गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक नक्सली-उग्रवादी हिंसा में इस साल 31 मई तक 43 लोगों की मौत हो गयी. इनमें नौ पुलिसकर्मी हैं. इसी दौरान पिछले साल 32 लोगों की मौत हुई थी. आंकड़े के मुताबिक आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में नक्सली वारदातों में कमी दर्ज की गयी है. इन राज्यों में क्रमश: दो, 49, एक घटना की कमी आयी है. अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में बिहार, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में नक्सली घटनाएं बढ़ी हैं. इन राज्यों में क्रमश: 12, सात, 15 घटनाओं की वृद्धि हुई है.
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झारखंड में बढ़ीं नक्सली-उग्रवादी घटनाएं
रांची: झारखंड में इस साल नक्सली-उग्रवादी घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. इस साल 31 मई तक राज्य में 167 नक्सली-उग्रवादी घटनाएं हुई हैं, इसी दौरान पिछले साल 150 घटनाएं दर्ज की गयी थीं. नक्सली-उग्रवादी घटनाओं में हुई मौत का आंकड़ा भी इस साल बढ़ गया है. गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक […]
रांची: झारखंड में इस साल नक्सली-उग्रवादी घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. इस साल 31 मई तक राज्य में 167 नक्सली-उग्रवादी घटनाएं हुई हैं, इसी दौरान पिछले साल 150 घटनाएं दर्ज की गयी थीं. नक्सली-उग्रवादी घटनाओं में हुई मौत का आंकड़ा भी इस साल बढ़ गया है.
तीन जिलों में सक्रिय हैं टीपीसी : दस साल पहले भाकपा माओवादी संगठन से अलग होकर बना संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) के उग्रवादियों का राज्य के तीन जिलों चतरा, लातेहार और पलामू में प्रभाव है. इस संगठन के द्वारा वर्ष 2013 में 70, वर्ष 2014 में 26 और 2015 में 42 घटनाओं को अंजाम दिया गया था. यह संगठन मुख्य रूप से चतरा जिला में ज्यादा सक्रिय रहता है. टंडवा के कोल परियोजनाओं के ट्रांसपोर्टरों से प्रतिमाह 10 करोड़ से अधिक की लेवी वसूली पर इस संगठन का कब्जा है.
गुमला, पलामू में मजबूत हुआ जेजेएमपी : करीब छह साल पहले गुमला में बने झारखंड जन मुक्ति मोरचा (जेजेएमपी) नामक संगठन ने गुमला और पलामू में भाकपा माओवादी संगठन को कमजोर करने का काम किया है. इस संगठन ने कई घटनाओं को अंजाम दिया, जिनसे माओवादियों को बड़ा झटका लगा है.
175 दिन में जलाये 51 मशीन
झारखंड में सक्रिय नक्सली व उग्रवादी संगठन विकास योजनाओं को पूरा करने में बाधक बने हुए हैं. नक्सली-उग्रवादी संगठनों ने पिछले 175 दिन में 51 मशीनों व वाहनों में आग लगा दी. जिन वाहनों में नक्सलियों ने आग लगा दी, वे सभी सड़क निर्माण में लगाये गये थे. संबंधित कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. जिन इलाकों में घटना को अंजाम दिया गया, उनमें आतंक का माहौल कायम हो गया और विकास योजनाएं कई दिनों तक रुकी रहीं.
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