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बंदर ने फिर किया तीन को जख्मी

देवघर : पिछले तीन दिनों से शहरी क्षेत्र के कास्टर टाउन, पूरनदाहा, कमलकोठी आदि मुहल्लों के लोग पागल बंदर के आतंक से खासे परेशान हैं. परेशानी से निजात पाने के लिए मुहल्लेवासियों ने जिला प्रशासन व वन विभाग के पदाधिकारियों को समय-समय पर सूचित किया. मगर बुधवार की शाम तक वन विभाग के पदाधिकारी व […]

देवघर : पिछले तीन दिनों से शहरी क्षेत्र के कास्टर टाउन, पूरनदाहा, कमलकोठी आदि मुहल्लों के लोग पागल बंदर के आतंक से खासे परेशान हैं. परेशानी से निजात पाने के लिए मुहल्लेवासियों ने जिला प्रशासन व वन विभाग के पदाधिकारियों को समय-समय पर सूचित किया. मगर बुधवार की शाम तक वन विभाग के पदाधिकारी व कर्मी बंदर को अपने वश में नहीं कर पा सके. बंदर अब तक इलाके के लगभग 10 लोगों को गंभीर रूप से जख्मी कर चुका है.

कुछ लोगों के बाल तक नोच कर उखाड़ डाले है, तो कुछ के चेहरे व शरीर के दूसरे अन्य हिस्सों को जख्मी कर दिया है. बुधवार को सुबह-सुबह सुंदर लाल मिश्र रोड निवासी विजय कुमार व राजा कुमार समेत संध्या समय कास्टर टाउन इलाके के बुलु राय को नोच कर जख्मी कर दिया. वैसे भी धार्मिक नगरी होने के कारण देवघरवासी बंदर को मारने या किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाना नहीं चाहते.
गौरतलब है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कभी हाथियों के उत्पात तो कभी लकड़बग्घे के हमले से लोग परेशान होते रहे हैं. एक पखवारा पहले सारवां इलाके में लकड़बग्घे के हमले में 13 लोग जख्मी हो गये थे. बाद में इलाज के दौरान दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. वन्य प्राणियों के व्यवहार में अचानक से इतना परिवर्तन को देख आम लोगों की चिंता बढ़ गयी है. लेकिन वन विभाग का एक बड़ा सा अमला, न तो मूल कारण खोज पा रहा है अौर न इस समस्या को लेकर दूरगामी या तात्कालिक प्रोग्राम ही चला रहा है. समस्याअों की जानकारी होने पर वन विभाग के पदाधिकारी आम लोगों को आश्वासन देकर अपने कर्त्तव्यों से इतिश्री कर लेते हैं.
उजड़ते अधिवास से परेशान हैं वन्य प्राणी : डीएफओ
बंदर हमले के मामले में डीएफअो ममता प्रियदर्शी ने बताया कि, विकास के नाम पर मनुष्य ने वन्य प्राणियों को काफी परेशान किया है. जंगली इलाकों में सड़कें व रेलवे ट्रैक बन रहे हैं. रोशनी के लिए बिजली के पोल लगा रहे हैं. इन सारी चीजों के लिए इंसान वनों की कटाई कर रहा है. इन परिस्थितियों के कारण वन्य प्राणी बड़े दायरे को छोड़ छोटे दायरे में रहने को विवश हो रहे हैं. क्या राइट टू लाइफ जानवरों का नहीं है. इन सारे कारणों को देखने से लगता है कि वन्य प्राणियों के व्यवहार में काफी परिवर्तन आया है अौर वे इंसान को यदा-कदा नुकासन पहुंचा रहे हैं. कहा कि देवघर में बंदर का आक्रामक होना इसी का नतीजा है. विभाग के पास एलीफैंट ड्राइव टीम तो है, मगर मंकी ड्राइव टीम नहीं. विभाग के वरीय पदाधिकारियों को घटना से अवगत कराया है. उन्होंने हर हाल में बंदर को ट्रिंकोलाइज्ड करने से मना किया है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत उसे किसी भी सूरत में नुकसान के बगैर उसके आवास तक पहुंचाना है. शहरवासियों से अपील है कि फिलहाल वे खुद को सुरक्षित रखें. उसके आसपास जाने या नुकसान पहुंचाने से बचें. बंदर पेड़ पर जो कर रहा है उसे करने दें. पिछले तीन दिनों में अलग-अलग जगह घटित घटना में घायलों के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है. घायल व्यक्ति यदि वन विभाग के कार्यालय में चिकित्सक द्वारा इलाज कराये गये प्रेसक्रेप्शन के साथ आवेदन करेंगे तो उन्हें विभाग समुचित मुआवजा भी प्रदान करेगा.
एसीएफ के नेतृत्व में टीम गठित
बंदर को तपोवन तक खदेड़ने के लिए एसीएफ मोहन सिंह के नेतृत्व में टीम गठित की गयी है. जिसमें वन क्षेत्र पदाधिकारी रघुवंशमणी सिंह, वनपाल गोपाल मंडल के अलावा 10 वनपाल शामिल हैं. विभाग की अोर से लाउडस्पीकर के जरिये सूचना प्रसारित कर लोगों के बीच व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. ताकि किसी भी तरह के नुकसान से बच सकें.

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