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छह महीने भी नहीं रखीं इंटर और मैट्रिक की उत्तर पुस्तिकाएं, बेच कर लाखों कमा रहे थे लालकेश्वर

पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पास स्ट्रांग रूम है. काफी जगह भी है, इसके बावजूद इंटर और मैट्रिक की उत्तर पुस्तिका छह महीने भी नहीं रखी जाती है. मार्च में परीक्षा, मई में रिजल्ट निकलता है. इसके बाद सितंबर से दिसंबर के बीच में ही उत्तर पुस्तिका को बेच दिया जाता है. एक […]

पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पास स्ट्रांग रूम है. काफी जगह भी है, इसके बावजूद इंटर और मैट्रिक की उत्तर पुस्तिका छह महीने भी नहीं रखी जाती है. मार्च में परीक्षा, मई में रिजल्ट निकलता है. इसके बाद सितंबर से दिसंबर के बीच में ही उत्तर पुस्तिका को बेच दिया जाता है.
एक साल की तो छोड़िए, छह महीने भी उत्तर पुस्तिका को रखा नहीं जाता है. इसका सीधा असर सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका मांगने वाले छात्रों पर दिखता है. स्क्रूटनी के अंक से असंतुष्ट छात्र जब उत्तर पुस्तिका सूचना के अधिकार के तहत मांगते हैं, तो उन्हें छह महीने तक तो पहले दौड़ाया जाता है. उसके बाद उत्तर पुस्तिका नहीं होने का मैसेज देकर वापस कर दिया जाता है.
2014 और 2015 की बात करें तो कुल दो हजार छात्र हैं, जिन्हें सूचना के अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका नहीं दी गयी. उत्तर पुस्तिका नहीं होने से 2014 की मैट्रिक टॉपर शालिनी राय के रिजल्ट की इंक्वायरी नहीं की जा रही है. शालिनी राय के मैट्रिक के टॉपर बनने पर भी शक है, लेकिन समिति के पास उत्तर पुस्तिका नहीं होने के कारण जांच नहीं हो पा रही है. समिति अध्यक्ष आइएएस आनंद किशोर ने बताया कि शालिनी राय के 2014 की उत्तर पुस्तिका होती, तो हम लोग जांच करते. उसके हैंडराइटिंग का मिलान करवाया जाता, लेकिन कोई भी सबूत हमारे पास नहीं है.
सूचना के अधिकार 2009 के तहत देश भर के नेशनल बोर्ड और स्टेट बोर्ड को उत्तर पुस्तिका को रखना होता है. तीन साल के अंदर कोई भी परीक्षार्थी अपने अंकों को लेकर उत्तर पुस्तिका की मांग कर सकता है.

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