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गांधी की राह चल रहे कैदी
कोशिश : गांधी शांति परीक्षा के जरिये कैदियों का जीवन बदल रहा एक चैरिटेबल ट्रस्ट महात्मा गांधी कहा करते थे – अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं. कुछ इसी विचार के साथ मुंबई का एक चैरिटेबल ट्रस्ट महाराष्ट्र की जेलों में सजा काट रहे अपराधियों के लिए हर साल गांधी शांति परीक्षा आयोजित करता […]
कोशिश : गांधी शांति परीक्षा के जरिये कैदियों का जीवन बदल रहा एक चैरिटेबल ट्रस्ट
महात्मा गांधी कहा करते थे – अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं. कुछ इसी विचार के साथ मुंबई का एक चैरिटेबल ट्रस्ट महाराष्ट्र की जेलों में सजा काट रहे अपराधियों के लिए हर साल गांधी शांति परीक्षा आयोजित करता है़ मकसद है- गांधी के विचारों से उन्हें अवगत कराना, ताकि वे भी अपने जीवन में सत्य और अहिंसा का मार्ग अपना कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.
वर्ष 2004 से हर साल गांधी जयंती, यानी दो अक्तूबर को बॉम्बे सर्वोदय मंडल गांधी शांति परीक्षा का आयोजन करता आ रहा है. इसका मकसद कैदियों में गांधी के आदर्शों के जरिये सुधार करना है, ताकि कैदी जेल में और जेल के बाद अच्छा जीवन बिता सकें. पिछली परीक्षाओं के नतीजे काफी सकारात्मक रहे हैं. बताते चलें कि बॉम्बे सर्वोदय मंडल मुंबई का एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जिसका लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा लोगों को गांधीजी के जीवन दर्शन और उसूलों से रूबरू कराना है, ताकि देश और समाज, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए तरक्की करे.
इस बारे में संस्था से जुड़े टीके सोमैया बताते हैं कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन के साढ़े छह साल जेल में गुजारे. उन्होंने इस दौरान खुद को पहले से और बेहतर बनाया. परीक्षा के बाद कैदियों में गांधी की सोच का असर देखा जा रहा है. कैदी सत्य और अहिंसा को अपना रहे हैं.
कई अपराधों के आरोपी लक्ष्मण गोले 2005 से महाराष्ट्र के सभी जेलों में गांधीगिरी का प्रचार कर रहे हैं. गोले बताते हैं कि कैदियों को गांधी की किताबें मुफ्त में दी जाती हैं. 80 अंकों की परीक्षा होती है. परीक्षा पास करने के बाद कैदियों को सर्टिफिकेट और खादी के कपड़े दिये जाते हैं.
सोमैया बताते हैं कि पिछले वर्ष गांधी जयंती पर आयोजित गांधी शांति परीक्षा में आर्थर रोड जेल के 89 कैदी शामिल हुए़ इस परीक्षा में शामिल होने वाले कैदियों में अंडा सेल (अंडा के आकार वाले अति-सुरक्षा वाले जेल) के कैदियों ने भी भाग लिया और इनमें से दो ने 80 में से 79 अंक हासिल किये. परीक्षा के बाद अंडा सेल के एक कैदी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, मुझे सच्चाई और अहिंसा का सही मूल्य पता चला. मैंने महसूस किया कि मुझसे गलतियां हुईं और मैंने प्रण लिया कि मैं भावी जीवन में नहीं भटकूंगा़ सोमैया बताते हैं कैदी ने पिछले साल सर्वोदय मंडल को एक पत्र लिखा था और महात्मा गांधी से संबंधित पुस्तकें पढ़ने और परीक्षा में शामिल होने के प्रति अपनी दिलचस्पी जाहिर की थी. मंडल ने उन्हें गांधी की आत्मकथा भी भेजी थी.
गांधी शांति परीक्षा के बारे में सोमैया बताते हैं कि यह परीक्षा कैदियों के मन में गलत काम के प्रति अफसोस की भावना लाने और उन्हें समाज का जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करने के लिए ली जाती है. सोमैया आगे बताते हैं कि 12 वर्षों से लगातार आयोजित हो रही इस परीक्षा में मुंबई और आसपास के जिलों की जेलों के दस हजार से ज्यादा कैदी भाग ले चुके हैं.
जल्द ही हम अन्य संस्थाओं के साथ मिल कर राज्य के 46 जेलों में बंद कैदियों के लिए गांधी के उपदेशों पर आधारित परीक्षा का आयोजन करेंगे और साथ ही इन कैदियों के लिए सुधार कार्यक्रमों की भी शुरुआत करेंगे. इन सुधार कार्यक्रमों में ध्यान, योग, एड्स नियंत्रण, वयस्क शिक्षा शामिल होगा. इस परीक्षा और सुधार कार्यक्रमों के लिए महाराष्ट्र के जेल महानिरीक्षक ने सर्वोदय मंडल को अनुमति दे दी है. सोमैया बताते हैं कि इस बार की परीक्षा में एक जेल अधिकारी भी शामिल हुए, वहीं एक नाइजीरियाई कैदी ने 80 में 65 अंक हासिल किये़
सोमैया कहते हैं, खास बात यह है कि परीक्षा का परिणाम उसी दिन जारी कर दिया जाता है. इन परीक्षाओं में ज्यादातर परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं. जो कैदी गांधी शांति परीक्षा में भाग लेने की इच्छा जताते हैं, उन्हें गांधी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ और राष्ट्रपिता की अन्य किताबें मुफ्त उपलब्ध करायी जाती हैं. गांधी के उपदेश पढ़ने से अधिकांश कैदियों को अपने किये गये अपराधों का प्रायश्चित करने में और जेल में अपनी सजा समाप्त होने के बाद जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद मिलती है.
सोमैया आगे बताते हैं, इस साल छह लाख विद्यार्थी और एक हजार से अधिक कैदी दो अक्तूबर से शुरू होकर हफ्ते भर चलने वाले इन कार्यक्रमों में भाग लेंगे. इस प्रयास की सफलता से उत्साहित बॉम्बे सर्वोदय मंडल अब देश के अन्य भागों में भी गांधी शांति परीक्षा आयोजित करने का इरादा रखता है.
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