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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे ताशकंद में एससीओ सम्मेलन में शिरकत

ताशकंद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के वर्चस्व वाले छह देशों के संगठन शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक सम्मेलन में शिरकत करने के लिए कल यहां पहुंचेंगे. सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए सुरक्षा सहयोग बढाने के तौर तरीकों पर बातचीत केंद्रित रहने की संभावना है. भारत और पाकिस्तान इस संगठन के […]

ताशकंद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के वर्चस्व वाले छह देशों के संगठन शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक सम्मेलन में शिरकत करने के लिए कल यहां पहुंचेंगे. सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए सुरक्षा सहयोग बढाने के तौर तरीकों पर बातचीत केंद्रित रहने की संभावना है. भारत और पाकिस्तान इस संगठन के पूर्ण सदस्य बनाये जाने वाले है जो मुख्यत: सुरक्षा और रक्षा से जुडे मुद्दों को देखता है.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन उज्बेकिस्तान की राजधानी में एससीओ के इस दो दिवसीय 16 वें सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व वहां के राष्ट्रपति ममनून हुसैन करेंगे. सम्मेलन के मौके पर मोदी की कल शी से द्विपक्षीय भेंटवार्ता होने की संभावना है. इस भेंटवार्ता में मोदी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता हासिल करने की कोशिश के प्रति चीन के समर्थन की मांग कर सकते है.
कल सोल में एनएसजी का दो दिवसीय वार्षिक पूर्ण सत्र शुरु होगा जिसके दौरान सदस्यता संबंधी भारत के आवेदन पर चर्चा हो सकती है. एससीओ सम्मेलन में नेता सुरक्षा सहयोग और खुफिया सूचनाओं का आदान प्रदान बढाने के तौर तरीकों पर विचार कर सकते हैं. इस संगठन की सदस्यता मिलने से भारत को सुरक्षा एवं रक्षा से जुडे मुद्दों में अपनी राय पुरजोर तरीके से रखने में मदद मिलेगी.
इस क्षेत्र में स्थायी शांति, स्थायित्व, उचित एवं तर्कसंगत राजनीतिक एवं आर्थिक व्यवस्था का निर्माण तथा आतंकवाद एवं चरमपंथ से संघर्ष जैसे विषय पिछले कुछ सालों के दौरान एससीओ के लिए प्रमुख विषय रहे हैं. एससीओ के ज्यादातर सदस्यों के पास तेल और गैस के भंडार होने से उम्मीद है कि भारत को इस संगठन का हिस्सा बनने के बाद मध्य एशिया में बडी हाइड्रोकार्बन परियोजनाओं में बडी पहुंच मिल सकती है.
एससीओ ने भारत को इस संगठन का सदस्य बनाने की प्रक्रिया पिछले साल जुलाई में ही रुस के उफा में अपने सम्मेलन में शुरु कर दी थी जब भारत, पाकिस्तान और ईरान को सदस्यता देने की प्रशासनिक बाधाएं दूर कर दी गयी थीं.एससीओ की स्थाना 2001 में संघाई में रुस, चीन, किर्गिज गणतंत्र, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी.
भारत, ईरान और पाकिस्तान वर्ष 2005 में अस्ताना सम्मेलन में पर्यवेक्षक के रुप में एससीओ में शामिल किए गए थे। जून, 2010 में ताशकंद एससीओ सम्मेलन में नई सदस्यता पर से रोक हटा ली गयी थी जिससे उसके विस्तार का मार्ग प्रशस्त हुआ था. भारत महसूस करता है कि एससीओ के सदस्य के रुप में वह इस क्षेत्र में आतंकवाद के खतरे का समाधान करने में अहम भूमिका निभा पाएगा. रुस एससीओ में भारत की सदस्यता के पक्ष में रहा है जबकि चीन पाकिस्तान को उसमें शामिल करने पर जोर देता रहा है.

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