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”सफल” से बदल रही 10 गांवों की तसवीर

रांची: रांची शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के अरवाबेड़ा के किसानों में बदलाव आ रहा है. बेदिया जाति बाहुल्य इस गांव के किसान सब्जियों की अच्छी खेती कर रहे हैं. साल भर पहले यहां के लोग मजदूरी करने के लिए शहर आते थे, लेकिन भारत सरकार की स्कीम सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फॉर फार्मर […]

रांची: रांची शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर अनगड़ा प्रखंड के अरवाबेड़ा के किसानों में बदलाव आ रहा है. बेदिया जाति बाहुल्य इस गांव के किसान सब्जियों की अच्छी खेती कर रहे हैं. साल भर पहले यहां के लोग मजदूरी करने के लिए शहर आते थे, लेकिन भारत सरकार की स्कीम सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फॉर फार्मर लाइवलीहुड (सफल) से यहां के लोगों का जीवन बदलने लगा है. यह स्कीम अनगड़ा प्रखंड के 10 गांवों में चलायी जा रही है.
गांव के राजेंद्र बेदिया बताते हैं कि जिस खेत में 2014 में डेढ़ से दो क्विंटल धान (25 डिसमिल में) हुआ था, 2015 में (सूखा पड़ने के बावजूद) उसी खेत में चार से छह क्विंटल धान हुआ. यहां किसानों के खेतों में डोभा (10×10 फीट) बनाये गये हैं. गांव में 20 डोभा का निर्माण हुआ है. डोभा में अप्रैल तक पानी था. इस कारण किसानों ने हिम्मत कर सब्जी की खेती शुरू कर दी. एक युवक ने बताया कि अभी हर सप्ताह करीब 800 रुपये सब्जी बेच कर आमदनी हो रही है.
गांव में ही लगी है मौसम पूर्वानुमान की मशीन, मिल रही है जानकारी
गांव में ही एक घर की छत पर मौसम पूर्वानुमान वाली मशीन लगायी गयी है. इससे करीब दो किमी के मौसम का पूर्वानुमान किसानों को मिल रहा है. हालांकि नेटवर्क की समस्या के कारण हर दिन का पूर्वानुमान नहीं मिल रहा है. सप्ताह में दो दिन (मंगल व शुक्र)को कंप्यूटर से मौसम के पूर्वानुमान से संबंधित प्रिंट निकाल कर उसे गांव में साटा जाता है. रविवार को गांव का कोई युवक ग्रामीणों को इसे पढ़ कर सुनाता है. इसके हिसाब से किसान खेतों में तैयारी करते हैं.
बिरसा कृषि विश्वविद्यालयने किया तकनीकी सहयोग
सेंटर फॉर इंटरनेशनल प्रोजेक्ट ट्रस्ट (सीआइपीटी) की स्कीम का संचालन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय कर रहा है. डॉ ए बदूद नोडल अफसर हैं. यह स्कीम जून 2015 में शुरू हुई है. किसानों को धान के हाइब्रिड बीज दिये गये थे. श्री बदूद व अन्य कृषि वैज्ञानिक हर सप्ताह आकर किसानों को तकनीकी जानकारी भी देते हैं. किसानों को सब्जियों के बीज भी दिये गये हैं. डॉ बदूद बताते हैं कि इस बार किसानों को लोकल वेराइटी दी जायेगी. इससे उपज थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन बीमारी कम लगेगी. डॉ बदूद बताते हैं कि 10 गांव (अरवाबेड़ा, चुकुरुबेड़ा, गुटीडीह, मूंगाडीह, टाटी, जराडीह, नवाडीह, दुबला बेड़ा, मतकमडीह, बुधवाडीह) में यह स्कीम चलायी जा रही है. इस बार 150 डोभा का निर्माण किया जा रहा है. 75 डोभा खोदे जा चुके हैं. इसका उद्देश्य किसानों में खेती के प्रति लालच पैदा करना है. जब किसानों को इसका फायदा समझ में आने लगेगा, तो खुद खेती करने लगेंगे.

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