पटना : मॉनसून की धीमी रफ्तार ने पटना जिला के किसानों की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि 23 ब्लॉकों में से तीन ही ब्लॉक ऐसे होंगे, जहां सरकारी स्तर पर पटवन की सुविधा है. बाकी सभी ब्लॉकों में पटवन के नाम पर कुछ नहीं है. यहां के किसान निजी स्तर पर ट्यूबवेल से खेत में पानी डालते हैं, लेकिन इनमें से 50 प्रतिशत खेतों को पानी नहीं मिल पाता है और उनके खेत पानी के बिना बंजर हो रहे हैं. इन ब्लॉकों में नहर की खुदाई हर साल होती है, लेकिन उसमें भी पानी नहीं होता है.
जब कभी इसकी शिकायत लेकर किसान प्रखंड पदाधिकारी के पास पहुंच जाता है, तो बस उसे आश्वासन मिलता है और डीएम तक उस किसान की शिकायत पहुंच नहीं पाती है.
यह इलाका पूरी तरह से बारिश पर निर्भर
दियारा का पूरा इलाका : दियारा के किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर हैं क्योंकि यहां के लोगों की खेती गंगा के पानी से होती है, लेकिन अब गंगा भी इन इलाके के लोगों से दूर होती जाती है. अगर इस बार बारिश नहीं हुई, तो यहां के किसान सब्जी तक नहीं रोप पायेंगे.
जल्ला का इलाका : मोकामा , बाढ़, बख्तियारपुर, फतुहा व पटना सिटी का इलाका जल्ला के माने जाते हैं और यहां भी सरकार की ओर से पटवन की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में यहां के किसान पूरी तरह से बारिश पर निर्भर होते हैं और यहां दलहन व प्याज की खेती छोड़ कुछ नहीं हो पाता है. अगर यहां अधिक बारिश हो गयी, तब भी यहां खेती करना मुश्किल है क्योंकि यहां से पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है.
बिहटा, मनेर, दानापुर, मसौढ़ी व धनरूआ में सरकारी व प्राइवेट ट्यूबवेल से पटवन होता है, लेकिन यहां भी अगर बारिश नहीं हुई, तो कुछ क्षेत्रों को छोड़ बाकी जगहों के किसान खेती नहीं कर पायेंगे. यहां भी पटवन सिर्फ पटवन से खेती करना चाहेंगे, तो संभव नहीं है क्योंकि पांच पटवन से खेती नहीं होती है.
पटना जिला के किसानों को परेशानी नहीं हो, इसको लेकर दिशा-निर्देश पूर्व जारी है. जहां पटवन की व्यवस्था नहीं है, अगर बारिश कम हुई, तो वहां डीजल अनुदान के माध्यम से किसानों को राहत दी जायेगी.
संजय कुमार अग्रवाल, जिलाधिकारी पटना
यहां नहर का आता है पानी , पर जिले के ब्लॉक तक नहीं पहुंचता पानी
कैमूर, बक्सर , आरा के कुछ एक हिस्से में सोन नहर का पानी आता है, लेकिन यह पानी भी मध्यप्रदेश से आता है, जिसमें यूपी व बिहार दोनों का हिस्सा है. ऐसे में जब पानी की आवश्यकता पड़ती है, तो यूपी में पानी अधिक चला जाता है और जो बिहार के हिस्सों में आता है. उसमें ऊपर बैठे किसान बांध बना कर रोक लेते हैं और नीचे के हिस्से में नहर रहने के बाद भी वहां तक पानी नहीं पहुंच पाता है यानी पटना जिला के किसान सोन नहर के पानी से भी वंचित रह जाते हैं. बिक्रम, नौबतपुर व पाली में पटवन की सुविधा है, लेकिन सबसे अधिक शिकायत नौबतपुर के किसान डीएम के यहां करते हैं कि उनके यहां तक नहर का पानी क्यों नहीं पहुंचता है. इसके बावजूद वर्षों से इसको लेकर कोई योजना नहीं बनायी गयी है. ऐसे में नहर किनारे के खेत भी बंजर हो जाते हैं और वहां खेती नहीं हो पाती है.
डीजल में सब्सिडी देकर चुप हो जाती है सरकार
सरकारी स्तर पर पटवन की व्यवस्था कहीं नहीं है. जब कभी किसान पानी को लेकर शिकायत करने जाते हैं, तो उनको आश्वासन मिलता है और जब सरकार तक उनकी बात पहुंचती है, तो डीजल में अनुदान. इसका भी फायदा सभी किसान नहीं ले सकते हैं क्योंकि जो किसान बीज के लिए पैसा कर्ज लेते हैं वह किसान पटवन के नाम पर डीजल के लिए कहां से पैसा लायेंगे. यह समस्या हर साल आती है, लेकिन सरकार के मंत्री यही कहते हैं कि बिहार के अंतिम छोर पर खेती कर रहे किसानों तक पानी नहरों के माध्यम से पहुंचाया जायेगा, जो कि आज तक नहीं हो पाया है.