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15 सरकारी स्कूल में 77 बच्चे, 75 शिक्षक वेतन 4.32 करोड़, रिजल्ट : सभी छात्र फेल

!!सुनील कुमार झा !! रांची : सीबीएसइ 12वीं में इस वर्ष दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट निजी स्कूलों से बेहतर रहा़ 88.98 फीसदी बच्चे पास हुए. इसके उलट झारखंड के कई सरकारी स्कूलों के शत-प्रतिशत विद्यार्थी अपने संकाय में फेल हो गये़ साइंस में मात्र 58 फीसदी बच्चे पास हुए. राज्य सरकार एक प्लस […]

!!सुनील कुमार झा !!

रांची : सीबीएसइ 12वीं में इस वर्ष दिल्ली के सरकारी स्कूलों का रिजल्ट निजी स्कूलों से बेहतर रहा़ 88.98 फीसदी बच्चे पास हुए. इसके उलट झारखंड के कई सरकारी स्कूलों के शत-प्रतिशत विद्यार्थी अपने संकाय में फेल हो गये़ साइंस में मात्र 58 फीसदी बच्चे पास हुए. राज्य सरकार एक प्लस टू शिक्षक को प्रतिमाह 48 हजार रुपये वेतन देती है़ क्या ऐसा आउटपुट देनेवाले शिक्षक, जिनके विद्यालय के शत-प्रतिशत बच्चे फेल हो गये, उन्हें बने रहने का अधिकार है़ स्कूलों के संचालन के लिए मुख्यालय से लेकर प्रखंड तक अधिकारी नियुक्त हैं. इनके वेतन पर भी प्रतिमाह करोड़ों रुपये खर्च है़ इसके बाद भी प्रति वर्ष लगभग आधे विद्यार्थी फेल हो जाते है़ं.
इंटर 2016 की परीक्षा में 18 स्कूल-कॉलेज में साइंस व 12 में कॉमर्स में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हो सका. इनमें 15 प्लस टू उच्च विद्यालय स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा संचालित हैं. इन 15 सरकारी स्कूलों के कुल 77 बच्चों ने परीक्षा लिखी थी. इन्हें पढ़ाने के लिए यहां कुल 75 शिक्षक नियुक्त हैं. एक शिक्षक को प्रतिमाह 48 हजार रुपये वेतन मिलता है. इन शिक्षकों के वेतन पर सालाना 4.32 कराेड़ रुपये खर्च है. इनमें से कुछ स्कूल ऐसे हैं, जहां परीक्षा में शामिल विद्यार्थी व शिक्षक के वेतन को मिला कर सरकार एक बच्चे पर प्रति माह 16000 रुपये तक खर्च कर रही है़. पर, पढ़ाई ठीक नहीं होने के कारण सरकार का प्रति वर्ष करोड़ों रुपये बेकार जा रहा है़ .
शिक्षक नियुक्ति के बाद रिजल्ट और खराब : राज्य में इंटर साइंस के रिजल्ट में इस वर्ष छह प्रतिशत की गिरावट आयी है़ प्लस टू उच्च विद्यालयों में इंटर की पढ़ाई को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2012 में 1233 प्लस टू शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी़ इसके बाद भी इन विद्यालयों का रिजल्ट बेहतर नहीं हो रहा़ कुछ प्लस टू उच्च विद्यालय ऐसे हैं, जिनका रिजल्ट शिक्षक नियुक्ति के बाद और खराब हो गया है़ इन विद्यालयों में पहले मध्य विद्यालय के उच्च योग्यताधारी शिक्षक नियुक्त थे. उस समय इन स्कूलों का रिजल्ट अब की तुलना में बेहतर हुआ करता था़ रिजल्ट खराब होने के कारण इन स्कूलों में बच्चे नामांकन भी नहीं लेते है़ं यही कारण है कि राज्य के अधिकांश प्लस टू उच्च विद्यालय में साइंस में सीट खाली रह जाती है.
राजधानी का प्लस टू उवि निजी स्कूल से भी महंगा
राजधानी के प्लस टू उच्च विद्यालयों की स्थिति और भी खराब है़ विद्यालय में कार्यरत शिक्षक व नामांकित विद्यार्थियों की संख्या के हसिाब से सरकार एक विद्यार्थी पर निजी स्कूल से अधिक खर्च करती है़ इसके बाद भी विद्यालय से एक भी विद्यार्थी पास नहीं हो पाता है़ राजधानी में ऐसे भी प्लस टू उच्च विद्यालय हैं, जहां सरकार एक विद्यार्थी पर प्रतिमाह 16000 रुपये तक खर्च कर रही है़ कसिी निजी स्कूल में एक विद्यार्थी के लिए प्रतिमाह इतना शुल्क नहीं लिया जाता है़ सरकार द्वारा वर्ष 2015 को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के रूप में मनाया गया. विभिन्न योजनाएं भी चलायी जा रही है़ं इसके बाद भी रिजल्ट में सुधार नहीं हो रहा है़
इन स्कूलों का एक भी विद्यार्थी नहीं हुआ पास
एसएन मारवाड़ी प्लस टू हाइस्कूल, रांची
एसएस डोरंडा गर्ल्स प्लस टू हाइस्कूल, रांची
जीएनएम प्लस टू उवि कतरासगढ़
राजकीयकृत प्लस टू उवि गोविंदपुर
बीएसएल प्लस टू उवि सेक्टर 12, बोकारो
प्लस टू हाइस्कूल सरैयाहाट, दुमका
अपग्रेड प्लस टू उवि, भैया
एसएस प्लस टू उवि, मांडू
अपग्रेड प्लस टू उवि लोआही कला
(नोट : कई ऐसे इंटर कॉलेज भी हैं, जहां से एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ)
केस स्टडी : एसएस डोरंडा बालिका प्लस टू उवि, रांची
साइंस से परीक्षा में शामिल विद्यार्थी 15
परीक्षा में पास विद्यार्थी 00
विज्ञान के शिक्षकों की संख्या (हिंदी, अंगरेजी समेत) 05
एक शिक्षक का वेतन प्रतिमाह 4 8000
छह शिक्षक के वेतन पर प्रतिमाह खर्च 2,40,000
औसतन प्रतिमाह एक विद्यार्थी पर खर्च 16000

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