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नेतृत्व की नयी इबारत लिखनेवाले !

-हरिवंश- सफलता, यश और कामयाबी में दुनिया साथ थिरकती है. ओबामा के साथ भी यही हो रहा है. उनसे जुड़ीं किताबों की बाढ़ आ गयी है. अनेक सतही, स्केची और हड़बड़ी में लिखी गयीं. बाजार भाव और मांग देख कर तुरत-फुरत संकलित या तैयार की गयीं. ओबामा इस दौर के लीजेंड (गाथा) हैं. फिनामिना हैं. […]

-हरिवंश-

सफलता, यश और कामयाबी में दुनिया साथ थिरकती है. ओबामा के साथ भी यही हो रहा है. उनसे जुड़ीं किताबों की बाढ़ आ गयी है. अनेक सतही, स्केची और हड़बड़ी में लिखी गयीं. बाजार भाव और मांग देख कर तुरत-फुरत संकलित या तैयार की गयीं. ओबामा इस दौर के लीजेंड (गाथा) हैं. फिनामिना हैं. नायक हैं. लीडरशिप (नेतृत्व), नायकत्व या स्टेट्समैनशिप को ग्लोबल दुनिया या बाजार के दौर में रिडिफाइन (पुनर्परिभाषित) करनेवाले. पिछले दो-तीन दशकों से दुनिया में बड़े और दूरदर्शी नेताओं का अकाल रहा है. तब एक युवा शून्य से अपनी यात्रा शुरू करता है और शिखर तक जा पहुंचता है. वह भी अश्वेत होकर और अमेरिका में? गोरे लोग उसके दीवाने हो जाते हैं.

उसके पास अमेरिकी राजनीति में छा जाने के लिए जरूरी साधन ( बड़ी पूंजी, कॉरपोरेट लॉबिंग) नहीं होते. यह है रहनुमाई, यह है नायकत्व और लीडरशिप. राष्ट्रपति चुने जाने के बाद, फिर शपथ ग्रहण के बाद, जो यादगार भाषण देता है, जो भाषण भविष्य के ऐतिहासिक भाषणों में शुमार होंगे, जिसे शपथ लेते दुनिया के चार अरब लोग देखते हैं, नयी उम्मीद और आशा के साथ, जिसके शपथ ग्रहण में खून को जमा देनेवाली ठंड के बावजूद कई-कई लाख लोग जमा होते हैं, उसमें कोई चमक (स्पार्क) या जादू तो है? यही है नेतृत्व का जादू या चमत्कार.

ओबामा प्रेरक हैं. सिर्फ सपना देखनेवाले युवाओं के लिए ही नहीं, दुनिया के लिए. खासतौर से जो युवा, अपने सपने को आकार देना चाहते हैं, उनके लिए ओबामा ‘लिविंग लीजेंड’ (जीवित नायक) हैं. असंभव को संभव बनाने का सपना देखना ही है, युवापन. विपत्तियों-मुसीबतों के पहाड़ लांघ कर, सपनों की दुनिया गढ़ना ही युवा वृत्ति है. ओबामा ने यह कर दिखाया है. वह हर संभव प्रतिकूल माहौल में थे. जिस मुल्क में गोरे ही राष्ट्रपति होते थे, जहां राष्ट्रपति चुनावों के लिए भारी धन और संसाधन चाहिए थे, वहां एक साधनहीन, अश्वेत राष्ट्रपति बनने का इतिहास रचना चाहता था. उसकी पूंजी थी, निजी सपने और दृढ़ता. आंधी के जिन थपेड़ों से वह जूझ रहे थे, उन्हें ही अनुकूल बना लिया.

गोरे -काले सभी उनके समर्थक बन गये. फिर तो ओबामा ने जो इतिहास बनाया, उससे युवा और आनेवाली पीढ़ियां ताकत और ऊर्जा ग्रहण करेंगी.पर जो लोग रहनुमाई करते हैं, अपने देश और मुल्क को आगे ले जाना चाहते हैं, वे भी ओबामा से नेतृत्व की कला और गुर जान सकते हैं. खास तौर से भारत के नेता बहुत कुछ सीख सकते हैं. एक जाति या एक धर्म की बात कर आप बड़े नेता या नायक नहीं बन सकते. एक क्षेत्र या एक समुदाय की सीढ़ी से आप सर्वमान्य नेता के मंच तक नहीं पहुंच सकते. जो पूरे समाज को सपना दिखा सकता हो, जो लोगों की अव्यक्त आकांक्षाओं को स्वर दे सकता हो, वही बड़ा नेता बन सकता है. जो नये मुहावरों और शब्दों में अपने समय की चुनौतियों को रेखांकित कर सके और उनके समाधान के लिए साहसिक और कठोर कदम उठा सके.

शपथ ग्रहण के दिन ओबामा ने कहा- क्रिश्चियन, मुसलिम, यहूदी, हिंदू, अनीश्वरवादी, सबका देश है अमेरिका. अमेरिका के मौजूदा संकट के बारे में उन्होंने साफ-साफ कहा, हम भटक गये हैं, सुविधाभोगी हो गये हैं, इसलिए यह स्थिति है? कठोर कदम उठाने के उन्होंने साफ और स्पष्ट संकेत दिये. भारत के नेताओं को देखिए. इनमें साहस नहीं है कि वे धारा के खिलाफ बोल सकें. भारत में भी लोकसभा चुनाव होनेवाले हैं. काश कोई पार्टी, नेता, विचारधारा या समूह, भारत के नये सपनों को एजेंडा बना पाता. राजनीति के नये मुहावरे और नयी व फ्रेश भाषा गढ़ता. धारा और वोट बैंक के खिलाफ सही मुद्दे उठा पाता. नयी फिजा और नया माहौल बना पाता.

शायद यह अपने आप घटता है. होता है. यह नकल से संभव नहीं. वर्ष 2004 में ओबामा ने पुस्तक लिखी, ‘ड्रीम्स फ्रॉम माइ फादर’ (ए स्टोरी ऑफ रेस एंड इनहेरिटेंस, प्रकाशक- कैननगेट).

यह हाल में भारतीय बाजार में आयी है. पुस्तक पर लिखा है, ’द नंबर वन इनटरनेशनल बेस्ट सेलर.’ नहीं मालूम कि ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद यह ‘बेस्ट सेलर’ (सर्वाधिक बिक्रीवाली) बनी या पहले? हालांकि, ओबामा ने लिखा है कि छपने के बाद यह औसत किताबों की तरह ही बिकी. यह पुस्तक उन्होंने तब लिखी, जब वह ‘हावर्ड लॉ रिव्यू’ के पहले प्रेसिडेंट चुने गये. वहां भी वह चुनाव जीतनेवाले पहले ‘अफ्रीकन-अमेरिकन’ प्रेसिडेंट थे. एक युवा जो अपनी पहचान और जड़ों को शिद्दत से-बेचैनी से तलाशता है, यह उसकी आत्मकहानी है. पिता, अफ्रीका के ब्लैक, मां अमेरिका की गोरी महिला. इंडोनेशिया में बचपन, कीनिया में पिता के जीवन से रू-ब-रू होने का प्रकरण और फिर अमेरिका के अनुभव. बहुत ही सुंदर और ईमानदार तरीके से. 442 पेजों और 19 अध्यायों + उपसंहार में सिमटी है यह कथा.

ओबामा पर पुस्तकों की भीड़ में दूसरी पुस्तक है, ‘चेंज वी कैन बिलीव इन’ 271 पृष्ठों की इस पुस्तक को प्रकाशित किया है, थ्री रिवर्स प्रेस न्यूयार्क ने. यह 2008 में प्रकाशित है. इसकी भूमिका लिखी है, ओबामा ने. दो हिस्सों में यह पुस्तक है. पहले चैप्टर का नाम है, ’द प्लान’ (योजना), दूसरे का ‘द कॉल’ (पुकार). इसमें 2008 चुनाव प्रचार के सात चुनिंदे भाषण हैं. इस पुस्तक में अमेरिका की चुनौतियां (अर्थ संकट, आतंकवाद, इराक युद्ध वगैरह) के बारे में स्पष्ट विचार हैं. ओबामा कैसे बीमार अर्थव्यवस्था को ठीक करना चाहते हैं, इस पर उनकी योजनाएं हैं. वह मध्य वर्ग को मजबूत बनाने के नुस्खे बताते हैं. स्वास्थ्य सेवा में सुधार के रास्ते और तरकीब पर वह चर्चा करते हैं. ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते की बात करते हैं. इस तरह खतरनाक होती दुनिया में अमेरिका को सुरक्षित रखने की योजना बताते हैं.
इन दोनों पुस्तकों से एक नये नेतृत्व की झलक मिलती है. जो लीक से हट कर कुछ करने को बेचैन है. ओबामा की एक और पुस्तक है, ‘द ऑडेसिटी ऑफ होप’ यह भी बेस्ट सेलर रह चुकी है. फिलहाल भारतीय बाजारों से बिक चुकी है. नये संस्करण की प्रतीक्षा है.

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