नयी दिल्ली : सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए बड़ी भूमिका की वकालत करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज महिला बटालियन बनाने और महिलाओं को युद्धक पोत पर तैनात करने का विचार व्यक्त किया . उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में महिला लडाकू पायलटों को शामिल करने के बाद से ‘‘मनोवैज्ञानिक बाधा’ दूर हो गई है.
पर्रिकर ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने और सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देने पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत झांसी की रानी और दुर्गा जैसी महिलाओं का देश है लेकिन कई कारणों से महिलाओं को दूर रखा जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं रक्षा मंत्री बना था तो मैंने सोचा कि हमें सामरिक पहल करने की जरुरत है.’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में मुख्यत: पुरुषों का वर्चस्व है.
अगर सेना और नौसेना को महिलाओं की भूमिका के लिए खोल दिया जाता है तो अमेरिका और इस्राइल सहित विश्व के उन देशों में भारत शामिल हो जाएगा जहां इस तरह की व्यवस्था है. फिक्की एफएलओ की तरफ से आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का विचार है कि सैनिक एक महिला कमांडिंग अधिकारी की बात नहीं सुनेंगे क्योंकि उन्हें ऐसा करने का प्रशिक्षण नहीं होता. मैं इससे सहमत नहीं हूं क्योंकि आज एकमात्र बाध्यता ढांचागत सुविधा की है.’
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं लडाकू भूमिका में भी हो सकती हैं. पूरी महिला टीम, महिलाओं की बटालियन क्यों नहीं हो सकती. इसलिए पुरुषों की टीम का नेतृत्व महिला अधिकारियों के करने के सवाल पर अगर शुरुआती विरोध की बात है तो इसका भी ध्यान रखा जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे समझ में नहीं आता कि हम महिलाओं को जहाज पर तैनात क्यों नहीं कर सकते. इस चरण में मैं पनडुब्बी अभियान में उनकी भूमिका का समर्थन नहीं करुंगा क्योंकि पनडुब्बी का डिजाइन एकल लिंगी या कर्मियों के लिए एक ही क्षेत्र का होता है. महिलाओं के लिए अलग क्षेत्र नहीं होता.’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जहाज में बदलाव किया जा सकता है और नये जहाज में महिलाओं के लिये सुविधाओं का इंतजाम किया जा सकता है.’ उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों को एनडीए के माध्यम से शामिल करने का सवाल भी है.
उन्होंने कहा कि पूरे देश में मांग हो रही है कि सैनिक स्कूलों में लडकियों की भी पढाई हो. उन्होंने कहा, ‘‘इसे बेतुके तरीके से नहीं किया जा सकता है.’ पर्रिकर ने कहा कि महिलाओं की भूमिका बढाने को लेकर जल्द ही वह सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ बैठक करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘मैं महिला अधिकारों, सशक्तिकरण में विश्वास करता हूं लेकिन मेरा मानना है कि बदलाव धीरे…धीरे होना चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसे नहीं करेंगे तो समस्याएं आएंगी.’ पर्रिकर ने कहा कि निकट भविष्य में वह सभी बलों के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे.
बहरहाल पर्रिकर ने कहा कि सशस्त्र बलों के मुख्य कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बगैर महिलाओं के लिए ‘‘ठोस कार्य’ किया जाएगा. रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘‘मनोवैज्ञानिक बाधा’ को पार कर लिया गया है और सबसे आसान भारतीय वायुसेना थी क्योंकि सामान्यत: वे अग्र सक्रिय और आगे की सोचने वाले होते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आईएएफ प्रमुख ने जब महिला पायलटों को बल में शामिल करने पर चर्चा की तो मैंने तुरंत कहा कि फाइल भेज दीजिए. लेकिन मैंने यह महसूस नहीं किया कि मंत्रालय में कई लोग पुरुष हैं.
फाइल मेरे पास चार महीने बाद आई और वह भी मुझसे बार…बार पूछने के बाद. सामान्य मंजूरी मिलने में साढे तीन से चार महीने लगते हैं क्योंकि संभवत: सोचने का तरीका पिछडा हुआ है.’ उन्होंने कहा कि अकसर मुझसे तर्क किया जाता है कि अगर महिला लडाकू पायलट को मार गिराया जाता है और शत्रु उसे पकड लेता है और उसके साथ खराब काम करता है और देश को अपमानित करता है तो क्या होगा. उन्होंने यह कहकर जवाब दिया कि जब काफी संख्या में महिला पायलट होंगी जिन्हें युद्ध के समय सीमा के पार भेजना होगा तो देखा जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘तब तक हमारे पास समाधान है कि उनसे देश के अंदर आने वाले दुश्मन के लडाकू विमानों से लड़ने के लिए कहें. इसलिए अगर उन्हें मार गिराया जाता है तो भी वे हमारे देश की सीमा में होंगी. यह मनोवैज्ञानिक बाधा थी जिसे हमने पार कर लिया है और मुझे विश्वास है कि आगामी दिनों में हम और ज्यादा आगे बढेंगे.’