आबिदजान : कोत देआइवरी ने भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए आज भारत के निजी क्षेत्र से खासतौर पर कोको प्रोसेसिंग में निवेश की मांग की. कोत देआइवरी के राष्ट्रपति आलासान वातारा ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ वार्ता के दौरान भारत के निजी क्षेत्र के निवेश में रुचि जाहिर की। अफ्रीका के तीन देशों की यात्रा पर गए प्रणब पश्चिम अफ्रीका के इस देश में दो दिवसीय यात्रा पर आए हैं. आर्थिक संबंधों के सचिव अमर सिन्हा ने दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता की जानकारी संवाददाताओं को देते हुए कहा, ‘आइवरी कोस्ट सरकार भारतीय निजी क्षेत्र को अपने साथ जोडने के लिए बेहद उत्सुक है. वह जिस अन्य क्षेत्र का जिक्र गर्व के साथ कर रहे थे, वह चॉकलेट का क्षेत्र था. वे कोको का उत्पादन करते हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र उपयोगी हो सकता है क्योंकि वे हर चीज निर्यात करते हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि इस साल जनवरी के आंकडों के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 84.10 करोड डॉलर का रहा और 31 मार्च तक यह एक अरब डॉलर तक पहुंच गया होगा. जिन महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये हैं, उनमें से एक के तहत एग्जिम बैंक यहां अपना दफ्तर दोबारा खोल रहा है. देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण इसे वर्ष 1992 में सूडान स्थानांतरित कर दिया गया था. इस बैंक का मुख्यालय मुंबई में है.
बैंक ने ‘मुख्यालय समझौते’ पर हस्ताक्षर किए हैं, जो इसे कुछ विशेषाधिकार देगा. सिन्हा ने कहा कि मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा भी उठाया और उन्होंने बदलाव को जरुरी बताया. वातारा ने प्रणब से कहा कि उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम में से आईवरी कोस्ट की यात्रा करने का समय निकाला है जो उनके लिए सम्मान की बात है. इसके साथ ही वातारा ने अफसोस भी जताया कि वह चुनाव के कारण पिछले साल हुए भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन के लिए भारत नहीं आ सके.
सिन्हा ने कहा कि प्रणब ने वातारा को भारत आने का निमंत्रण दिया और कहा कि वह कभी भी भारत आ सकते हैं. भारतीय राष्ट्रपति की यह कोत दिआइवरे की पहली यात्रा है और इसे भारत की अफ्रीका तक पहुंच के रुप में देखा जा रहा है. मुखर्जी की यह यात्रा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मोरक्को और ट्यूनीशिया की यात्रा के आसपास हुई है. ‘आतिथ्य का घर’ माने जाने वाले कोत दिआइवरे को आइवरी कोस्ट के रुप में भी जाना जाता है. इस देश में फ्रांसीसी भाषा बोली जाती है और यह काजू का सबसे बडा उत्पादक और भारत को इनका निर्यात करने वाला सबसे बडा निर्यातक देश है.
भारत को होने वाले काजू निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत की है. राष्ट्रपति के आगमन के साथ ही देश में बारिश शुरु हो गई। स्थानीय लोग इसे एक अच्छा शगुन मानते हैं. स्थानीय व्यक्ति ब्राइस ने कहा, ‘जब कोई मेहमान बारिश के साथ आता है तो उसे हमारे देश में सबसे ज्यादा शुभ अवसर मानते हैं. हमारे राष्ट्रगान की दूसरी पंक्ति कहती है कि हमारा देश आतिथ्य का घर है.’ पिछले दशक में गृहयुद्ध के कारण यह देश मुश्किल दौर से गुजरा है लेकिन हरे-भरे गांवों से गुजरते आधुनिक एक्सप्रेसवे को देखकर देश के विकास का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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