जी8-जी 5 की बैठक में भाग लेकर इटली से भारत लौटते समय 10 जुलाई की देर रात में प्रधानमंत्री ने अपने विशेष विमान में मीडिया के साथ गये लोगों से बातचीत की.
-हरिवंश-
लोकसभा चुनाव में चुनाव पंडितों, विश्लेषकों और परिणाम आंकनेवालों से गंभीर चूक हुई. वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के महत्व-असर को न आंक पाये, न समझ पाये. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी शिष्टता, मर्यादा, सादगी और गंभीर कार्यशैली से एक अलग छवि बनायी है. आमतौर पर लोग मानते हैं कि अधिसंख्य राजनीतिज्ञ काम-काज में यकीन नहीं करते, अपने दायित्व को गंभीरता से नहीं लेते. बयानबाजी उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. ठीक इसके विपरीत मनमोहन सिंह साफ-साफ बात करते हैं, नेहरू युगीन नेताओं की तरह. एक शब्द भी फिजूल नहीं. हर शब्द अर्थपूर्ण. कहीं सत्ता और पद का अहम नहीं. उनकी इस छवि ने इन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मजबूत बनाने में बड़ा काम किया है. जी-8 और जी-5 की बैठक से वापस भारत लौटते हुए प्रधानमंत्री ने अपने विशेष वायुयान में देर रात अपने साथ गये मीडिया के लोगों से बात की.
बातचीत के आरंभ में उन्होंने इस बैठक के महत्व पर प्रकाश डाला और फिर बताया कि ब्रिटेन, जापान, अमेरिका, अफ्रीका, अंगोला वगैरह के राष्ट्रध्यक्षों से उनकी अत्यंत फलदायी बातचीत हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत हैं. पर अभी जितने तथ्य उपलब्ध हैं, उनसे हम तेज रिकवरी के प्रति आश्वस्त नहीं हो सकते. मनमोहन सिंह जी ने विकसित देशों को साफ-साफ बताया कि प्रोटेक्सनिज्म (संरक्षणवाद) आने पर नुकसान होगा. उल्लेखनीय है कि इस अर्थसंकट के दौर में हर बड़ा देश अपने हित में सोच रहा है. बाहरी चीजें या प्रतिभाओं के आने-जाने पर पाबंदी लगा रहा है. स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री ने यह मुद्दा इसलिए उठाया, क्योंकि इसमें भारत का नुकसान है.
प्रधानमंत्री ने पत्रकारों से मूलत : जी 5-जी 8 के बारे में ही बातचीत की. पाकिस्तान से जु़ड़े सवाल भी उठे, पर एक सवाल रेलवे में बजट के घाटे पर उठे विवाद पर भी पूछा गया. प्रधानमंत्री ने अपनी शालीनता के अनुसार ही इसका जवाब दिया.
प्रधानमंत्री अपने उद्देश्य और दृष्टि में बिल्कुल साफ हैं. उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत ताकत से ही भारत मजबूत बनेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में हमें मिल कर 8-10 फीसदी की विकास दर पर काम करना होगा. भारत ने साफ-साफ अपनी बातें जी 8 और जी 5 में रखा है. चाहे कार्बन कंट्रोल का सवाल हो या मौसम परिवर्तन का प्रसंग हो, भारत की दृष्टि को अन्य महत्वपूर्ण देशों ने भी सराहा है. पर साथ ही प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि हमारे विचार से सभी सहमत नहीं हैं, यह भी ध्यान रखना होगा. खासतौर से पर्यावरण के मामले में वह मानते हैं कि भारत और चीन पर दबाव बढ़ेगा. एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने स्वीकार किया कि हमारे निर्यात प्रभावित हुए हैं. बाहर से आनेवाली पूंजी में भी कमी हुई है. वित्तीय संस्थाओं से मिलनेवाले ऋण भी घटे हैं, पर भारत में अंदरूनी ताकत है. हमारी बचत दर 35 फीसदी है. यह सबसे बड़ी ताकत है. प्रधानमंत्री ने माना कि अंतरराष्ट्रीय आर्थिक हालात अनुकूल नहीं है, फिर भी भारत अपने बल 8-9 फीसदी की गति से बढ़ेगा.
एक अन्य सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह भारत के उन्हीं बुनियादी सवालों को प्राथमिकता से हल करने में लगे हैं, जिन पर पहले दौर में उन्होंने काम आरंभ किया था. मसलन गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, जो विकास की दृष्टि से पीछे छूट गये हैं, उसे तेजी से आगे लाना.पाकिस्तान के संदर्भ में एक सवाल का उन्होंने उत्तर दिया कि पाकिस्तान और भारत करीब पड़ोसी हैं. आदमी अपना मित्र चुनता है, पर पड़ोसी नहीं. उसे तो आत्मीय ढंग के साथ रहना ही है. इसलिए भारत अपने पड़ोसियों से अच्छी तरह बर्ताव करना चाहता है, रहना चाहता है, शांति चाहता है, पर जो भारत की वाजिब चिंताएं हैं, उन्हें पाकिस्तान को दूर करना होगा.
पाकिस्तान को अपनी धरती पर आतंकवाद को खत्म करना होगा. जल्दी ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी से मुलाकात होनेवाली है. वह मानते हैं कि जिस दिन पाकिस्तान मुंबई कांड के आतंकवादियों को सजा देगा, उस दिन वह भारत-पाक संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में आधी दूरी तय करेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि जरदारी साहब से पिछली दफा उन्होंने जो भी कहा वह किसी को आहत करने या चोट पहुंचाने की दृष्टि से नहीं था. उन्होंने कहा कि जी 8-जी 5 के फोरम में भी आतंकवाद पर भारत के विचार को लोग समर्थन दे रहे हैं.
एक अन्य प्रश्न के संदर्भ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अधिक से अधिक पढ़े-लिखे और बौद्धिक लोगों को गवर्नेंस के क्षेत्र में इनवॉल्व (शरीक) कराना होगा. ये लोग राजनीति की दुनिया से बाहर हैं, उन्हें सक्रिय राजनीति में शरीक कराना हमारा प्रयास होना चाहिए.रेल में घाटे के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर कई तरह के विचार सामने आ रहे हैं. हमने डिटेल में जानकारी नहीं ली है कि मुनाफे को लेकर क्या अंतर है. भारत के रेल मंत्री ने कहा ही है कि वह इस पर व्हाइट पेपर जारी करनेवाली हैं. इस पेपर से ही जानकारी मिलेगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति से संबंधित सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत के प्रति अपने पूर्ववर्ती जॉर्ज बुश से कम संवेदनशील नहीं हैं. जी-8 बैठक के दौरान उनके मन में ओबामा के प्रति यह धारणा बनी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे और ओबामा के बीच कई मसलों पर बातचीत हुई. जब प्रधानमंत्री से इस धारणा से संबंधित सवाल पूछे गये कि ओबामा भले ही विश्व के लिए सही हों, पर भारत के लिए नहीं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा भारत के विकास के लक्ष्य के प्रति काफी सकारात्मक रुख रखते हैं. वह भारत के लिए आदर का भाव रखते हैं.
मुझे राष्ट्रपति ओबामा के साथ शुक्रवार की सुबह कुछ वक्त बिताने का अवसर प्राप्त हुआ. कृषि पर विचार के लिए आयोजित बैठक में मैं और ओबामा अगल-बगल बैठे थे. हमने कई विषयों पर अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. मैं अपने वाशिंगटन दौरे के प्रति काफी आशान्वित हूं. जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि हमने राष्ट्रपति ओबामा को भारत आने का निमंत्रण दिया है. इस लिहाज से मैं नहीं समझता कि पूर्व बुश प्रशासन का भारत के प्रति रुख और वर्तमान ओबामा प्रशासन के रुख में कोई अंतर आयेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने ओबामा में भारत के प्रति सकारात्मक भाव देखा और ऐसा मुझे पिछले दो दिनों में कई बार लगा. उन्होंने मुझसे कई बार इस बारे में कहा. लंदन में मुलाकात के दौरान भी ऐसी ही अनुभूति हुई थी.