इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर में एक सरकारी अस्पताल में लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है जिसके कारण दो मासूमों को अपनी जान गंवानी पड़ी. दो दिन में दो मासूमों को मौत के बाद जाकर अस्पताल प्रशासन की नींद खुली और लोगों को इस बात की जानकारी हुई.प्राप्त जानकारी के अनुसारस्थानीय शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवाईएच) में गंभीर लापरवाही के कारण ऑपरेशन थियेटर में ऑक्सीजन की जगह एनिस्थीसिया (निश्चेतना) के लिये इस्तेमाल की जाने वाली नाइट्रस आक्साइड गैस दिये जाने से पिछले तीन दिन में दो बच्चों की मौत हो गयी.
एमवाईएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला ने आज बताया कि अस्पताल में 27 मई को हर्निया की सर्जरी के दौरान आयुष (05) की मौत हो गयी थी. इसके बाद कल 28 मई को लिंग की विकृति के ऑपरेशन के दौरान राजवीर (01) की तबीयत बुरी तरह बिगड गयी. राजवीर ने गहन चिकित्सा इकाई :आईसीयू: में इलाज के दौरान कल 29 मई की रात दम तोड दिया.
उन्होंने बताया कि एमवाईएच प्रशासन को शुरुआती जांच में पता चला कि ऑपरेशन थियेटर में जिस पाइप से ऑक्सीजन आनी चाहिये, उससे नाइट्रस ऑक्साइड की आपूर्ति की जा रही थी। इस ऑपरेशन थियेटर का 24 मई को ही लोकार्पण किया गया था. शुक्ला ने बताया, ‘‘हमने एमवाईएच के वरिष्ठ डॉक्टरों की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो दोनों बच्चों की मौत के मामले में संबंधित सर्जनों व अन्य स्टाफ की भूमिका की जांच करेगी और प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी.’
उन्होंने बताया कि गैस की आपूर्ति में गडबडी के खुलासे के बाद ऑपरेशन थियेटर को पहले ही सील किया जा चुका है. इसके साथ ही, ऑपरेशन थियेटर में गैसों की आपूर्ति और इनके पाइप जोडने का काम करने वाली एक निजी कम्पनी के टेक्नीशियन राजेंद्र चौधरी के खिलाफ संयोगितागंज पुलिस थाने में भारतीय दंड विधान की धारा 304-ए (लापरवाही से जान लेना) के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. इस बीच, गैर सरकारी संगठन ‘‘स्वास्थ्य अधिकार मंच’ ने इस मामले में एमवाईएच प्रशासन की गठित जांच समिति पर सवाल उठाये हैं.
संगठन के प्रमुख कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने आशंका जतायी कि इस समिति के सभी पांच डॉक्टर एमवाईएच से जुडे हैं, जो अस्पताल के दोषी स्टाफ को बचाने के लिये जांच के नाम पर लीपापोती कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कायदे से होना यह चाहिये था कि इस समिति में अलग-अलग क्षेत्रों के स्वतंत्र सदस्यों को शामिल किया जाता, जो निष्पक्ष जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपते.’