हर दिन नियमित रूप से पांच से छह घंटे सेल्फ स्टडी करती रही. टेस्ट सीरीज के लिए कोचिंग सेंटर का सहारा ली. अपने ऊपर भराेसा था. सफलता से काफी खुश हूं. खुद को सौभाग्यशाली भी मानती हूं. इसलिए विद्यार्थियों को खुद पर भराेसा रख कर सेल्फ स्टडी करना चाहिए. आवश्यकता अनुसार गाइड का भी सहारा लें. उन्होंने कहा कि आज भी बिहार-उत्तरप्रदेश में लड़कियों की पढ़ाई में काफी डिस्क्रमिनेशन है.
लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. मां-बाप को बेटियों की पढ़ाई के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए. उनकी बेटियां भी डॉक्टर, इंजीनियर, आइएएस, आइपीएस बन सकती है. अपनी सफलता का श्रेय बड़े भाई प्रशासनिक सेवा में कार्यरत उत्सव शुक्ल को देती हैं. मूलत वाराणसी के रहने वाले अर्तिका के पिता डॉ बीके शुक्ला शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. मां लीना शुक्ला गृहिणी हैं. अर्तिका की प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई है. मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली से पढ़ाई करने वाली अर्तिका ने ऑल ओवर इंडिया में 47वां रैंक हासिल की थी.