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शराब जैसी सख्ती गुटखा पर नहीं दिखती

पटना: राज्य में पान-मसाला और उसके अन्य उत्पादों पर शराब जैसी सख्ती नहीं है. तंबाकू, पान मसाला व अन्य उत्पादों का राज्य में प्रसार दर 54 प्रतिशत है, जबकि शराब सेवन का प्रसार दर महज 11 फीसदी था. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार तंबाकू सेवन के कारण होनेवाली बीमारियों पर […]

पटना: राज्य में पान-मसाला और उसके अन्य उत्पादों पर शराब जैसी सख्ती नहीं है. तंबाकू, पान मसाला व अन्य उत्पादों का राज्य में प्रसार दर 54 प्रतिशत है, जबकि शराब सेवन का प्रसार दर महज 11 फीसदी था. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार तंबाकू सेवन के कारण होनेवाली बीमारियों पर राज्य का 1341 करोड़ रुपये खर्च होता है.

तंबाकू व उसके अन्य उत्पादों से सरकार को महज 157 करोड़ का टैक्स कलेक्शन होता है. जबकि, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में 21 अप्रैल,16 को संपन्न हुई बैठक में गुटखा व पान मसाला पर पूर्ण रूप से शराब जैसा प्रतिबंध लगाने का संकल्प दोहराया गया था. पर, अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. राज्य में 30 मई, 12 से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गुटखा व पान मसाला पर प्रतिबंध लगया गया है. इसे हर साल खाद्य संरक्षा आयुक्त के रूप में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव द्वारा एक-एक साल के लिए विस्तार दिया जाता है.


खाद्य सुरक्षा अधिनियम के इस प्रशासनिक आदेश को महज कागजों पर ही देखा जा सकता है. भारत सरकार द्वारा गुटखा व पान मसाला को लेकर तैयार रिपोर्ट को मुख्य सचिव ने 25 जुलाई,14 को जारी किया था. उस समय स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार थे. इस आंकड़े के अनुसार 35-69 साल के बीच के लोगों के लिए तंबाकू के प्रयोग की वजह से वर्ष 2011 में होनेवाला कुल आर्थिक खर्च 1341 करोड़ सालाना हुआ. इसमें चार प्रकार के रोगों, जिनमें सीवीडी, कैंसर, यक्ष्मा व सांस संबंधी रोग की वजह से होनेवाला खर्च 472 करोड़ है. तंबाकू के प्रयोग की वजह से हुआ यक्ष्मा रोग का सबसे अधिक 177 करोड़ हुआ.

इसके बाद हृदयवाहिनी रोग (सीवीडी) पर 156 करोड़, सांस संबंधी रोग पर 80 करोड़ और कैंसर पर 58 करोड़ खर्च हुए. इधर सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा न कहा कि सरकार शराब की तर्ज पर गुटखा व पान मसाला के लिए
भी प्रशासनिक आदेश की जगह पूर्ण एक्ट लाकर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दे.

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