10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अफसरों ने 589 करोड़ का नुकसान पहुंचाया

रांची: राज्य के तीन जिलों (रामगढ़, धनबाद, पाकुड़) के माइनिंग अफसरों ने सरकार को 589.52 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. इनमें से 446 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ रामगढ़ जिले में कोयले से मिलनेवाले राजस्व में हुआ है. जिला खनन कार्यालय और वाणिज्यकर विभाग के आंकड़ों के मिलान के दौरान सरकार को […]

रांची: राज्य के तीन जिलों (रामगढ़, धनबाद, पाकुड़) के माइनिंग अफसरों ने सरकार को 589.52 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. इनमें से 446 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ रामगढ़ जिले में कोयले से मिलनेवाले राजस्व में हुआ है. जिला खनन कार्यालय और वाणिज्यकर विभाग के आंकड़ों के मिलान के दौरान सरकार को हुए इस नुकसान की जानकारी मिली है. मामले के पकड़ में आने के बाद प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने सरकार को इससे संबंधित रिपोर्ट भेज दी है.

पीएजी द्वारा सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि रामगढ़ खनन कार्यालय के अधीन वेस्ट बोकारो कोलियरी द्वारा वर्ष 2008-09 से 2014-15 तक की अवधि में दिये गये रिटर्न व वाणिज्यकर विभाग में दिये गये ब्योरे का मिलान किया गया. जिला खनन कार्यालय में दाखिल किये गये रिटर्न में कोयले की कीमत 1600 रुपये एमटी, जबकि वाणिज्यकर कार्यालय में दाखिल ब्योरे में 4000 रुपये एमटी बतायी गयी. ऑडिट के दौरान इस बात की भी जानकारी मिली कि इस कोलियरी से 2008-15 तक की अवधि में विभिन्न ग्रेड के कुल 220.98 लाख एमटी कोयले की बिक्री की गयी.
इसमें 152.65 लाख एमटी मिडलिंग, 53.84 लाख एमटी टेलिंग और 14.49 लाख एमटी रिजेक्टस कोल शामिल है. इन सभी प्रकार के कोयले की कीमत 5189.59 करोड़ रुपये थी. माइंस एंड मिनरल्स डेवलपमेंट रेगुलेशन एक्ट(एमएमडीआर) में निहित प्रावधानों के तहत इतने मूल्य के कोयले पर 602.04 करोड़ रॉयल्टी की वसूली की जानी चाहिए थी, जबकि 324.64 करोड़ रुपये की ही वसूली की गयी. अर्थात जिला खनन पदाधिकारी ने कोलियरी को 277.4 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया. इस राशि पर 168.81 करोड़ रुपये का सूद देय है. इस तरह सिर्फ एक कोलियरी से सरकार को 446.21 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ.
धनबाद और पाकुड़ के 58 लीज धारकों के रिटर्न की हुई जांच
पीएजी की रिपोर्ट में धनबाद और पाकुड़ जिले की चर्चा करते हुए कहा गया है कि इन जिलों में कोयला के 58 लीज धारकों द्वारा दाखिल किये गये रिटर्न की जांच की गयी. जांच के दौरान पता चला कि इन लीजधारकों ने इस अवधि में 93.91 लाख मीट्रिक टन कोयले की बिक्री की है. जबकि लीज धारकों से 316.72करोड़ रुपये की रॉयल्टी वसूली होनी चाहिए थी. वहीं जिला खनन पदाधिकारियों ने सिर्फ 173,41 करोड़ रुपये की रॉयल्टी वसूल कर सरकार को 143.31 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें