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जापान में शोध करेंगे बीआरएबीयू के छात्र

मुजफ्फरपुर: बिहार में जहां टॉपर्स घोटाला सामने आने के बाद पूरी शिक्षा व्यवस्था संदेह के दायरे में आ गयी है, वहीं इसी शिक्षा के दम पर बिहार के साथ जापान के रिश्ते मजबूत बनने जा रहे हैं. इस मिठास को बढ़ाने के लिए पढ़ाई का सहारा लिया गया है. कुलपति डॉ पी पलांडे ने विवि […]

मुजफ्फरपुर: बिहार में जहां टॉपर्स घोटाला सामने आने के बाद पूरी शिक्षा व्यवस्था संदेह के दायरे में आ गयी है, वहीं इसी शिक्षा के दम पर बिहार के साथ जापान के रिश्ते मजबूत बनने जा रहे हैं. इस मिठास को बढ़ाने के लिए पढ़ाई का सहारा लिया गया है. कुलपति डॉ पी पलांडे ने विवि के रिसर्च करने वाले छात्रों के लिए शानदार तोहफा दिया है. विवि के छात्र जापान के सैकेई यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ मैटिरियल एंड लाइफ साइंस विभाग में पढ़ाई कर सकेंगे. वहीं जापान के छात्र बीआरएबीयू में आकर फिजिक्स में रिसर्च करेंगे. कुलपति ने चार दिनों की जापान यात्रा के बाद यह जानकारी दी.
सैकेइ यूनिवर्सिटी व बीआरएबीयू के बीच समझौता : चार साल के लंबे अंतराल के बाद कुलपति डॉ पलांडे के नेतृत्व में सैकेई और बीआरए बिहार विवि के बीच समझौता हुआ है. विवि के छात्र के छह माह का कोर्स वर्क जापान में करेंगे. वहां उनकी मदद सैकेइ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तोशिनाेरी करेंगे. वहीं विवि की प्रोफेसर संगीता सिन्हा जापान के छात्रों की मदद करेंगी. इस बीच छात्रों को जापान से वीजा मिलेगा, लेकिन आने-जाने का खर्च सहित वहां की फीस छात्रों को देनी होगी. इसके अलावा रहने व खाने-पीने की व्यवस्स्था सैकेइ यूनिवर्सिटी करेगी. डॉ पलांडे ने बताया कि यहां के छात्रों को फीस के तौर पर करीब एक से दाे लाख खर्च करने होंगे. जापान से आने वाले छात्रों की फीस अभी तय नहीं की गयी है. सीनेट व सिंडिकेट की बैठक में इसे पारित कर सरकार व राजभवन के पास भेजा जायेगा. इसके लिए शिक्षा मंत्री से बार की गयी है.
जापान से आयेंगे छह छात्र : समझौता होने के बाद जापान के छह छात्र यहां आने को तैयार हैं, लेकिन फीस तय नहीं होने की वजह से अभी उन्हें रोक दिया गया है. सरकार व राजभवन से फीस तय होने के बाद उन्हें बुलाया जायेगा. उनके रहने के लिए गेस्ट हाऊस में उच्च स्तरीय व्यवस्था की जायेगी.
इंटरनेशनल हॉस्टल का होेगा निर्माण
कुलपति ने कहा कि बीआरए बिहार विवि में इंटरनेशनल हॉस्टल बनाया जायेगा. इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा. इससे देश-विदेश से आने वाले छात्रों को विवि में रहने की दिक्कत नहीं होगी और विवि का नाम विश्व स्तर पर बढ़ेगा. बताया कि जापान में देर रात तक क्लास चलती है.
एग्रीकल्चर रिसर्च में हैं दक्ष
जापान में जमीन कम होने की वजह से वहां के छात्र एग्रीकल्चर पर रिसर्च करने में दक्ष हैं. पी पलांडे ने बताया कि महज एक छोटे से गमले में टमाटर, स्ट्राॅबेरी और खीरा जैसे पौधे लगाकर उससे अधिक पैदावार करने की टेक्नोलॉजी बेहद उम्दा है. उस टेक्नालॉजी को देखने के बाद पूसा के कृषि विवि के कुलपति से वार्ता की गयी है. उन्हें बताया गया है कि एक दल जापान जाकर एग्रीकल्चर रिसर्च को देखे. और यहां के किसानों को उसके गुर बताये.

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