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बंगाल के नौ विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद खाली

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने आज विधानसभा में बताया कि राज्य के 20 विश्वविद्यालयों में से नौ विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति नहीं हैं और योग्य लोगों में सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति को लेकर भी दिलचस्पी बहुत कम है. श्री चटर्जी ने विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल में कांग्रेस के […]

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने आज विधानसभा में बताया कि राज्य के 20 विश्वविद्यालयों में से नौ विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति नहीं हैं और योग्य लोगों में सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति को लेकर भी दिलचस्पी बहुत कम है.

श्री चटर्जी ने विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ मानस रंजन भुइंया के सवाल के जवाब में कहा कि राज्य सरकार खाली पदों को भरने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों में कुलपति नहीं हैं, उनमें कलकत्ता विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी संस्थान, डायमंड हार्बर महिला विश्वविद्यालय, रायगंज विश्वविद्यालय और संस्कृत कॉलेज एवं विश्वविद्यालय शामिल हैं. शिक्षा मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रिंसिपल के पदों पर नियुक्ति के लिए भी योग्य लोगों में काफी कम दिलचस्पी है और 42 कॉलेजों में पद खाली पड़े हैं, जबकि लोक सेवा आयोग को पिछले दो बार की कोशिशों में सिर्फ 27 आवेदन मिले हैं.

विश्वविद्यालय में हस्तक्षेप करेगी सरकार
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को पैसे देती है तथा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती है. इस कारण जब भी जरूरत पड़ेगी, सरकार दखल देगी, क्योंकि सरकार पैसे देती है और वित्तीय दुरुपयोग को रोकना उसकी जिम्मेदारी है. श्री चटर्जी ने कहा कि सरकार जब भी शिक्षा के बाबत कदम उठाती है, विपक्ष हमेशा हंगामा खड़ा करता है. एनजीओ व बुद्धिजीवी इसे विश्वविद्यालय के कार्य में हस्तक्षेप कहने लगते हैं, लेकिन जहां भ्रष्टाचार होगा, तो सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह हस्तक्षेप करे. उन्होंने कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों में 800 करोड़ रुपये की गड़बड़ी के मामलों की जांच कर रही है.
परोक्ष रूप से विवि पर नियंत्रण : मानस
कांग्रेस नेता मानस भुइंया ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा गर्त में चली गयी है और सरकार शैक्षणिक संस्थाओं पर परोक्ष तौर पर नियंत्रण के लिए दखल देती है. श्री भुइंया ने विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों के लिए कुलपति और कॉलेजों के लिए प्रधानाचार्य के पदों के लिए लोग नहीं ढूंढ पा रही है, क्योंकि इन संस्थानों में सामने आनेवाली बाधाओं के कारण योग्य लोग इन पदों पर नियुक्ति नहीं चाहते. राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के कार्य में हस्तक्षेप करती है. यह सही नहीं है.

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