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जांच में फंस सकते हैं कई अधिकारी

हड़कंप. मेरिट घोटाले की आंच सुपौल तक पहुंचने की आशंका बिहार में उजागर हुए मेरिट घोटाले की आंच सुपौल भी पहुंचने की आशंका है. यदि इस मामले की गहराई से छानबीन की गयी, तो यहां कई शिक्षा माफिया, अधिकारी व कर्मी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. सुपौल : बिहार में उजागर हुए […]

हड़कंप. मेरिट घोटाले की आंच सुपौल तक पहुंचने की आशंका

बिहार में उजागर हुए मेरिट घोटाले की आंच सुपौल भी पहुंचने की आशंका है. यदि इस मामले की गहराई से छानबीन की गयी, तो यहां कई शिक्षा माफिया, अधिकारी व कर्मी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं.
सुपौल : बिहार में उजागर हुए मेरिट घोटाले की आंच सुपौल भी पहुंच सकती है. यदि इस मामले की गहराई से छानबीन की गयी तो यहां कई शिक्षा माफिया, अधिकारी व कर्मी भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. जांच की संभावना के मद्देनजर जिले के शिक्षा माफिया समेत शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मियों में हड़कंप है. इसकी मुख्य वजह यह है कि इंटरमीडिएट परीक्षा के दौरान व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने की बात सामने आयी थी. प्रभात खबर द्वारा परीक्षा के दौरान ही इस मुद्दे को प्रमुखता के साथ उजागर करते हुए धांधली की आशंका जाहिर की गयी थी.खबर प्रकाशित होने के बाद जिला पदाधिकारी ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश दिया था.
यह दीगर बात है कि डीएम के आदेश को विभागीय अधिकारियों द्वारा ठंडे बस्ते में डाल कर दोषियों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. मेरिट घोटाले की आंच सुपौल तक पहुंचने की संभावना इसलिए भी जतायी जा रही है कि इंटर आर्टस के टॉप टेन में सुपौल जिले की चार छात्राएं शामिल हैं. वहीं बीएन इंटर कॉलेज भपटियाही का छात्र लोकचंद्र इस वर्ष आयोजित इंटर साइंस की परीक्षा का टॉपर है. लोकचंद्र ने सूबे में प्रथम स्थान प्राप्त किया है.हालांकि जांच के दौरान मेरिट टेस्ट में लोकचंद को उत्तीर्ण घोषित किया गया. लेकिन टॉप टेन में शामिल पांचों छात्र उन महाविद्यालयों से ताल्लुक रखते हैं जहां नियमित रूप से क्लास भी नहीं होती. बिना पढ़ाई के किस प्रकार इन छात्रों ने टॉप टेन में स्थान बनाया, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा.
इंटरमीडिएट की परीक्षा के दौरान जिले के अधिकांश परीक्षा केंद्रों के केंद्राधीक्षक द्वारा मनमानी के तहत परीक्षा संपन्न कराया गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी निर्देश के अनुसार केंद्राधीक्षकों को बोर्ड द्वारा प्रतिनियुक्त एवं आवंटित वीक्षकों से ही परीक्षा में कार्य लिया जाना था. लेकिन जिले के आठ से दस परीक्षा केंद्रों के केंद्राधीक्षक द्वारा बोर्ड के निर्देश को धत्ता बताते हुए इसका उल्लंघन किया गया. एक ओर जहां असंबद्ध कॉलेज के व्याख्याता एवं कर्मियों को परीक्षा कार्य से अलग रखा गया. वहीं इन केंद्राधीक्षकों द्वारा मनमर्जी के तहत बाहरी व्यक्तियों को परीक्षा कार्य में लगाया गया. हालांकि प्रभात खबर द्वारा इस मामले को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किये जाने के बाद बाहरी व्यक्तियों को कार्य से मुक्त कर दिया गया.
परीक्षा के दौरान केंद्राधीक्षकों द्वारा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के निर्देशों की जम कर धज्जियां उड़ायी गयी. कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन को लेकर इस बार बोर्ड द्वारा परीक्षा केंद्रों पर वीक्षकों की प्रतिनियुक्ति रेंडमाइजेशन के तहत की गयी थी.
इसके तहत प्रत्येक वीक्षकों को अलग से पिन कोर्ड निर्गत किया गया था. सरकार के निर्देश के आलोक में जिला पदाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने भी आदेश जारी कर कहा था कि परीक्षा की तिथि को केंद्र पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी की सहमति से केंद्राधीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि कौन वीक्षक किस कमरे में प्रतिनियुक्त होगा. लेकिन जिले में करीब पांच दर्जन से अधिक वीक्षकों ने नियम की धज्जियां उड़ाते हुए अपने निर्धारित केंद्रों पर योगदान ही नहीं किया.

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