रांची: राज्यपाल सह कुलाधिपति द्रौपदी मुरमू ने कहा है कि विश्वविद्यालय समर्पित भाव से काम कर अपने यहां कार्यरत व सेवानिवृत्त शिक्षकों-कर्मचारियों की समस्याएं दूर करें. यह विडंबना है कि विवि की तरफ से सबसे अधिक शिकायत प्रोन्नति, बकाया राशि, एसीपी, क्षतिपूर्ति आदि की आती है. विवि गतिशीलता से कार्य करते हुए लोक अदालत के माध्यम से कार्यरत व सेवानिवृत्त शिक्षकों तथा कर्मचारियों के मामलों का निष्पादन कर सकता है.
राज्यपाल गुरुवार को राजभवन में विवि से संबंधित विभिन्न मामलों को लोक अदालत के माध्यम से हल करने संबंधी एक उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि लोक अदालत लोगों को तीव्र गति से न्याय दिलाने की दिशा में अच्छी प्रक्रिया है.
झारखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 391 में लोगों को नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान है. कुलाधिपति के समक्ष भी सबके सम्मिलित प्रयास से बहुत से मामले निष्पादित किये जा सकते हैं. लोक अदालत के माध्यम से कम समय में बहुत-से मामले निष्पादित हो सकते हैं. लोक अदालत के कारण न्यायालय में लंबित वादों में कमी आयी है.
उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिव अजय सिंह ने कहा कि अधिकांश मामले अस्वीकृत पद के आते हैं, जिनका निष्पादन नहीं हो पाता है. अधिवक्ता एवं राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एके सिंह ने कहा कि न्यायालय में विवि से संबंधित मामलों को यदि वर्गीकरण किया जाये, तो लगभग 80% मामले सेवानिवृत्त शिक्षक व कर्मचारी से संबंधित हैं. बहुत-से लोगों को पांचवें व छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल रहा है. इसका मुख्य कारण इनके पद का स्वीकृत नहीं होना बताया गया है, लेकिन अब इन्हें लाभ दिया जा सकता है.
इस अवसर पर झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डीके श्रीवास्तव, राज्यपाल के प्रधान सचिव एसके सत्पथी, सत्येंद्र सिंह, डॉ आनंद भूषण, राज्य में स्थित विभिन्न विवि के कुलपति/प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार के अलावा झालसा के अधिकारी व अधिवक्ता उपस्थित थे.