रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने पश्चिम बंगाल के लिए वित्त वर्ष 2015-16 में मनरेगा के तहत 22 करोड़ 19 लाख श्रम दिवस का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन राज्य ने लक्ष्य को पीछे छोड़ते हुए इस वित्त वर्ष में 28 करोड़ 65 लाख श्रम दिवस तैयार कर एक रिकॉर्ड बना डाला, जो श्रम बजट का 129 प्रतिशत है. 2014-15 वित्त वर्ष में सौ दिन रोजगार के तहत राज्य में 16 करोड़ 96 लाख श्रम दिवस तैयार हुआ था.
अर्थात एक वर्ष के दौरान राज्य ने लगभग 12 करोड़ अधिक श्रम दिवस का सृजन करने में सफलता हासिल की है. 2015-16 वित्त वर्ष के बजट में इस परियोजना के लिए 150 करोड़ रुपये मंजूर किया गया था. इस परियोजना के अंतर्गत आैसतन प्रत्येक परिवार ने 46 दिन काम पाया है. इसमें 196 रुपये मजदूरी मिलती है. सौ दिन रोजगार परियोजना के तहत ग्रामीण इलाकों में स्थायी संसाधन तैयार करने पर जोर दिया जाता है. सड़क व बांध का निर्माण, जलाश्य का निर्माण व मरम्मत, वृक्षारोपण इत्यादि के साथ-साथ घरों में शौचालय तैयार करना, आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण जैसे काम इस परियोजना के तहत पूरे किये जाते हैं.