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दरधा नदी का अस्तित्व खतरें में

मनमानी . नदी में 700 एकड़ जमीन पर है अवैध कब्जा एक ओर केंद्र व राज्य की सरकार आपात स्थिति से निबटने के लिए नदियों को जोड़ने का काम कर रही है. वहीं दूसरी तरफ शहर की दो प्रमुख नदी दरधा और युमने अतिक्रमणकारियों का शिकार हो रही है. अतिक्रमण के कारण नदियों का अस्तित्व […]

मनमानी . नदी में 700 एकड़ जमीन पर है अवैध कब्जा

एक ओर केंद्र व राज्य की सरकार आपात स्थिति से निबटने के लिए नदियों को जोड़ने का काम कर रही है. वहीं दूसरी तरफ शहर की दो प्रमुख नदी दरधा और युमने अतिक्रमणकारियों का शिकार हो रही है. अतिक्रमण के कारण नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिख रहा है. दरधा नदी के करीब 700 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है. शहरी क्षेत्र में नदी के दोनों किनारों पर कब्जा कर धड़ल्ले से मकान बनाया जा रहा है.
जहानाबाद नगर : शहरी क्षेत्र में बहने वाली नदियों के संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है. शहरी क्षेत्र में आये दिन नदियों के दोनों किनारों पर अवैध कब्जे का खेल चल रहा है . जिसके कारण नदियों के अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगा है . शहर में बनने वाली दरधा और यमुनेे नदी की हालात यह है कि इन नदियों की चौड़ाई लगातार सिमटती जा रही है . हालात यह है कि नदी अब कैनाल या बड़े नाले की तरह दिखायी देने लगी है.
दरधा नदी में मेघरीया से लेकर जाफरगंज -अलगना तक नदी के तट पर बड़े-बड़े निर्माण बेरोक-टोक किये जा रहे हैं विशेषकर शमशान से पूर्व संगम से वीटी स्कूल के इलाके में कई स्थानों पर पूर्व में जो कच्ची संरचनाएं बनी हुई थी उन्हें अब पक्का निर्माण का शक्ल दिया जा रहा है. जिसके कारण नदियों की चौड़ाई सिमटती जा रही है
तथा नदी अपना अस्तित्व खोता जा रहा है . यही नहीं नदियों की प्रदूषण की बात करें तो इसमें बड़े पैमाने पर गिरने वाली नालियों के कारण इसका पानी दूषित और किनारे कचरों से पटा हुआ है . नप के सफाई कर्मियों द्वारा कई स्थानों पर नदी को ही डंपिंग जोन में तब्दील कर दिया गया है, जो अतिक्रमण का मुख्य कारण बन रहा है . नदियों की सिमटती चौड़ाई तथा पानी केअभाव के कारण धीरे-धीरे नदियों के अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है.
सरकारी रिपोर्ट में भी अतिक्रमण का है जिक्र: अंचल द्वारा नदियों के संरक्षण कराने को लेकर बनाये गये रिर्पोट में अतिक्रमण का जिक्र किया गया है. नदी की जमीन पर पक्का निर्माण , झोपड़ी डालने , खेती करने और कब्जा करने की नियत से घेराबंदी करने का जिक्र किया गया है. बभना , मेघरीया , शमशान घाट , होरिलगंज , जाफरगंज में नदी की भूमि पर कतिपय लोगों द्वारा खेती भी की जा रही है. माफी लंबित रहने के कारण अतिक्रमणकारी स्थायी रूप से नदी को अपनी जमीन बताने लगे हैं .
रिपोर्ट के अनुसार बभना -कटैया मौजा के खाता संख्या 101, प्लॉट संख्या 397 में 2200 एकड़ भूमि नदी के लिए चिह्नित है जबकि जहानाबाद मौजा के खाता संख्या 183 ,प्लॉट संख्या 1436 में 27 एकड़ भूमि नदी के नाम दरसायी गयी है . इसमें करीब 700 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा है.

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