हालांकि, वीसी ने यह भी कहा कि कुछ कॉलेजों में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है, उनके स्टूडेंट्स भी इसमें शामिल हो जाते हैं. कदाचारमुक्त परीक्षा होने का असर नहीं पढ़नेवाले स्टूडेंट्स पर पड़ा और अंकपत्रों की गड़बड़ी के मामले को लेकर अराजक हालात पैदा करने वाले भी वैसे ही कॉलेजों को चलानेवाले लोग हैं. वीसी ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा अंकपत्रों में व्याप्त त्रुटियों को बहाना बना कर माहौल खराब किया जा रहा है, इससे स्टूडेंट्स की परेशानी और बढ़ रही है.
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10 तक सुधार दी जायेंगी अंकपत्रों की त्रुटियां, बोले वीसी डेढ़ लाख अंकपत्रों में से 28 सौ में ही हैं गलतियां
गया: स्नातक पार्ट थ्री के रिजल्ट के बाद कुछ स्टूडेंट्स के अंकपत्रों में व्याप्त त्रुटियां जल्द ही ठीक करा ली जायेंगी. उम्मीद की जा रही है कि आगामी 10 जुलाई तक सभी तरह की गड़बड़ियों को दुरुस्त करा लिया जायेगा व छात्र-छात्रों की परेशानी को दूर कर लिया जायेगा. मंगलवार को एमयू कुलपति कक्ष में […]
गया: स्नातक पार्ट थ्री के रिजल्ट के बाद कुछ स्टूडेंट्स के अंकपत्रों में व्याप्त त्रुटियां जल्द ही ठीक करा ली जायेंगी. उम्मीद की जा रही है कि आगामी 10 जुलाई तक सभी तरह की गड़बड़ियों को दुरुस्त करा लिया जायेगा व छात्र-छात्रों की परेशानी को दूर कर लिया जायेगा. मंगलवार को एमयू कुलपति कक्ष में वीसी प्रो एम इश्तियाक ने बताया कि स्नातक पार्ट थ्री की परीक्षा में डेढ़ लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे. इनमें से करीब 2800 स्टूडेंट्स के अंकपत्रों में त्रुटियां मिली हैं. उन्हें ठीक कराया जा रहा है.
इसके लिए एमयू मुख्यालय के साथ ही संबंधित कॉलेजों में भी आवेदन पत्र (शिकायत) लिये जा रहे हैं और उन्हें दुरुस्त करने का काम जारी है. कुलपति ने यह भी बताया कि पहली बार मगध विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन परीक्षाफल का प्रकाशन किया है. परीक्षा व कॉपियों की जांच भी कदाचारमुक्त करायी गयी है. सभी पहलुओं पर विशेष निगरानी रखी जा रही थी. शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम उठाया गया था. ऐसे में कुछ अंकपत्रों में तकनीकी कारणों से त्रुटि रह गयी है, तो उनमें सुधार भी किया जा रहा है.
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