दो बड़े सवाल
अब क्या करेगा ग्रेट ब्रिटेन?
क्या यूरोपीय यूनियन व ब्रिटेन में अलगाव का खतरा बढ़ गया है?
इंटरनेट डेस्क
ग्रेट ब्रिटेन में गुरुवार को हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह के नतीजे शुक्रवार को आये, जिसमें 51.9 प्रतिशत लोगों ने बहुमत के साथ यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद फैसला सुना दिया. इस फैसले से ग्रेट ब्रिटेन में निराशा है. यह एक फैसला नहीं है, जो सिर्फ ग्रेट ब्रिटेन के भूगोल व आर्थिकी को प्रभावित करेगा, बल्कि कल ब्रिटेन, जापान, भारत से लेकर अमेरिकी शेयर बाजारों में आयी जोरदार गिरावट से यह स्पष्ट हो गया कि इसके वैश्विक असर होंगे. महज दो दिनों की हलचल के बाद ही ब्रेक्जिट का बवंडर नहीं थमने वाला है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे, जो आने वाले महीनों व सालों में बड़े उलट-फेर का कारण बनेंगे. भले यूके इंडिपेंडेस पार्टी के नेता नाइजेल फैराज इसे कल के फैसले के दिन को ग्रेट ब्रिटेन के आजादी का दिन बताते होंऔर लेकिन बोरिस जॉनसन को लगता हो कि वे अपने इस अभियान के बाद प्रधानमंत्री के पद तक आसानी से पहुंच सकेंगे, लेकिन ब्रिटेन के साथ ही दुनिया भर का बड़ा वर्ग इस फैसले से मायूस है.
आयरलैंड व स्कॉटलैंड में भी जनमत संग्रह की मांग
ब्रेक्जिट में उत्तरी आयरलैंड व स्कॉटलैंड की जनता यूरोपीय यूनियन के साथ रहना चाहते थे, लेकिन इंग्लैंड व वेल्स में लोगों ने अलग होने के पक्ष में अधिक मतदान किया. अब यूरोपीय यूनियन से अलग होने के बाद उत्तरी आयरलैंड व स्कॉटलैंड में नये सिरे से ग्रेट ब्रिटेन से अलग होने के लिए जनमत संग्रह की मांग उठने लगी है. ऐसे में यह साफ है कि आने वाले दिनों में ब्रिटिश हुकूमत का कोई भी गलत फैसला और खतरा पैदा कर देगा.
अपने इस्तीफे का एलान करते व राष्ट्र को संबोधित करते ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन
क्या कहता है लिसबन समझौता का आर्टिकल 50?
भले ही यूरोपीय यूनियन से अलग होने का फैसला ग्रेट ब्रिटेन ने कर लिया हो, लेकिन अचानक कुछ भी नहीं बदलने वाला है. दअसल, जनमत संग्रह के बावजूद यूरोपीय यूनियन से अलग होना एक जटिल व लंबी प्रक्रिया है. हालांकि ब्रिटेन के इस फैसले के लिए एक पॉजिटिव बात यह है कि यूरोपीय काउंसिल के प्रमुख डोनाल्डटस्क ने ग्रेट ब्रिटेन को जल्द अलगाव की सारी प्रक्रिया पूरी करने को कहा है. लिसबन समझौता के आर्टिकल 50 के अनुसार, जनतम संग्रह के बाद अलग होने के लिए दो साल का समय होता है. यानी ब्रिटेन त्वरित प्रक्रिया शुरू करेगा तो 2018 तक वह यूरोपीय यूनियन से अलग हो सकेगा.
लेकिन, इस अवधि में उसे बहुत सारी चीजें तय करनी होंगी. अगर वह यूरोपीय बाजार में व्यापार करना चाहेगा तो उसे यूरोपीय यूनियन के बजट में पैसा देना होगा. अगर वह यूरोपीय देशों में नागरिकों के मुक्त आवागमन को बरकरार रखना चाहता है, तो इसके लिए भी नीतियां तय करनी होंगी. उसे ब्रिटेन में रह रहे यूरोपीय यूनियन के नागरिकों व यूरोपीय यूनियन में रह रहे ब्रिटिश नागरिकों के स्टेटस पर भी निर्णय लेना होगा. साथ ही इयू के कानूनों को रिप्लेस करने के लिए नये कानून बनाने होंगे, दो दशकों में यूरोपीय यूनियन ने बनाये थे.
यूरोपीय यूनियन में बढ़ी चिंता
ग्रेट ब्रिटेन के जनमत संग्रह में यूरोपीय यूनियन से अलग होने की मांग पर लगी मुहर के बाद यूरोपीय यूनियन की चिंता बढ़ गयी है कि दूसरे देशों के अंदर भी इस तरह की मांग उठने लगेगी. फ्रांस के अंदर ऐसे प्रवृत्ति अधिक मुखर रूप से दिख रही है, जिसके बाद कल फ्रांस के राष्ट्रपति फांसुवा ओलांद ने अपने कैबिनेट की आपात बैठक की.ओलांद ने कहा है किचरमपंथीआंदोलनों के साथ हमें यह भी सोचना होगा कि यूरोपीय यूनियन के अंदर ऐसा क्या हो रहा है, जिससे ऐसी प्रवृत्ति बढ़ रही है. फ्रांस के साथ नीदरलैंड व डेनमार्क में भी कुछ राजनीतिक दल इस तरह की मांग कर रही हैं. इसलिए यूरोपीय यूनियन ने ब्रिटेन को जल्द अलगाव की प्रक्रिया पूरी करने को कहा है. यूरोप के महत्वपूर्ण देश जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने इस फैसले से आहत हैं.
यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के बाहर होने पर मुहर लगने के बादअलग होने का अभियान चलाने वाले जश्न मनाते हुए.
क्या है यूरोपीय यूनियन?
यूरोपीय यूनियन 28 देशों का एक राजनीतिक व आर्थिक फोरम है. विभिन्न राष्ट्रों का यह दुनिया में सबसे सफल संगठन माना जाता रहा है. यूरोपीय यूनियन यूरोप में सिंगल मार्केट का संचालन करता है जो वस्तु, सेवा, पूंजी व लोगों की सदस्य देशों के बीच मुक्त गतिशीलता की अनुमति प्रदान करता है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बदली हुई परिस्थितियों में जर्मनी व फ्रांस के बीच एकता की एक नयी मुहिम शुरू हुई और चार दशक बाद में यह यूरोपीय यूनियन के गठन का आधार बना. यूरोपीय यूनियन के गठन की का मूल यूरोपियन कोल एंड स्टील इंडस्ट्री इसीएससी व यूरोपियन इकोनॉमिक कम्युनिटी इसी बना. ये दाेनों संगठन क्रमश: 1951 व 1958 में बने, जिसमें छह देश बेल्जियम, फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग और निदरलैंड शामिल हुए. इसके अलावा कुछ अन्य यूरोपीय कम्युनिटी भी यूरोपीय यूनियन के गठन का आधार बने.
यूरोपीय यूनियन की अपने मौजूदा नाम के साथ स्थापना मास्ट्रिच ट्रिटी के तहत 1993 में हुआ. बाद में इसका आकार नये सदस्यों के आगमन के साथ बढ़ता गया. यूरोपीय यूनियन में हाल में बड़ा सुधार यूरोपीय यूनियन में बड़ा संवैधानिक सुधार 2009 में लिस्बन ट्रिटी के तहत हुआ.
यूरोपीय यूनियन में कौन से देश हैं?
देशों का आर्थिक व राजनीतिक संघ यूरोपीय यूनियन में 28 देश हैं, जिसमें ब्रिटेन के अलग होने के बाद 27 देश बचेंगे. इसकेप्रत्येक सदस्य स्वतंत्र व संप्रभु हैं, पर वे आपसी समझौते के तहत व्यापार करने को राजी हैं. इसमें आस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोसिया, रिपब्लिक ऑफ साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लातविया, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, माल्टा, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवानिया, स्पेन, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम शामिल रहे हैं.
ब्रिटेन में कौन चला रहे थे बाहर आने की मुहिम?
ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से बाहर करने की मुहिम के अगुवा लंदन के पूर्व मेयर बाेरिस जॉनसन रहे हैं. इनके साथ ही यूके इंडिपेंडेंस पार्टी के नेता नाइजेल फैराज ने इस अभियान को रफ्तार दी. डेविड कैमरन के पद छोड़ने के एलान के बाद अब जाॅनसन ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गये हैं. जानकार कहते हैं कि ब्रिटेन की गरीब व बुजुर्ग आबादी ब्रेग्जिट की मुखर पक्षधर रही है. नीचले स्तर के नौकरी पेशा लोगों को लगता रहा है कि अप्रवासन से उनके लिए रोजगार और अच्छे वेतन की संभावना कम हो जाती है. प्रमुख ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट ने एक सर्वे के आधार पर भी यह बात कही है. ब्रेग्जिट के लिए रिकॉर्ड 30 मिलियन से अधिक वोटरों यानी तीन करोड़ से अधिक लोगों ने मतदान किया. मतदान का कुल प्रतिशत 71.8 प्रतिशत रहा, जो 1992 से अबतक सबसे ज्यादा है. छह करोड़ की आबादी वाले ब्रिटेन में जनमत संग्रह के लिए साढ़े चार करोड़ के करीब मतदाता रजिस्टर्ड थे.