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भारत जोड़ो यात्रा की अगली कड़ी

-हरिवंश- इस बार बाबा आमटे अरुणाचल से गुजरात जायेंगे. 75 वर्ष में भी बाबा आमटे देश में एकता-सौहार्द और भाईचारे की फिजां बनाने के लिए व्यग्र हैं. बाबा को रीढ़ की हड्डी का असाध्य रोग है. इस कारण वह बैठ नहीं सकते. या तो लेटे रह सकते हैं या खड़े. उन्हें हृदय रोग भी है, […]

-हरिवंश-

इस बार बाबा आमटे अरुणाचल से गुजरात जायेंगे. 75 वर्ष में भी बाबा आमटे देश में एकता-सौहार्द और भाईचारे की फिजां बनाने के लिए व्यग्र हैं. बाबा को रीढ़ की हड्डी का असाध्य रोग है. इस कारण वह बैठ नहीं सकते. या तो लेटे रह सकते हैं या खड़े. उन्हें हृदय रोग भी है, लेकिन देश सांप्रदायिकता और कटुता से कैसे मुक्त हो, इसकी चिंता उन्हें सता रही है. इसी क्रम में अक्तूबर ‘88 से वह भारत जोड़ो यात्रा की अगली कड़ी में पूर्व से पश्चिम (अरुणाचल से गुजरात) की यात्रा करनवाले हैं. उल्लेखनीय है कि भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में कन्याकुमारी से कश्मीर तक बाबा आमटे पहला चरण पूरा कर चुके हैं.

इस यात्रा में उनके साथ देश के विभिन्न कोनों से आये नौजवान उत्साह के साथ शरीक हुए, विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लड़के-लड़कियों ने इस यात्रा के बाद देश निर्माण का व्रत लिया. अब अपनी यात्रा की पहली कड़ी के लिए बाबा आमटे तैयारी में लगे हैं. इस क्रम में उन्होंने भाग-दौड़ आरंभ कर दी है. बाबा के साथ इस यात्रा में शरीक होने के लिए काफी तादाद में देश के नौजवान और युवतियां तैयार हैं. इस प्रस्तावित यात्रा के लिए चुने हुए लोगों का एक शिविर जल्द ही आनंदवन में आयोजित किया जायेगा. बाबा की कल्पना है कि देश के विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक विरासत और रीति-रिवाज से लोग परिचित हों, इसके लिए भी कोशिश की जायेगी.

देश में भावनात्मक एकता का माहौल बने. इसके लिए बाबा जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं. हाल में वह पंजाब की छठी बार यात्रा कर के लौटे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वह अमृतसर, फरीदकोट, डोराबाबा नानक, तरनतारन, नकोदर, फगवाड़ा, कपूरथला, गुरदासपुर और फिरोजपुर के गांवों में गये. वे उन गांवों में भी गये, जहां प्रशासन या राजनीतिक दलों के वरिष्ठ लोग जाने से कतराते हैं. पंजाब के गांवों में जा कर वह आतंकवाद से पीड़ित लोगों से मिले और देश की एकता-अखंडता के बारे में उनसे खुल कर बातचीत की. आज पंजाब की 60 फीसदी आपराधिक घटनाएं अमृतसर, गुरदासपुर और माझा में ही हो रही हैं.

इन इलाकों से लौटने के बाद बाबा की राय है कि पंजाब में लोग नाराज अवश्य हैं, पर वे खालस्तिान के समर्थक नहीं हैं. बाबा ने अपनी इस यात्रा में आतंकवाद से प्रभावित इलाकों में ही अधिक समय गुजारा. पंजाब के बारे में उनकी धारणा अलग है. वह मानते हैं कि मां अकसर अपने बच्चे को गलतियों के लिए फटकारती है, लेकिन किसी मां का बिगड़ैल बेटा बिना प्यार और सहानुभूति के नहीं सुधरता. पंजाब को भी आज वही हमदर्दी चाहिए. उन्होंने आतंकवादियों से अपील की कि वे निर्दोष लोगों की हत्याएं बंद कर दें और गुरुद्वारों में हथियार फेंक कर आत्मसमर्पण कर दें.

बाबा आमटे की दृष्टि में प्रो दर्शन सिंह रागी ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जो पंजाब समस्या को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. देश में बढ़ती संवेदनहीनता से बाबा आहत हैं. लेकिन पंजाब में प्यार और भाईचारे का पैगाम लेकर वह अकेले काम करने के लिए दृढ़ भी हैं. वह मानते हैं कि इस अभियान में उनके लड़खड़ाते पैरों को गांधी से ही शक्ति-ऊर्जा मिलती है.

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