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लोक शिकायत निवारण अधिनियम की सीएम ने की शुरुआत

सीएम बोले : अब किसी की शिकायत को कोई टाल नहीं सकता पटना : राज्य में रविवार से लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू हो गया. पटना के एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की. सीएम ने कहा कि अब शिकायतों की सुनवाई ही नहीं, समाधान होगा. यह […]

सीएम बोले : अब किसी की शिकायत को कोई टाल नहीं सकता
पटना : राज्य में रविवार से लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम लागू हो गया. पटना के एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरुआत की. सीएम ने कहा कि अब शिकायतों की सुनवाई ही नहीं, समाधान होगा. यह अब लोगों का अधिकार बन गया है. जिन शिकायतों का समाधान नहीं होगा, उससे संबंधित लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को लिखित देना होगा. यदि संबंधित व्यक्ति उस फैसले से संतुष्ट नहीं होगा तो वह अपील में जायेगा.
सीएम ने कहा कि इस अधिनियम के लागू होने के साथ ही किसी की शिकायत को कोई टाल नहीं सकता है. अब तक डीएम से लेकर ऊपर तक सुनवाई होती थी. उसकी शिकायत पर कार्रवाई की गारंटी नहीं थी. अब शिकायत पर कार्रवाई की गारंटी होगी. अब उन्हें शिकायतों पर लिखित देना होगा कि किस वजह से शिकायत को अस्वीकार किया किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक माह तक इस अधिनियम के लागू हाेने के बाद हम राज्य में कुछ जगहों पर निकलेंगे. लोगों से बात करेंगे. इस अधिनियम के बारे में फीडबैक लेंगे. यदि बिहार में यह सफल हो गया ताे पूरे देश में लागू किया जायेगा.
की शिकायतें दूर होंगी तो तसल्ली होगा. आम लोगों का लोकतंत्र में विश्वास बढ़ेगा. इस मौके पर उन्होंने सूचना भवन में स्थापित राज्यस्तरीय शिकायत संग्रहण केंद्र का उद्घाटन भी किया. उन्होंने कहा कि लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनयम के लागू होने से जनता दरबार का काम खत्म हो जायेगा.
हम पत्रकारों से मिलने के लिए हर सोमवार को कोई न कोई काम कर लेंगे. सीएम ने कहा कि आज दिन इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसी दिन गांधी मैदान से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया था.
चार क्षेत्रों में नहीं लागू होगा लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम आज से लागू हो गया, लेकिन इस अधिनयिम के तहत चार प्रकार की शिकायतों को प्राप्त नहीं किया जायेगा. इसमें न्यायालय में लंबित मामले, सूचना के अधिकार कानून, लोक सूचनाअों के अधिकार अधिनियम के मामले और सरकारी सेवकों के सेवा से संबंधित मामले. मुख्मयंत्री ने कहा कि इसके लिए पहले ही कानून में प्रावधान कर दिया गया है. कोई कोर्ट के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. सूचना के अधिकार में पहले ही अपील करने तक का अधिकार मिला हुआ है.
सरकारी सेवकों की शिकायतें भी तय समय सीमा में होंगी दूर
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी सेवकों को लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता है, लेकिन उन्हें समय पर प्रोन्नति, पेंशन का लाभ आदि की सुविधा तो मिलनी ही चाहिए. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की ओर इशारा रकते हुए उन्होंने कहा कि आप जल्द सरकारी सेवकों की सेवा से संबंधित शिकायतों को दूर करने के लिए समय का निर्धारण कर लीजिये. अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए नियम बदल लीजिये. किसी को इस नाम पर नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता कि वह लंबित सूची में पीछे है. सरकार कर्मियों ने मुख्यमंत्री की घोषणा पर ताली बजाकर स्वागत किया.
जनता दरबार में मिले 277249 आवेदन
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता दरबार के अनुभव के आधार पर तय किया कि अब लोगों को लोक शिकायत निवारण का अधिकार मिलना चाहिए. राज्य की विभिन्न यात्राओं के दौरान लोगों से मिले आवेदन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक-एक दिन पांच से दस हजार तक आवेदन मिलता था. उसी समय से मैं इस संबंध में विमर्श कर रहा था. दस साल के अनुभव के आधार पर उन्होंने लोगों को शिकायत निवारण के अधिकार देने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि 241 जनता दरबार के आयोजन में 277249 आवेदन मिले. इसमें से 2.66 लाख आवेदन का निष्पादन किया गया.
आरटीपीएस में निबटाये गये 13.5 लाख आवेदन
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक सेवाआें के अधिकार अधिनियम लागू करने के दौरान कुछ लोग हंस रहे थे. अब देश के दूसरे राज्य इसे लागू करने के लिए बिहार का अनुभव लेने आते हैं. उन्हेांने कहा कि आरटीपीएस में 51 सेवाओं से संबंधित सर्टिफिकेट लेने का अधिकारी है. इसमें 13.5 लाख आवेदन मिले. 13.33 लाख आवेदन पर लोगों को सेवा दी गयी. बाद के दिनों में प्रमाण पत्र मिलने के लिए समय को कम किया गया. तत्काल सेवा भी शुरू की गयी.
उन्होंने कहा कि हमने राज्य में शराबबंदी की . आज पूरे देश में यह आंदोलन का रूप ले लिया है. यूपी के बार्डर पर महिलाओं ने शराब की दुकान खोलने वालों को खदेड़ दिया. पीने वालों को टिकने नहीं दिया. पांच हजार करोड़ की क्षति कोई बरी क्षति नहीं है, इससे राज्य के लोगों को 15 हजार करोड़ की बचत हो रही है. कुछ लोगों का काम ही बोलना है वे रोज कुछ न कुछ बालेंगे ही. मेरा काम करना है काम करते रहेंगे. इसलिए हमारा विकास डबल डिजिट में हो गया. यह विकास न्याय के साथ विकास है.
क्या है आरटीपीजीआर
लोक शिकायत निवारण अधिकार नियमावली (आरटीपीजीआर), 2016 आम लोगों को प्रशासन से सीधे जोड़ने या जन केंद्रित प्रशासनिक तंत्र स्थापित करने की पहल है.
इसके अंतर्गत आम लोगों को निर्धारित समयसीमा में जन सुविधा, जन सरोकार या किसी सेवा के नहीं मिलने या समय पर नहीं मिलने से संबंधित शिकायत कर सकते हैं.
आम लोगों की शिकायत के निवारण की सुदृढ़ कार्य प्रणाली विकसित करने तथा एक निश्चित समय सीमा के अंदर शिकायतों का निष्पादन करने का इसमें प्रावधान है.
ऐसे उठाएं लाभ
इस अधिनियम के तहत जिन्हें शिकायत करनी है, वे अनुमंडल या जिला कार्यालय से फॉर्म ले सकते हैं.
सादे कागज पर भी अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर, इ-मेल, आधार कार्ड संख्या और शिकायत का प्रकार लिखकर जमा कर सकते हैं.
इसका फॉर्म वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं. यह वेबसाइट है, http://lokshikayat.bihar.gov.in.
यह शिकायत डाक के जरिये या ऑनलाइन भी कर सकते हैं.
शिकायत दायर करने पर आवेदक को एक नंबर मिलेगा, जिसके आधार पर इसकी अपडेट स्थिति की जानकारी मिलेगी.
इनकी शिकायत नहीं कर सकते
किसी सेवारत या सेवानिवृत्त लोक सेवक से संबंधित मामले, जिसमें किसी न्यायालय में मामला चल रहा हो या फैसला आया हो.
सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन किसी मामले या बिहार लोक सेवा के अधिकार अधिनियम के मामले
आरटीपीएस की शिकायत नहीं कर सकते. हालांकि इसके फेल होने पर शिकायत कर सकते हैं.
सरकारी नौकरी, सेवानिवृत्त से संबंधित किसी तरह की शिकायत नहीं की जा सकती है.
यहां करें शिकायत
शिकायत या परिवाद अनुमंडलीय अथवा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में मौजूद काउंटर या एकीकृत शिकायत प्राप्ति केंद्र पर दर्ज कराया जा सकता है.

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