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अब तालाब बने मैदान

शहर के उत्तरी इलाके में तीन तालाब थे, जो उस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की जरूरतों को पूरा करते थे़ जब से तालाबों को भरा जाने लगा है, तब से समस्याएं उत्पन्न होने लगी है़ रेलवे ने 10 एकड़ में फैले तालाब को भर दिया, तो पानी निकासी की समस्या उत्पन्न हो गयी़ यही हालत […]

शहर के उत्तरी इलाके में तीन तालाब थे, जो उस क्षेत्र में रहनेवाले लोगों की जरूरतों को पूरा करते थे़ जब से तालाबों को भरा जाने लगा है, तब से समस्याएं उत्पन्न होने लगी है़ रेलवे ने 10 एकड़ में फैले तालाब को भर दिया, तो पानी निकासी की समस्या उत्पन्न हो गयी़ यही हालत सलीम शाह सुरी व निसान सिंह लाइब्रेरी के पास स्थित तालाबों भी है. इनका अतिक्रमण हो रहा है.
सासाराम (नगर) : शहर में पानी की किल्लत बहुत पुरानी समस्या है़ पहले यहां रहनेवाले लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी संख्या में तालाब व कुएं थे़ 1956 में पहली बार घरों में पानी की आपूर्ति के लिए जलमीनार की स्थापना हुई.
उस समय शहर में मात्र 12 वार्ड थे. शहर का उत्तरी क्षेत्र लगभग खाली थी. 1970 के आस-पास गौरक्षणी में तेजी से बसावट शुरू हुई. पानी की सप्लाई का इंतजाम उस समय की नगर पालिका ने किया था. लेकिन, उसके उपभोक्ता काफी कम थे. कारण था तालाब से जरूरत पूरी हो जाती थी. नालियों की जरूरत काफी कम महसूस हुई.
एक गजराढ़ नाला ही पुराना बना था जो अभी भी है़ लोगों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेलवे लाइन के किनारे के बहुत बड़ा तालाब था़ इसके अलावा तकिया में सलीम शाह सुरी मकबरा का तालाब व बाबू निशान सिंह लाइब्रेरी के समीप का बड़ा तालाब पीने के पानी व जल निकासी दोनों का काम करते थे. कालांतर में इन तालाबों के भरे जाने से पीने का पानी व गंदा पानी निकासी दोनों तरह की समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं.
दो बड़े तालाबों पर भी खतरा
दिन प्रतिदिन सलीम शाह सुरी तालाब तकिया व निशान सिंह लाइब्रेरी के समीप के तालाब की परिधि सिकुड़ती जा रही है. इन दोनों तालाबों में पानी ग्रहण की क्षमता कम होते जा रही है. कई मकान तालाब के किनारों को भर कर बना दिया गया है़ इसके कारण मुहल्लों में जलजमाव की समस्या उत्पन्न होने लगी है.
आंदोलन की हो रही तैयारी
रेलवे के तालाब के किनारे बसे मुहल्लों के निवासी दीप कुमार, लालचंद सिंह, राजेश कुमार, सुरेंद्र कुमार आदि ने कहा कि जल निकासी की व्यवस्था के लिये कई बार डीएम व नगर पर्षद से गुहार लगायी जा चुकी है. रेलवे व जिला प्रशासन ने अपनी अपनी भूमि की मापी कर ली है.15 दिनों के अंदर जल निकासी की व्यवस्था नहीं हुई तो सड़क जाम, कलेक्ट्रेट व नगर पर्षद कार्यालय का घेराव जैसे आंदोलन किये जायेंगे.
रेलवे ने भरा 10 एकड़ का तालाब
रेलवे फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण शुरू होने के बाद नयी लाइने बिछायी जा रही है. इसमें रेलवे ने अपनी जमीन का उपयोग किया और तालाब को भर दिया़ तालाब में मिट्टी डालने से इलाके का पानी रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ने लगा. लोगों के घरों की नालियां जाम हो गयी. सड़क पर जलजमाव से आना जाना भी मुश्किल हो गया है. करीब 10 एकड़ में फैले तालाब को मिट्टी से भर दिया गया है.

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