पीएमसीएच. रिम्स के समतुल्य मानदेय की मांग ने पकड़ा जोर
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अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये जूनियर डॉक्टर
पीएमसीएच. रिम्स के समतुल्य मानदेय की मांग ने पकड़ा जोर रिम्स रांची के समतुल्य मानदेय को लेकर एमजीएम जमशेदपुर के बाद अब पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर (जेआर) भी बुधवार से हड़ताल पर चले गये. हड़ताल का इंटर्न ने नैतिक समर्थन दिया है. धनबाद : जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल ने मामले को लेकर उपायुक्त ए डोड्डे […]
रिम्स रांची के समतुल्य मानदेय को लेकर एमजीएम जमशेदपुर के बाद अब पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर (जेआर) भी बुधवार से हड़ताल पर चले गये. हड़ताल का इंटर्न ने नैतिक समर्थन दिया है.
धनबाद : जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल ने मामले को लेकर उपायुक्त ए डोड्डे को मांग पत्र सौंपा. प्रभारी अधीक्षक डॉ के विश्वास को जानकारी दी. इधर, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर मरीजों पर दिखने लगा. ओपीडी से लेकर इमरजेंसी में मरीजों की भीड़ होने लगी है.
लाइन में आकर मरीज इलाज करा रहे हैं. जेआर व इंटर्न ने मुख्य गेट पर नारेबाजी कर मांगें पूरी करने की मांग की है. इधर, हड़ताल की सूचना पीएमसीएच प्रबंधन ने सरकार को दे दी है. सीनियर डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है.
रिम्स में 56, पीएमसीएच में मिलते हैं 33 हजार : हड़ताली जूनियर डॉक्टर ने बताया कि रिम्स में जूनियर डॉक्टर को 56 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं, इसके साथ आवास की सुविधा भी है. लेकिन पीएमसीएच के साथ एमजीएम में जूनियर डॉक्टरों को प्रथम वर्ष में 31, द्वितीय वर्ष में 32 व तृतीय वर्ष में 33 हजार रुपये ही मिलते हैं. आवास की सुविधा भी नहीं मिलती है. वहीं रिम्स में इंटर्न को 15 हजार मिलते हैं. जबकी यहां इंटर्न को 10 हजार प्रतिमाह मानदेय मिलता है. इस कारण पीएमसीएच व एमजीएम में जूनियर डॉक्टर आना नहीं चाहते हैं.
90 में 15 जूनियर डॉक्टर : मानदेय में भारी अंतर के कारण पीएमसीएच में 90 सीटों में मात्र 15 जूनियर डॉक्टर हैं. दो वर्षों में आधा दर्जन जेआर पीएमसीएच छोड़कर चले गये हैं. वहीं लगभग 56 इंटर्न है. मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाई के बाद एक साल तक इंटर्नशिप करनी पड़ती है.
जेआर व इंटर्न के सहारे अस्पताल : पीएमसीएच में जेआर व इंटर्न की भूमिका अहम होती है. तय समय से अधिक देरी तक यह काम करते हैं. इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक बिना जेआर व इंटर्न के कोई काम नहीं होता. इसके साथ ही दूसरे अन्य काम भी इंटर्न को करना पड़ता है.
रिम्स आॅटोनोमस तो पीएमसीएच क्यों नहीं : बताया जाता है कि रिम्स को सरकार ने ऑटोनोमस का दर्जा दिया है. उसके लिए अलग फंड के साथ सभी व्यवस्था अलग से होती है. जबकि तीनों मेडिकल कॉलेज सरकार (रिम्स, पीएमसीएच व एमजीएम) का ही है. काउंसेलिंग व नामांकन एक साथ होता है. इसके बाद भी भेद किये जाते हैं. ऑटोनोमस के कारण रिम्स में डॉक्टरों से लेकर मरीजों को सभी सुविधाएं भी मिलती है. पिछले पांच वर्षों से चिकित्सक पीएमसीएच को ऑटोनोमस करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार चुप है.
इमरजेंसी में तड़पती रही ललिता : इमरजेंसी में बुधवार को शाम चार बजे चांदमारी निवासी ललिता देवी का पांव फैक्चर हो गया. ओटी के बाहर उसे कफी देर इंतजार करना पड़ता. महिला तड़पती रही. साथ में आयी बेटी ने बताया कि नाली में गिरने से पैर में चोट आ गयी है. काफी देर बाद डॉक्टरों ने उसे देखा.
इंटर्न ने भी दिया नैतिक समर्थन मरीजों की बढ़ी परेशानी
जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर गये हैं. उनकी मांगों को सरकार के समक्ष रखा गया है. इंटर्न हड़ताल नहीं कर सकते हैं. यह उनकी पढ़ाई का हिस्सा है. मरीजों को कोई परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है.
डाॅ आरके पांडेय, अधीक्षक
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