नयी दिल्ली : दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी न मिलने से आप के 21 विधायकों की नियुक्ति पर सवालिया निशान लग गया है जिन्हें अरविन्द केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव के रुप में नियुक्त किया था. इससे इन विधायकों पर अयोग्यता का खतरा मंडरा रहा है. राष्ट्रपति के समक्ष इस संबंध में याचिकाएं दायर की गई हैं और इन विधायकों को इस आधार पर अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है कि उन्होंने संविधान का उल्लंघन कर लाभ का पद हासिल किया.
यह मुद्दा राष्ट्रपति ने निर्वाचन आयोग को भेज दिया जिसने अर्द्ध न्यायिक इकाई के रुप में विधायकों से जवाब मांगा है. इस बीच, दिल्ली सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) कानून 1997 में एक संशोधन करने की पहल की थी. विधेयक के जरिए आप सरकार संसदीय सचिवों के लिए अयोग्यता प्रावधानों से ‘‘पूर्व प्रभावी’ छूट चाहती थी.
उपराज्यपाल नजीब जंग ने विधेयक केंद्र को भेज दिया था. केंद्र ने अपनी टिप्पणियों के साथ इसे राष्ट्रपति को भेज दिया था. आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि मुद्दे की समीक्षा करने के बाद राष्ट्रपति ने विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं दी है. केजरीवाल ने 13 मार्च 2015 को अपनी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रुप में नियुक्त करने का आदेश पारित किया था.
मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किए गए 21 संसदीय सचिवों में शिक्षा मंत्री के लिए प्रवीण कुमार, राजस्व मंत्री के लिए शरद कुमार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के लिए आदर्श शास्त्री, सतर्कता मंत्री के लिए मदन लाल, वित्त मंत्री के लिए चरण गोयल, परिवहन मंत्री के लिए संजीव झा, रोजगार मंत्री के लिए सरिता सिंह, श्रम मंत्री के लिए नरेश यादव, विकास मंत्री के लिए जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री के लिए राजेश गुप्ता और स्वास्थ्य मंत्री के लिए राजेश रिषि शामिल हैं.
उनके अतिरिक्त विधायक अनिल कुमार बाजपेई को स्वास्थ्य मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था. सोमदत्त को उद्योग मंत्री का, अवतार सिंह कालका को गुरद्वारा चुनाव मंत्री का, विजेंद्र गर्ग विजय को लोकनिर्माण मंत्री का, जरनैल सिंह को बिजली मंत्री का, कैलाश गहलोत को कानून मंत्री का, अल्का लांबा को पर्यटन मंत्री का, मनोज कुमार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री का, नितिन त्यागी को महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री का और सुखवीर सिंह को भाषा एवं अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग मंत्री का संसदीय सचिव बनाया गया था.