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छात्र की हत्या में कोई मुख्य आरोपी गिरफ्तार नहीं

मालदा. कालियाचक थाने की नवदा यदुपुर ग्राम पंचायत के भागलपुर गांव में छठवीं के एक छात्र की हत्या के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस इस मामले के किसी भी मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है. इससे इलाके के लोगों में आक्रोश है. स्थानीय लोगों का कहना है, आरोपी इलाके में […]

मालदा. कालियाचक थाने की नवदा यदुपुर ग्राम पंचायत के भागलपुर गांव में छठवीं के एक छात्र की हत्या के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस इस मामले के किसी भी मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है. इससे इलाके के लोगों में आक्रोश है. स्थानीय लोगों का कहना है, आरोपी इलाके में खुलेआम घूम-फिर रहे हैं, लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ नहीं रही है. ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस दो गैंगस्टरों जाकिर शेख एवं बकुल शेख और उनके समर्थकों को गिरफ्तार करे, तभी इलाके में शांति बहाल होगी. साथ इस पंचायत का अधिकार समाप्त कर इसे जिला प्रशासन अपने हाथ में ले ले.

नवदा यदुपुर ग्राम पंचायत के एक बुजुर्ग मतिन शेख ने कहा, पंचायत पर कब्जे को लेकर ही जाकिर के साथ बकुल शेख के गुट की लड़ाई काफी दिनों से चल रही है. इन दोनों गुटों की लड़ाई से पूरा इलाका त्रस्त है. इस पंचायत के अधिकार खत्म किये बिना इलाके में शांति नहीं लौटेगी. भागलपुर गांव के एक निवासी लियाकत अली ने कहा, आखिर उस 13 साल के बच्चे का क्या कसूर था. उसका पिता इब्राहिम शेख कुख्यात अपराधी है. अगर कोई उसे ले जाकर उसकी हत्या कर देता तो ग्रामीण एनएच 34 जाम करने के लिए नहीं उतरते. लेकिन बदमाशों ने 13 साल के बच्चे को उठा ले जाकर उसकी हत्या कर दी. यह सब जानते हुए भी पुलिस कोई कदम नहीं उठाती. जिस दिन उस बच्चे को बकुल शेख का दलबल उठाकर ले गया था, कालियाचक पुलिस को तुरंत खबर दी गयी थी. लेकिन पुलिस ने उस बच्चे को बचाने के लिए कुछ नहीं किया. इसी वजह से बुधवार सुबह पुलिस ओपी पर लोगों ने क्षोभ जाहिर किया.

जानकारी मिली है कि बकुल शेख और जाकिर शेख एक समय सीपीएम की छत्रछाया में थे. 2011 में ये दोनों और इनके समर्थक तृणमूल में शामिल हो गये. पंचायत चुनाव में इन दोनों के दबदबे की वजह से नवदा यदुपुर ग्राम पंचायत की 23 सीटों में से एक भी सीट विरोधी दल नहीं जीत पाये. तब दोनों एक साथ थे. लेकिन पंचायत का प्रधान और उप-प्रधान चुने जाने को लेकर दोनों के बीच टकराव शुरू हुआ. जाकिर शेख ने उप-प्रधान पद पर दावा किया. लेकिन उप-प्रधान पद बकुल शेख के समर्थक राजू शेख को दे दिया गया. वहीं प्रधान बनाया गया बकुल के बड़े भाई की पत्नी फरहाना बीबी को. इसी समय से बकुल और जाकिर अलग हो गये.
बकुल शेख को पूर्व मंत्री सावित्री मित्र के समर्थक के रूप में जाना जाता है. इसी वजह से बकुल को रोकने वाला कोई नहीं था. अपनी भाभी का नाम सामने रख बकुल अपनी मनमर्जी से प्रधान का काम करता था. इसी दौरान उसे नवदा यदुपुर का अंचल सभापति बना दिया गया. तभी कांग्रेस से तृणमूल में शामिल होकर कृष्णेंदु चौधरी मंत्री बने और इसी के साथ यदुपुर में गुटीय संघर्ष शुरू हुआ.

बीते लोकसभा चुनाव के बाद इस इलाके में हालात और बिगड़‍ गये. जाकिर शेख को कांग्रेसियों ने अपनी ओर कर लिया. इसके फलस्वरूप कांग्रेस को इस इलाके से पांच हजार 250 वोट मिले. इस बार विधानसभा चुनाव में इस पंचायत पर तृणमूल का कब्जा होने के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार ईशा खान चौधरी को यहां आठ हजार से ज्यादा वोटों से बढ़त मिली. स्थानीय लोगों का कहना है कि जाकिर और बकुल शेख के गुटों से कुख्यात अपराधी जुड़े हुए हैं.

लेकिन ऐसे अपराधियों की संख्या 20-25 से ज्यादा नहीं है. ये सभी 20 से 25 साल के युवा हैं. यही लोग इलाके में हिंसा फैला रहे हैं. नवदा यदुपुर की घटना को लेकर कांग्रेस, तृणमूल और सीपीएम एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. तृणमूल के जिला अध्यक्ष मोअज्जम हुसैन ने कहा, बदमाशों की लड़ाई में असहाय लोगों की जान जा रही है. हमने पुलिस से कड़े कदम उठाने को कहा है.

जिला कांग्रेस की अध्यक्ष तथा सांसद मौसम नूर ने कहा, नवदा यदुपुर में तृणमूल के गुटीय संघर्ष के चलते एक के बाद एक हत्या हो रही है. पुलिस कुछ नहीं कर रही है. वहीं सीपीएम के जिला सचिव अंबर मित्र ने कहा, नवदा यदुपुर सत्तारूढ़ दल के लिए सरदर्द बनेगा. बदमाश जिस तरह तांडव कर रहे हैं उससे लोगों में आक्रोश पैदा हो रहा है. पुलिस अधीक्षक प्रसून बनर्जी ने कहा, मुख्य अभियुक्तों को पकड़ने की कोशिश हो रही है. इलाके में पुलिस की गश्त जारी है. इस मामले में अभी तक कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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