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बल्लों के आकार की सीमा तय करे एमसीसी : आईसीसी समिति

लंदन : पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी क्रिकेट समिति ने सुझाव दिया है कि मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) को खेल में संतुलन बनाने के लिये बल्लों के आकार की सीमा तय करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. टी20 और वनडे में बन रहे बड़े स्कोर और यहां तक कि गलत […]

लंदन : पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी क्रिकेट समिति ने सुझाव दिया है कि मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) को खेल में संतुलन बनाने के लिये बल्लों के आकार की सीमा तय करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

टी20 और वनडे में बन रहे बड़े स्कोर और यहां तक कि गलत शाट के भी छक्के के लिये चले जाना विशेषज्ञों के लिये चिंता का विषय है जिनका मानना है कि क्रिकेट तेजी से बल्लेबाजों का खेल बनता जा रहा है. आईसीसी ने लार्ड्स में क्रिकेट समिति की चर्चा की विस्तृत जानकारी देते हुए विज्ञप्ति में कहा, ‘‘ एमसीसी ने बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बनाने के लिये किये जाने वाले बदलावों के संबंध में समिति से सुझाव देने के लिये कहा था.

समिति को एमसीसी से एक शोध पत्र मिला जिसमें वैज्ञानिक तथ्यों और आंकडों के जरिये दिखाया गया है कि हाल के वर्षों में बल्ले अधिक मजबूत बन गये हैं और इसका प्रमुख कारण ‘स्वीट स्पॉट’ का अधिक बड़ा होना है. ” इसमें कहा गया है, ‘‘समिति का मानना है कि एमसीसी को बल्ले और गेंद के बीच बेहतर संतुलन हासिल करने के लिये क्रिकेट के बल्लों के आकार की सीमा तय करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. ”

समिति में राहुल द्रविड, माहेला जयवर्धने, एंड्रयू स्ट्रास जैसे पूर्व अंतरराष्ट्रीय कप्तान भी शामिल हैं जिन्होंने इस पर भी चिंता जतायी कि अधिकतर बल्लेबाज ब्रिटिश सुरक्षा मानक (बीएसएस) के अनुरुप हेलमेटों का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आईसीसी के चिकित्सा सलाहकार डा. क्रेग रैनसन के चोट को लेकर सतर्कता बरतने के प्रति रुझान को लेकर प्रस्तुति दी जिसके बाद समिति ने हेलमेट संबंधी सुरक्षा मसले पर विचार किया. समिति ने इस पर चिंता जतायी कि अब भी कई अवसरों पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर ऐसे हेलमेट का उपयोग करते हैं जो ब्रिटिश सुरक्षा मानक (बीएसएस) की शर्तों को पूरी नहीं करते है. उसने सिफारिश की कि आईसीसी को सभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों पर बीएसएस वाले नये हेलमेट पहनने को बाध्य करना चाहिए. ”

समिति ने क्रिकेट आस्ट्रेलिया के प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ‘खिलाड़ी के सिर में चोट लगने पर उसकी जगह किसी अन्य खिलाड़ी को रखने’ के प्रस्ताव पर विचार किया. इसमें कहा गया है, ‘‘समिति ने क्रिकेट में खिलाडियों पर चोट लगने से बेहोशी छाने की गंभीरता को स्वीकार किया और इस संबंध में एक नीति लागू करने पर जोर दिया लेकिन उसका विचार था कि वर्तमान नियम और खेल की परिस्थितियां खिलाडियों को सर्वश्रेष्ठ संभावित चिकित्सा उपचार मुहैया कराने की अनुमति देते हैं और इस संबंध में नियमों में आगे बदलावों की अभी जरुरत नहीं है. ” सदस्य देशों की अवैध गेंदबाजी एक्शन को लेकर किये गये कार्यों के लिये भी समिति ने तारीफ की.

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