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केन-बेतवा परियोजना को मंजूरी नहीं मिली तो उमा भारती करेंगी अनशन

नयी दिल्ली : केन-बेतवा परियोजना की मंजूरी में हो रही विलंब को देखते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अनशन करने की चेतावनी दी है. नदी जोडो परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को वन्यजीव मंजूरी मिलने में विलंब हो रहा है. इसी से नाराज जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती […]

नयी दिल्ली : केन-बेतवा परियोजना की मंजूरी में हो रही विलंब को देखते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अनशन करने की चेतावनी दी है. नदी जोडो परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना को वन्यजीव मंजूरी मिलने में विलंब हो रहा है. इसी से नाराज जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने चेताया कि अगर लाखों लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने वाली इस परियोजना को पर्यावरणविदों, एनजीओ की हिस्सेदारी वाली स्वतंत्र वन्यजीव समिति की मंजूरी में आगे कोई अड़चन आई तो वह ‘अनशन’ पर बैठ जाएंगी.

उमा भारती ने केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस परियोजना में देरी करना राष्ट्रीय अपराध है. जब मैं इसे राष्ट्रीय अपराध कह रही हूं तो मेरा कहना है कि इस परियोजना से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों प्रदेशों के बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा. जिन्हें पानी की कमी, फसल खराब होने एवं अन्य कारणों से दिल्ली और अन्य महानगरों में पलायन करने को मजबूर होना पड़ता है, इस परियोजना से उन्हें लाभ होगा.

क्या है केन-बेतवा परियोजना

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो देश की विभिन्न नदियों को आपस में जोडनें की 30 योजनाओं के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा. परियोजना को लेकर दो तरह के मत हैं जिसमें एक वर्ग का कहना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ से बरबाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को लहलहायेगा. लेकिन यहीं सवाल उठता है कि क्या केन में इतना पानी है कि रास्ते में उपयोग के बाद अधिशेष पानी बेतवा को दिया जा सकेगा.

डीपीआर के मुताबिक, उत्तरप्रदेश को केन नदी का अतिरिक्त पानी देने के बाद मध्यप्रदेश करीब इतना ही पानी बेतवा की उपरी धारा से निकाल लेगा. परियोजना के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा. इस प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से. यहां पर दो बिजली संयंत्र भी बनाने का प्रस्ताव है. परियोजना के तहत 220 किलोमीटर लम्बी नहर भी निकालने की बात कही गई है जो मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से गुजरेगी.

क्या है अड़चन

इस परियोजना को लेकर एक स्वतंत्र वन्य जीव समिति ने मंजूरी की राह में रोड़े अटकाएं हैं. समिति का तर्क है कि परियोजना से हजारों लोगों के घर तबाह हो जायेंगे और सैकड़ों गिद्धों का घोसला उजड़ जायेगा. स्वतंत्र विशेषज्ञ वन्य जीव समिति द्वारा बनाई गई उप समिति ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है, लेकिन जलाशय की ऊंचाई को लेकर मध्य प्रदेश और यूपी के एक-एक कृषि विशेषज्ञ को उस क्षेत्र में भेजने को कहा है जो ऊंचाई के घटने से खेती को मिलने वाले पानी को लेकर रिपोर्ट दे सकें.

जबकि उमा भारती का तर्क है कि जहां लाखों लोगों को फायदा हो रहा है वहां कुछ हजार लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट करने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्‍होंने कहा कि प्रभावित लोग दूसरे स्थानों पर शिफ्ट करने के लिए तैयार हैं. उमा ने यह भी कहा कि उनका पर्यावरण मंत्रालय से कोई विवाद नहीं है.

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