22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Topper Scam : सिर्फ टॉपर्स से नहीं, अपने लोगों को टेंडर दिला कर करोड़ों का लेन-देन करते थे लालकेश्वर

पटना : बिहार बोर्ड में इंटर व मैट्रिक परीक्षा में नंबर बढ़ाने व टॉप कराने के खेल से ही नहीं, बल्कि टेंडर से भी अवैध कमाई की जाती थी. बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बोर्ड में तमाम तरह के ठेके-ठेकेदारी का बकायदा कारोबार खोल रखा था. हर काम में जुगाड़ बिठाने और […]

पटना : बिहार बोर्ड में इंटर व मैट्रिक परीक्षा में नंबर बढ़ाने व टॉप कराने के खेल से ही नहीं, बल्कि टेंडर से भी अवैध कमाई की जाती थी. बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बोर्ड में तमाम तरह के ठेके-ठेकेदारी का बकायदा कारोबार खोल रखा था. हर काम में जुगाड़ बिठाने और इससे अवैध कमाई करने के लिए अलग-अलग करीबी लोगों का कुनबा बना रखा था.
इसमें परिवार के लोगों से लेकर बोर्ड के कर्मी व बाहर के लोग शामिल थे. इन लोगों के बीच टास्क का बंटवारा किया हुआ था. कोई परीक्षा से जुड़ी धांधली को अंजाम तक पहुंचाने में लगा रहता था, तो कोई मोटे ठेकेवाले कामों का जुगाड़ बैठाता था. अवैध कमाई करने के लिए कई तरह के चैनल बना रखे थे.
धांधली के लिए तमाम नियम ताक पर
पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर ठेकों को मैनेज कर अच्छा-खासा ‘कट या नजराना’ लेने के लिए अपने कुछ खास ‘लाल’ को रखे हुए थे. इनके माध्यम से ही तमाम ठेके या टेंडर की प्रक्रिया फाइनल होती थी. स्थिति यह थी कि स्टोरकीपर के पास से होकर कॉपी, कागज, सीसीटीवी समेत अन्य चीजों की खरीद के लिए फाइलें गुजरती थीं. जिस कंपनी के साथ टेंडर फाइनल होता था, उसके मुताबिक दस्तावेज तैयार करने और पैसे का लेन-देन करने के लिए ‘भंडारी’ को सेट किया जाता था.
कंपनी के मुताबिक, टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार होता था, ताकि उसे ही संबंधित ठेका मिल सके. कई टेंडर में दूसरी कंपनियों का कोटेशन फाड़ कर देख लिया जाता था. फिर जिस कंपनी को दिलाना होता था, उसे प्रतिद्वंद्वी की जानकारी दे दी जाती थी. इसका सीधा फायदा जुगाड़वाली कंपनी को मिलता था. इस तरह लालकेश्वर के कुछ अन्य ‘सिपहसालार’ भी थे. इनमें कुछ की गिरफ्तारी हो चुकी है और कुछ बाकी हैं. यह भी जानकारी मिली है कि ठेका मिलनेवाली कई कंपनियां जान-पहचानवालों की ही हैं.
बड़े डील पत्नी, छोटे लेन-देन करते थे ‘लाल’
लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा बड़े लेन-देन या डील करती थीं, जबकि उनके ‘लाल’ छोटे लेन-देन करते थे. हालांकि, बड़े क्लाइंटों से लेन-देन फाइनल करके भी उनके ‘लाल’ ही मैडम तक पहुंचाते थे. हर जगह हर किसी के दाम तय होते थे.
बोर्ड में इस तरह के ठेकों से कमाई
करीब 30 लाख परीक्षार्थियों ने इस बार मैट्रिक व इंटर की परीक्षाएं दीं. इनके लिए 32 लाख कॉपियों की खरीद व प्रिंट.इतने ही परीक्षार्थियों के लिए प्रश्नपत्रों की भी छपाई का ठेका लखनऊ की एक निजी कंपनी को दिया गया. यह ठेका गुप्त होता है, इसलिए इसका ओपेन टेंडर नहीं होता है.
सर्टिफिकेट व मार्कशीट तैयार करने और इनका प्रिंट ऑउट का ठेका किसी कंपनी को दिया जाता है. यह भी पूरी तरह से गुप्त होता है. यह काम लालकेश्वर ने अपने चहेतों को मनमर्जी डील के आधार पर आवंटित कर दिया था.
परीक्षा केंद्रों पर जैमर और सीसीटीवी लगाने का ठेका भी करोड़ों में था.पिछले वर्ष की रद्दी कॉपियों को कबाड़ में बेचने का ठेका. इनकी सही मात्रा 800-900 टन होती है, लेकिन कागज पर कम वजन दिखा कर वास्तविक में अधिक कागज का उठाव होता है.
जदयू ने उषा सिन्हा को बाहर का रास्ता दिखाया
पटना. जदयू ने पूर्व बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर की पत्नी व पूर्व विधायक उषा सिन्हा की सदस्यता का नवीनीकरण नहीं करने का फैसला किया है. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उषा पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं और सदस्यता अभियान जारी है, इसलिए यह फैसला किया गया कि उनकी सदस्यता का नवीनीकरण नहीं किया जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें