मथुरा : गुरुवार को मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाने गई पुलिस और दंगाईयों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें
सिटी एसपी मुकुल द्विवेदी व एसएचओ संतोष यादव सहितसहित 14 लोगों की मौत हो गयी जबकि कई पुलिस वाले जख्मी हैं. इस झड़प में दंगाइयों ने पुलिस पर राइफल, हथगोला आदि से हमला किया जिससे यह बात सामने आयी है कि दंगाईयों ने हिंसा का पूरा सामान अपने साथ रखा हुआ था. हिंसा के बाद पुलिस में घटनास्थल से बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं. बरामद हथियार में 315 बोर के 45 हथियार, 5 राइफल, 200 कारतूस भी शामिल हैं. उपद्रवियों को हथियार और बम कहां से मिले इसकी जांच पुलिस कर रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले का प्रमुख रामवृक्ष यादव नाम का एक शख्स है जो गाजीपुर का रहना वाला है.
कैसे किया कब्जा
रामवृक्ष 15 मार्च 2014 में करीब 200 लोगों के साथ मथुरा आया था और इसने प्रशासन से यहां रहने के लिए दो दिन का वक्त लिया था लेकिन उसने बाद में इलाके में कब्जा करना शुरू किया. शुरुआत में उसने यहां एक छोटी सी झोपड़ी बनायी जिसमें वह रहने लगा. धीरे-धीरे उसके नेतृत्व में यहां पर और झोपड़ियां बनने लगी जिसके बाद उसने 270 एकड़ में अपनी सत्ता स्थापित कर ली. इन दो वर्षो में वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसके सामने बौना साबित होने लगा.
कई मुकदमे हैं दर्ज
मथुरा में 2014 से लेकर 2016 तक रामवृक्ष पर 10 से ज्यादा मुकदमें दर्ज किए जा चुके हैं. इन मामलों में पुलिस अधिकारयों पर हमला, सराकरी संपत्ति पर अवैध कब्जा करना प्रमुख है. विजयपाल तोमर नामक एक याचिकाकर्ता ने कब्जे के मामले को कोर्ट तक पहुंचाया तब जाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे खाली करने का आदेश दिया था. कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ रामवृक्ष यादव भी कोर्ट पहुंचा लेकिन उसकी याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने 50 हजार का जुर्माना उसपर लगाया. लगातार तीन दिन से पुलिस इस जगह को खाली करने के संबंध में अनाउंसमेंट करती रही जिसके बाद रामवृक्ष शूटरों और अपराधियों को अपने कैंप में रखने लगा. कैंप में हैंड ग्रेनेड, हथगोला, रायफल, कट्टे, कारतूस छिपाकर जुटाए गए थे.