डीएमसीएच . एचओडी व आपूर्तिकर्ता के बीच फंसा है पेच
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दो सालों से जंग खा रही एक्स-रे मशीन
डीएमसीएच . एचओडी व आपूर्तिकर्ता के बीच फंसा है पेच मरीज निजी एक्स-रे जांच के हैं भरोसे एक्स-रे के लिए मरीजों को एक माह बाद का मिलता है नंबर दरभंगा : डीएमसीएच में मरीजों के एक्स-रे जांच के प्रति प्रशासन सतर्क नहीं है. करीब तीन सालों से यह हालात बनी है. इधर दो नयी मशीने […]
मरीज निजी एक्स-रे जांच के हैं भरोसे
एक्स-रे के लिए मरीजों को एक माह बाद का मिलता है नंबर
दरभंगा : डीएमसीएच में मरीजों के एक्स-रे जांच के प्रति प्रशासन सतर्क नहीं है. करीब तीन सालों से यह हालात बनी है. इधर दो नयी मशीने जंग खा रही हैं. उत्तर बिहार का एक मात्र यह चिकित्सा संस्थान है जहां मरीज के एक्स-रे जांच सर्जिकल भवन के एक्स-रे यूनिट के भरोसे है. इस यूनिट की हालात ऐसी है कि मरीजों का एक्स-रे करते करते कर्मी की स्थिति बदत्तर हो जाती है. इस हालात में मरीजोंं को एक्स-रे के लिए तीन सप्ताह बाद का समय दिया जाता है. इसमेंं जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है. ऐसे मरीज बिना डाॅक्टरी इलाज के बैरंग लौट जाते हैं और जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है. वैसे मरीज निजी जांच घर मेें एक्स-रे करवा इलाज करवाते हैं.
प्रतििदन लौटते हैं 170 मरीज :हरेक दिन सर्जिकल भवन के एक्स-रे यूनिट मेंं 125 मरीजों का एक्स-रे होता है. प्रतिदिन औसतन 170 मरीज वापस चले जाते हैं. 40 मरीजों को एक माह बाद का नंबर दिया जाता है. 60 मरीज निजी जांच घर के भरोसे रहते हैं. यहां कु ल चार एक्स-रे यूनिट है. इसमें दो चालू अवस्था एवं दो ठप है. एक मोबाइल एक्स-रे मशीन आइसीयू में लावारिश की तरह पड़ा है. रेडियोलोजी विभाग के एक्स-रे यूनिट में 10 से 12 मरीजों का ही एक्स-रे हो पाता है. दो नये एक्स-रे मशीन की क ीमत 80 लाख है.
निजी एक्स-रे जांच घर की चांदी: रेडियोलोजी विभागाध्यक्ष एवं आपूर्तिकर्ता के बीच इस रस्साकशी के कारण निजी एक्स-रे जांच घर की चांदी है. जहां मरीजों को सरकार ने मुफ्त जांच की सुविधा दे रखी है. वहां इस हालात में उन्हें निजी जांच घर में जेब ढीली करनी पड़ रही है.
मशीन में हैं कई खामियां:
रेडियोलोजी के विभागाध्यक्ष ने बताया कि आपूर्तिकर्ता ने इस मशीन का इंस्टॉलेशन मानक पर नहीं किया है. इसमें कई खामियां है. इसके कारण आपूर्तिकर्ता को क्लीन चिट नहीं दी गयी है.
मशीन को चालू करने को कर चुके हैं पत्राचार : प्राचार्य डा. आरके सिंहा ने बताया कि इस मशीन को चालू करने के लिए यहां से पटना तक पत्राचार क र चुके हैं. लेकिन आपूर्तिकर्ता एवं विभागाध्यक्ष के बीच मामला फंसा है. दोनों में समन्वय के बाद दोनों मशीनें चालू हो पायेगी.
दो साल पूर्व लायी गयी थी दो एक्स-रे मशीन
इमरजेंसी वार्ड का एक्स-रे यूनिट का मशीन तीन साल पहले खराब हो गया था. इसके कारण 2013 में दो नये मशीन की आपूर्ति करायी गयी थी. इमरजेंसी वार्ड के एक्स-रे यूनिट के लिए एक (300 एमए) मशीन को लाकर इंस्टाल कर दिया गया जो मानक के अनुसार नहीं है. यह मशीन जस का तस इस वार्ड के यूनिट में पड़ा है. वहीं दूसरी मशीन शिशु रोग विभाग के लिए आपूर्ति हुई थी जो डीएमसीएच के मेन स्टोर में पड़ा है.
दो नयी एक्स-रे मशीन का भुगतान अभी तक लंबित
आपूर्तिकर्ता को दो नयी एक्स-रे मशीन का भुगतान अभी तक लंबित है. चूंकि आपूर्तिकर्ता ने इस नये मशीन का मानक पर इंस्टॉल नहीं किया है. इस इंस्टॉलेशन में रेडियोलोजी विभागाध्यक्ष ने डार्क रुम, सेटअप टैंक, मशीन का ट्यूब आदि का अभाव बताकर क्लीन चिट नहीं दिया है. इधर आपूर्तिकर्ता विभागाध्यक्ष को मौके पर आकर इसकी सही जांच करने की बात कहते हैं तो विभागाध्यक्ष कई खामियां गिना कर पल्ला झाड़ लेते हैं. उधर प्राचार्य एवं अस्पताल अधीक्षक के पत्राचार के बावजूद भी यह एक्स-रे मशीन अभी तक चालू नहीं हो पाया है.
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