भुवनेश्वर : रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि भारत में बुनियादी सुधारों की रफ्तार को तेज करना ‘राजनीतिक दृष्टि से मुश्किल’ काम है. हालांकि गवर्नर ने बैंकों के बही खाते को साफ सुथरा करने और मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने पर जोर दिया जिससे तेज वृद्धि हासिल की जा सके. राजन ने कहा कि श्रम बाजार सुधारों से वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया को विरोध का सामना करना पड़ेगा.
रघुरामराजन ने कल रात ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारत’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि नये नियम अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक नीति के ईदगिर्द बनाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत जैसे उभरते बाजारों को अपनी आवाज तेजी से उठानी चाहिए जिससे वैश्विक एजेंडा के निर्धारण में उनकी बात को भी महत्व दिया जाये. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव से काफी हद तक संरक्षित है. दो बार सूखे तथा कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार के बावजूद भारत 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने में सफल रहा है.
उन्होंने कहा, ‘दो सूखे तथा कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार परिदृश्य के बावजूद हम वृहद स्तर की स्थिरता की वजह से 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर रहे हैं.” राजन ने कहा, ‘‘जहां वृहद स्तर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जरूरत है, वहीं देश को मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने के लिए बैंकों को साफ सुथरा करने की जरूरत है. इससे वृहद स्तर की स्थिरता को मजबूत किया जा सकता है.”
राजन ने कहा कि सुधारों को कायम रखने से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों को आकर्षित किया जा सकता है और साथ ही गतिविधियों को बढ़ाया जा सकता है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि अर्थव्यवस्था की क्षमता बढ़ाने को बुनियादी सुधार महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा तथा समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी का स्तर बढ़ाया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को श्रमबल में लाया जा सके.
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