मुंबई : लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार को बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया. अचानक की गयी इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया. उनके इस कदम पर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि यह देश के लिए ‘दुखद’ है.
सेन ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहा है. सेन ने एक निजी टीवी चैनल से कहा, ‘‘हम दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहे हैं. यह देश के लिए और देश की सरकार के लिए भी दुखद है. आरबीआई एक पूर्ण स्वायत्त संस्थान नहीं है.” सेन ने राजन पर कई मौकों पर हमला करने वाले भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की तरफ साफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘मैं समझता हूं, मैंने तो नहीं देखा लेकिन किसी ने मुझे बताया कि यह सच है कि सत्तारुढ दल के कुछ सदस्य रघुराम राजन पर कटाक्ष करते रहे हैं. यह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है.”
आपको बता दें कि कल आरबीआई प्रमुख रघुराम राजन ने आरबीआई में उनके साथ काम करने वाले सहयोगियों को पत्र लिखकर अपने मन की बात शेयर की है. पत्र में राजन ने लिखा है कि मैंने सितंबर 2013 में आईबीआई के 23वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला था. उस समय करंसी नियमित रूप से गिरती जा रही थी और ग्रोथ काफी कमजोर थी. रघुराम राजन ने लिखा कि मुझे विश्वास है मेरे उत्तराधिकारी आपकी (आरबीआई कर्मचारियों) मदद से नई ऊंचाइयों का छुएंगे। मैं अगले कुछ महीने आपके साथ काम करूंगा, लेकिन मैं जाने से पहले ही आरबीआई परिवार को शुक्रिया कहना चाहता हूं कि आपने मेरे साथ काफी समर्पित तरीके से काम किया और समर्थन किया.