लखनऊ : करीब छह साल गर्दिश में गुजारकर समाजवादी पार्टी सपा में वापस लौटे अमर सिंह का कहना है कि वह अपनी सीमाएं जानते हैं और राजनीति तथा पारिवारिक रिश्तों के बीच बेहतर संतुलन रखते हुए अपने भतीजे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर ‘अंकल सिंड्रोम’ को हावी नहीं होने देंगे.
अमर सिंह ने पीटीआइ-भाषा को दिये गये साक्षात्कार में कहाकि अपनी दूसरी पारी में मैं राजनीति और पारिवारिक संबंधों के बीच संतुलन बनाऊंगा. इसका मतलब यह है कि अखिलेश जहां एक ओर मेरे भतीजे हैं, वहीं वह दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री भी हैं. मैं अखिलेश के प्रति अंकल सिंड्रोम को हावी नहीं होने दूंगा. उन्होंने कहा ‘‘मैं सपा के अघोषित मार्गदर्शक मंडल का सदस्य हूं. यह सक्रिय होगा या निष्क्रिय रहेगा, यह हमारे नये नेता अखिलेश पर निर्भर करेगा.
अमरसिंह नेकहा कि मेरे पास शिकायत की कोई वजह नहीं है. मैं अपनी पारी खेल चुका हूं. अब मैं ज्यादा धैर्य और सहजता से काम लूंगा. सपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य ने कहा कि वह अतिउत्साह में कोई भी काम नहीं करेंगे और कभी भी मुख्यमंत्री को अपनी छाया में लेने की कोशिश नहीं करेंगे. वह अब ताकत की सियासत करने या कोई पद लेने के इच्छुक नहीं हैं.
गौरतलब है कि पूर्व में सपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे सिंह का प्रभाव तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के लगभग हर फैसले में नजर आता था। उस दौर में वह सपा के सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे. अमर सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष के दौरान सपा में शक्ति का हस्तांतरण हुआ है. मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव सपा के नेता हैं.
सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां द्वारा अपनी आलोचना किये जाने पर सिंह ने कहा, जो भी व्यक्ति नेताजी :मुलायम: के करीब है, वह मेरा अपना है. आजम खां जो मेरी आलोचना कर रहे हैं, वह तर्कसंगत होगी और मैं उसका सम्मान करता हूं. यह पूछे जाने पर कि क्या वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में वह ठाकुर बिरादारी को सपा के पक्ष में एकजुट करेंगे, सिंह ने कहा कि वह किसी जाति विशेष के नेता नहीं बनना चाहते.
अमर सिंह ने कहा कि उस समय :ठाकुर बिरादरी: के जो लोग मेरे पीछे थे, वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पौत्र रविशंकर सिंह पप्पू को विधानपरिषद सदस्य का टिकट दिलाना चाहते थे. इसके लिये जब मैंने जोर डाला तो सपा के कुछ नेताओं से मेरी तल्खी हो गयी थी. यही बात पार्टी नेतृत्व और मेरे बीच रिश्ते खराब होने का कारण बनी थी. उन्होंने कहा ‘‘अब समय और परिस्थितियां बदल चुकी हैं. अब वे ठाकुर मित्र मेरे आसपास नजर नहीं आते.’ बालीवुड अदाकारा पूर्व सांसद जया प्रदा से अपने संबंधों के बारे में सिंह ने कहा कि वह हमेशा किसी साये की तरह उनके पीछे खड़ी रहीं.
उन्होंने कहा, यह आश्चर्यजनक है कि जया जी मेरे राज्यसभा के लिए नामांकन से खुश हैं. मैं इस बात से खिन्न हूं कि अपनी लाख कोशिशों के बावजूद मैं उन्हें कहीं समायोजित नहीं करा सका. उन्होंने मेरी वजह से कांग्रेस और भाजपा को इनकार कर दिया. उन्होंने मेरे लिये अपना राजनीतिक करियर कुरबान कर दिया. मुझे अपनी सीमाएं पता हैं. मैं अब सपा में नीति नियंता नहीं रहा और मुझमें अपने साथ खड़े रहे लोगों के उचित समायोजन की सिफारिश करने की क्षमता भी नहीं रह गयी है. सिंह ने कहा कि उन्होंने सपा मुखिया की वजह से राज्यसभा का नामांकन स्वीकार किया. मैं मुलायम के दिल में हूं, जो बड़ी बात है. मैं इसके लिये उनका सदा आभारी रहूंगा.