले के मूल्यांकन केंद्र पहुंच कर कुछ विषयों की काॅपी को सील बंद कर पटना बोर्ड पहुंचाने के लिए ले जाया गया है, जबकि शेष विषयों की काॅपी को दो-तीन दिनों के अंदर ले जाने की तैयारी की जा
रही है.
बोर्ड के इस कार्रवाई से जिले के परीक्षकों में हड़कंप है. क्योंकि मैट्रिक परीक्षा के मूल्यांकन के दौरान बिहार बोर्ड के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए काॅपी का मूल्यांकन किया गया था. यही वजह है कि अभी तक मैट्रिक बोर्ड के परीक्षकों को पारिश्रमिक का भुगतान भी नहीं किया गया है. विदित हो कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मैट्रिक परीक्षा 2016 के काॅपियों के मूल्यांकन को लेकर जिला मुख्यालय के विलियम्स उच्च माध्यमिक विद्यालय, सुपौल व हजारी उच्च माध्यमिक विद्यालय, गौरवगढ़ सुपौल को मूल्यांकन केंद्र बनाया गया था तथा दोनों विद्यालय के प्राचार्य को केंद्र निदेशक की जवाबदेही सौंपी गयी थी.
कई परीक्षकों पर गिर सकती है गाज : बिहार बोर्ड द्वारा नियुक्त किये गये कई प्रधान परीक्षक व परीक्षकों ने बिहार बोर्ड के आदेश का उल्लंघन कर मूल्यांकन केंद्र पर योगदान नहीं किया. इसके कारण कई विषयों में परीक्षकों की कमी हो गयी. जिले के दोनों मूल्यांकन केंद्र पर लगभग छह सौ परीक्षकों ने मूल्यांकन का कार्य किया. मूल्यांकन केंद्र निदेशक द्वारा स्थानीय स्तर पर परीक्षकों के नियुक्ति में भी नियम एवं दिशा निर्देश का उल्लंघन किया गया. परीक्षकों की नियुक्ति में केंद्र निदेशक द्वारा न तो शिक्षकों के वरीयता का ख्याल रखा गया और न ही शिक्षकों नियुक्ति के विषय को ही आधार बनाया गया.
एक ही परीक्षक से दो-दो विषयों के काॅपी की जांच करवायी गयी. उर्दू के शिक्षक द्वारा अंग्रेजी व संस्कृत के काॅपी की जांच की गयी, जबकि हिंदी के शिक्षक ने समाजिक विज्ञान की काॅपियों का मूल्यांकन किया. शिक्षकों ने भी मूल्यांकन केंद्र निदेशक को अपने दिये गये आवेदन में भी अपने विषय को छिपा कर दूसरे विषयों की काॅपी जांच करने के लिए नियुक्ति पत्र प्राप्त कर लिया. स्क्रूटनी के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. काॅपी के अंदर में दिये गये अंक व ऊपरी भाग में किये गये कुल अंक में अंतर पाया गया है.
दिशा-निर्देशों का हुआ उल्लंघन
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने काॅपी जांच के लिए जिले के माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों को प्रधान परीक्षक व परीक्षक नियुक्त किया था, लेकिन बोर्ड द्वारा नियुक्त परीक्षकों में बड़े पैमाने पर बोर्ड के दिशा निर्देश का उल्लंघन किया गया. जिले के कई वरीय शिक्षक को परीक्षक नहीं बना कर कनीय व नियोजित शिक्षक को परीक्षक बनाया गया. इतना ही नहीं परीक्षक नियुक्त करने में विषय को भी नजर अंदाज किया गया.
सबसे दिलचस्प बात यह है कि मूल्यांकन केंद्र निदेशक द्वारा परीक्षकों की रिक्ति के विरुद्ध वैकल्पिक व्यवस्था के तहत परीक्षक नियुक्त करने में मनमानी रवैया अपनाया गया. बोर्ड का स्पष्ट निर्देश था कि मूल्यांकन केंद्र निदेशक संबंधित डीइओ की सहमति से आकस्मिता की स्थिति में योग्य परीक्षक की वैकल्पिक नियुक्ति करेंगे, लेकिन केंद्र निदेशक द्वारा न तो रिक्ति का खयाल रखा गया और न ही शिक्षक के नियुक्ति के विषय को ध्यान में रखा गया.
एसडीओ ने पकड़ी थी गड़बड़ी
स्वच्छ व गुणवत्तापूर्ण उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए बिहार बोर्ड ने डीएम की देखरेख में मूल्यांकन का कार्य संपन्न कराने का निर्देश दिया था. मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन अवधि में सीसीटीवी कैमरा केंद्र के बाहर एवं मूल्यांकन कक्ष में लगाने का निर्देश दिया गया था. सीसीटीवी कैमरा का प्रसारण डीएम के जिला नियंत्रण कक्ष अथवा उनके द्वारा प्रतिनियुक्त पदाधिकारी के समक्ष करने का निर्देश दिया गया था.
मूल्यांकन केंद्र पर मूल्यांकन अवधि के लिए दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल की भी व्यवस्था की गयी थी. जिला मुख्यालय स्थित विलियम्स उच्च विद्यालय मूल्यांकन केंद्र पर सदर एसडीओ ने निरीक्षण के दौरान कई परीक्षकों को बिना काॅपी जांच किये ही सीधे मूल पृष्ठ पर अंक देते पकड़ा था, लेकिन मूल्यांकन में शामिल सभी परीक्षकों ने एकजुट होकर मूल्यांकन कार्य को बहिष्कार करते हुए डीएम से मिल कर एसडीओ को मूल्यांकन केंद्र पर जाने पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था. जिसके बाद एसडीओ ने भी मूल्यांकन केंद्र पर जाने से परहेज किया और परीक्षकों के द्वारा मनमाने तरीके से काॅपियों की जांच पूरी की गयी.
मूल्यांकन में शामिल जिले के दर्जनों शिक्षकों पर गाज गिरना तय
मूल्यांकन के दौरान एसडीओ ने गड़बड़ी करते परीक्षकों को रंगे हाथ पकड़ा
सात हजार परीक्षार्थियों ने गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए स्क्रूटनी के लिए दिया आवेदन
स्क्रूटनी के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य उभर कर आ रहे हैं सामने
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